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एमपी-एमएलए के शिष्टाचार का पालन, कार्यक्रम आमंत्रण में उपेक्षा करने वाले अफसरों पर होगी कार्यवाही

 भोपाल
प्रदेश के सांसदों और विधायकों के शिष्टाचार पालन, उनके पत्रों पर कार्यवाही करने को लेकर कई सरकारी अफसर गंभीर नहीं है। यही नहीं कई बार स्थानीय कार्यक्रमों में भी उन्हें आमंत्रण नहीं मिल पाता है। इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम में नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने एक बार फिर सभी विभागोें के अफसरों को सचेत किया है कि सांसदों और विधायकों के मामलों को लेकर लापरवाही उन्हें भारी पड़ सकती है।

इनसे जुड़े सभी निर्देशों का पालन किया जाए। संसदीय कार्य विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग सांसदों और विधायकों के शिष्टाचार को लेकर वर्ष 2002 से अब तक बीस बार प्रदेश के सभी विभागाध्यक्षों, शासन के सभी विभागों, संभागायुक्त, कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ और राजस्व मंडल के अध्यक्ष को निर्देश जारी कर चुका है। इसके बाद भी समय-समय पर कई विभागों, कार्यालयों द्वारा इन निर्देशों का कड़ाई से पालन न करने की सूचनाएं विधायकों और सांसदों के जरिए मिलती रहती है। इसके कारण इन सांसदों और विधायकों को अपने कर्त्तव्य निर्वहन में असुविधाएं होती है और राज्य शासन की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

जीएडी का अफसरों को आदेश
मध्यप्रदेश विधानसभा सदस्य सुविधा समिति की बैठकों के दौरान भी सदस्यों की शिकायतों के निराकरण होने में विलंब, विभाग द्वारा जारी निर्देश के पालन का उल्लंघन होने का उल्लेख करते हुए समय-समय पर अप्रसन्नता व्यक्त की जाती है। इसलिए सभी विभागों के अफसरों को फिर से निर्देशित किया गया है कि राज्य शासन के निर्देशों को अपने अधीनस्थ, जिला कार्यालयों और अधिकारियों के ध्यान में लाया जाए और कड़ाई से इसका पालन सुनिश्चित किया जाए। सांसदों और विधायकों के पत्रों की उन्हें पावती दी जाए, उनके पत्रों पर कार्यवाही कर निर्धारित समय में उसका उत्तर भी दिया जाए और शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सौहार्दपूर्ण व्यवहार किया जाए। उन्हें सार्वजनिक समारोह  और कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाए और उनके पत्रों के लिए अलग से रजिस्ट्रर संधारित किए जाए तथा शिष्टाचार का पालन किया जाए।

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