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नूंह का बढ़ा नूर!… सांप्रदायिक हिंसा और तनाव के बीच आई बड़ी खुशखबरी…

इम्पैक्ट डेस्क.

हिंसा के बाद बने तनाव के बीच जिला नूंह के लोगों के लिए राहत की खबर है। देश के सबसे ज्यादा पिछड़े 112 जिलों में शामिल नूंह ने राष्ट्रीय स्तर पर डेल्टा रैंकिंग में दूसरा स्थान हासिल किया है। इससे पहले वह 30वें स्थान पर था। गुरुवार को बयान जारी कर उपायुक्त धीरेन्द्र खड़गटा ने नीति आयोग की डेल्टा रैंकिंग की जानकारी दी। गौरतलब है कि हरियाणा में नूंह अकेला ऐसा जिला है जो देश के पिछड़े जिलों की सूची में शामिल है।

देश के पिछड़े जिलों पर प्रधानमंत्री की नजर है। समय-समय पर इनकी समीक्षा होती है ताकि इन्हें विकास की मुख्य धारा में शामिल किया जा सके। इसको लेकर हरियाणा सरकार का ध्यान भी नूंह पर है। उपायुक्त का दावा है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों के चलते आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत जिला नूंह की डेल्टा रैंकिंग 30वें पायदान से दूसरे नंबर पर पहुंच गई है। आकांक्षी जिला को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा पिछले महीने संबंधित विभागों की बैठक लेते हुए उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए थे। उल्लेखनीय है कि हाल में हुई हिंसा से नूंह एक बार फिर चर्चा के केंद्र में बना हुआ है।

87 मानक बनाए गए
नीति आयोग द्वारा देशभर के 112 आकांक्षी जिलों की सूची बनाई गई थी, जिसमें लगभग 87 मानक तय किए गए थे। इनमें ड्रॉपआउट, संस्थागत डिलीवरी, सिंचाई, कृषि, सेहत सहित अन्य विभागों के बहुत से काम थे। इन सभी में सुधार करने की जरूरत थी। उपायुक्त का दावा है कि नूंह जिला लगातार अपनी रैंकिंग में सुधार कर रहा है। जिले के संबंधित विभागों के अधिकारी व कर्मचारी जिले को पिछड़े जिलों की सूची से बाहर निकालने में भरपूर मेहनत कर रहे हैं। नागरिकों की जागरूकता व अधिकारियों की मेहनत से यह संभव हुआ है।

कृषि और जल संसाधन में अव्वल
उपायुक्त ने बताया कि कृषि एवं जल संसाधन में जिले की रैंकिंग प्रथम स्थान पर रही है। इसका स्कोर 26.2 से बढ़कर 30.7 हुआ है। इसी प्रकार, स्वास्थ्य एवं पोषण में रैंकिंग दूसरे स्थान पर रही है, जिसका स्कोर 64.9 से बढ़कर 71.3 हुआ है। इसी प्रकार, अन्य विभागों की रैंकिंग में भी निरंतर सुधार के चलते जिला दूसरे स्थान पर पहुंचा है।

इस आधार पर होती है रैंकिंग
डेल्टा रैंकिंग द्वारा छह विकासात्मक क्षेत्रों के आधार पर जिलों को रैंकिंग दी जाती है। ये क्षेत्र हैं स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेश, कौशल विकास और बुनियादी ढांचा विकास हैं।

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