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मणिपुर हिंसा मामले में 6523 FIR, लेकिन सिर्फ 252 गिरफ्तार… CJI के सवालों का जवाब नहीं दे पाए सॉलिसिटर जनरल तुषार…

इम्पैक्ट डेस्क.

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जातीय हिंसा से निपटने के राज्य  सरकार के तरीके पर कड़ा रुख अख्तियार किया है और  खासतौर पर महिलाओं को निशाना बनाने वाले अपराधों की पुलिस जांच को “धीमी” करार दिया है।  मणिपुर की स्थिति से नाराज शीर्ष अदालत ने कहा कि वहां कानून-व्यवस्था और संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। कोर्ट ने मणिपुर के पुलिस महानिदेशक को 7 अगस्त को तलब किया है।

देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ मणिपुर हिंसा पर दर्ज कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। खंडपीठ ने राज्य सरकार से हत्या, बलात्कार, आगजनी, लूट, घर और संपत्ति, पूजा स्थलों को नुकसान और महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले मामलों के बारे में सारणीबद्ध प्रारूप में जानकारी मांगी थी। 

मामले में केंद्र का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ से आग्रह किया कि भीड़ द्वारा महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के वीडियो से संबंधित दो प्राथमिकी के बजाय, राज्य में दर्ज कुल 6,523 प्राथमिकियों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा से संबंधित सभी 11 मामलों को सीबीआई को सौंपा जा सकता है और मुकदमे की सुनवाई मणिपुर के बाहर कराई जा सकती है। 

इस पर सीजेआई ने पूछा कि कुल कितनी गिरफ्तारियां हुई हैं और कितनी जीरो एफाईआर दर्ज हुई हैं। मणिपुर सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि कुल 6,523 प्राथमिकियां दर्ज हुई हैं लेकिन उन्होंने जीरो एफआईआर का विवरण देने में असमर्थता जताई। सालिसिटर जनरल मेहता इसका भी जवाब नहीं दे पाए कि यौन हिंसा वीडियो से जुड़े मामले में गिरफ्तारी कब हुई?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दो महिलाओं को न्ग कर घुमाने वाला वीडियो वायरल होने और देश भर में आक्रोश फैलने के बाद 20 जुलाई को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पहली गिरफ्तारी की घोषणा की थी।

मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि कोर्ट को यह आभास होता है कि “सरकारी मशीनरी इस तरह से खराब हो चुकी है कि आप एफआईआर भी दर्ज नहीं कर सके।” कोर्ट ने कहा कि “राज्य पुलिस जांच करने में असमर्थ है। उन्होंने नियंत्रण खो दिया है। जब कोर्ट ने कहा कि 6,000 एफआईआर में से केवल सात गिरफ्तारियां हुई हैं, तो मेहता ने स्पष्ट करना चाहा कि वायरल वीडियो मामले के संबंध में सात गिरफ्तारियां की गई हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य में अब तक कुल 252 गिरफ्तारियां की गईं हैं।। एसजी मेहता ने कहा कि 12000 निवारक गिरफ्तारियां भी की गई हैं। 

कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि 6,523 प्राथमिकियों में सिर्फ 252 गिरफ्तारी हुई है। खंडपीठ ने महत्वपूर्ण रूप से यह भी पूछा कि महिलाओं द्वारा यह कहने के बाद कि पुलिस ने उन्हें भीड़ को सौंप दिया था,क्या  आरोपी पुलिसकर्मियों से पूछताछ की गई थी। सीजेआई ने यह भी पूछा कि तब डीजीपी क्या कर रहे थे। उनका कर्तव्य क्या था।

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