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एके एंटनी के बेटे अनिल ने कांग्रेस के सभी पदों से दिया इस्तीफा… BBC विवाद पर मोदी सरकार का किया था समर्थन…

इम्पैक्ट डेस्क.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी के डॉक्यूमेंट्री का विरोध करने के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल कुमार एंटनी ने बुधवार को कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। अनिल ने ट्वीट कर कहा, “मैंने कांग्रेस में अपनी सभी भूमिकाओं से इस्तीफा दे दिया है। बोलने की आजादी के लिए लड़ने वालों द्वारा ट्वीट को वापस लेने के कहना असहिष्णुता है। मैंने ऐसा करने से मना कर दिया।”

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में एंटनी ने कहा, ‘मैं पूरे जीवन कांग्रेस से जुड़ा रहा और मेरे पिता पिछले 6 दशकों से पार्टी के साथ हैं। ऐसे पृष्ठभूमि से आने के बाद भी पिछले 24 घंटों में जो कुछ हुआ, खासकर कांग्रेस के कुछ विशेष कोनों से, उसने मुझे बहुत आहत किया है। मुझे लगता है कि ये एक सही निर्णय है।’

उन्होंने कहा, ‘जहां से मैं आता हूं, मुझे नहीं लगता कि ये वो लोग हैं, जिनके साथ मुझे काम करना चाहिए। यह देखना निराशाजनक है कि यह सब कहां पहुंच गया।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह बहुत निराशाजनक इसलिए है कि आपके पास राहुल गांधी जैसा नेता है, जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक प्यार का संदेश देते हुए चल रहे हैं और उनके समर्थक वो सबकुछ बर्बाद करने में लगे हुए हैं, जो वह हासिल करना चाहते हैं।’

आपको बता दें कि गुजरात दंगों से संबंधित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ से जुड़े विवाद पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे ने अलग रुख अपनाया था। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे और केपीसीसी डिजिटल मीडिया सेल के संयोजक अनिल के एंटनी ने ट्वीट कर लिखा कि भारतीय संस्थानों द्वारा बीबीसी के दृष्टिकोण को प्राथमिकता देना बहुत खतरनाक चलन है।

उन्होंने कहा कि इस तरह की डॉक्यूमेंट्री एक खतरनाक मिसाल पेश करती है और इससे हमारे देश की संप्रभुता को कमजोर करेगी। कांग्रेस पार्टी के एक्टिव मेंबर अनिल के एंटनी ने कहा कि उनके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मतभेद हो सकते हैं लेकिन इस तरह के विचारों को रखकर खतरनाक मिसाल पेश की जा रही है। 

उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, “बीजेपी के साथ बड़े मतभेदों के बावजूद, मुझे लगता है कि भारतीय पूर्वाग्रहों के एक लंबे इतिहास वाले ब्रिटेन द्वारा प्रायोजित चैनल बीबीसी और इराक युद्ध के पीछे के दिमाग वाले जैक स्ट्रॉ के विचारों को भारत में रखने वाले भारतीय संस्थानों पर एक खतरनाक मिसाल कायम कर रहे हैं। यह हमारी संप्रभुता को कमजोर करेगा।”

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