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जायसवाल खदान पर हमला : काली वर्दी में सौ से अधिक नक्सली दो घंटे मचाते रहे उत्पात, सुपरवाइजर को डंडे से पीटकर मार डाला, एंबुश में फंसाकर फोर्स पर भी किया अटैक

इम्पेक्ट न्यूज़। जगदलपुर/नारायणपुर

भिलाई का रहने वाला था सडक़ ठेका कंपनी का मारा गया सुपरवाइजर, बंधक मजदूर की आड़ में भाग निकले नक्सली, सभी वापस लौटे

खदान में करोड़ों रुपए के 2 पोकलेन समेत 6 गाडिय़ों को किया आग के हवाले

बस्तर के नारायणपुर जिला मुख्यालय छोटेडोंगर थाना क्षेत्र में शनिवार को नक्सलियों ने आमदई स्थित निको-जायसवाल आयरन ओर खदान में हमला कर एक सुपरवाइजर प्रदीप शील की हत्या कर दी। प्रदीप भिलाई का रहने वाला बताया जा रहा है।

नक्सलियों ने यहां काम में लगे 2 पोकलेन मशीन समेत 6 वाहनों में आगजनी भी की। नक्सली करीब दो घंटे तक यहां उत्पात मचाते रहे जिस स्थान पर नक्सलियों ने वारदात को अंजाम दिया वहां से फोर्स का कैम्प करीब एक किमी दूर है।

फोर्स को बड़ा नुकसान पहुंचाने के इरादे से कैम्प से निकले सर्चिंग पार्टी पर भी नक्सलियों ने एंबुश लगाकर हमला किया। इस हमले में फोर्स को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।

अब तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक नारायणपुर मुख्यालय से 50 किमी दूर ओरछा मार्ग पर निको-जायसवाल आयरन ओर खदान के लिए सडक़ निर्माण का काम जारी है। सुबह करीब साढ़े नौ बजे सौ से अधिक संख्या में काली वर्दी पहने नक्सली यहां पहुंचे।

यहां सडक़ बना रही ठेका कंपनी के 2 पोकलेन समेत 6 गाडिय़ों को नक्सलियों ने आग के हवाले कर दिया। भिलाई निवासी सुपरवाइजर प्रदीप शील के दोनों हाथ पीछे की ओर बांध दिए और उसे डंडे से पीट-पीट कर उसे मार डाला।

प्रदीप शील 15 दिन पहले ही यहां काम करने भिलाई से आया हुआ था। यहां काम कर रहे मजदूरों को उन्होंने काम बंद करने की चेतावनी दी। नक्सली करीब एक घंटे तक उत्पात मचाते रहे। नक्सली पूरी प्लानिंग के साथ पहुंचे थे और फोर्स के आने के अंदेशे से पहले ही एंबुश लगाकर इंतजार करते रहे।

एक घंटे बाद पहुंची फोर्स फंसी एंबुश में, मजदूरों को ढाल बनाकर भागे नक्सली

सुबह करीब साढ़े दस वहां स्थित कैम्प से फोर्स के जवान सर्चिंग पर निकले। नक्सली पहले से जवानों का इंतजार कर रहे थे और एंबुश लगाकर बैठे हुए थे। जैसे ही जवान नक्सलियों के जद में आए। एक के बाद एक तीन आईईडी ब्लास्ट नक्सलियों ने किए। यूबीजीएल और देशी लांचर से भी जवानों पर हमला किया पर फोर्स को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। अचानक हुए हमले से संभलकर जवानों ने भी मोर्चा संभालते हुए जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद नक्सली वहां काम कर रहे करीब आधा दर्जन से अधिक मजदूरों को पकड़ कर उन्हें बंधक बना लिया और उन्हें ढाल बनाकर नक्सली वहां से भाग खड़े हुए। करीब एक किमी दूर अंदर जंगल में बंधक बनाए गए मजदूरों को नक्सलियों ने छोड़ दिया। सभी मजदूर वापस लौट आए हैं।

एसपी बोले बिना सूचना के चल रहा था काम
एसपी मोहित गर्ग ने बताया, निको-जायसवाल कंपनी की ओर से वर्तमान में जो सडक़ निर्माण का काम चल रहा था उसकी कोई सूचना नहीं दी गई थी। इस वजह से सुरक्षा नहीं होने से नक्सलियों ने इस वारदात को अंजाम दिया। दूसरी ओर निको कंपनी के स्थानीय प्रभारी एचएन झा ने बताया, उनकी ओर से वहां चल रहे निर्माण के बारे में पुलिस को सूचित किया गया था।

पहले भी हो चुका है खदान और कैम्प का विरोध
आमदई स्थित आयरन ओर खदान बहुत लंबे समय से निको जायसवाल कंपनी को आबंटित की गई थी। यह खदान अब तक शुरू नहीं हो सकी है। इस साल के अंत तक इस खदान को शुरू किए जाने की संभावना है, जिसके लिए यहां सडक़ बनाने व अन्य काम जारी है। खदान के लिए चल रहे काम की सुरक्षा में यहां कैम्प भी बनाया गया है। इसी साल जनवरी माह में करीब 10 से 12 हजार ग्रामीणों ने खदान और कैम्प के विरोध में यहां प्रदर्शन किया था। दस साल पहले भी नक्सलियों ने इसी खदान में काम कर रहे दो सुपरवाइजर की हत्या कर दी थी।

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