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दिल्ली को रायपुर के सम में लाने वाले राजेंद्र जी नहीं रहे…

सुदीप ठाकुर। वरिष्ठ आलोचक डॉ. राजेंद्र मिश्र नहीं रहे। उनके निधन की खबर मिलते ही बहुत सी स्मृतियां ताजा हो गईं। देशबंधु में उनका आना जाना लगा रहता था। देशबंधु ने जब साहित्य वार्षिकी शुरू करने का फैसला किया था , तब ललित सुरजन जी ने उन्हें अतिथि संपादक बनाया था। अक्षर पर्व के नाम से निकली इस वार्षिकी के संपादक थे विनोद वर्मा। देश के साहित्य जगत में यह एक बड़े धमाके की तरह था। उस समय तक दिल्ली से निकलने वाली प्रतिष्ठित पत्रिका इंडिया टुडे कई साहित्यिक वार्षिकी

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उन्होंने अपने ढंग से ख़बर ब्रेक कर दी- ज़िंदगी बहुत भरोसे लायक नहीं… पत्रकार कमाल खान अब नहीं रहे

NDTV के वरिष्ठ प्रियदर्शन के फेसबुक वाल सेकमाल खान को याद करते हुए जिसके साथ बरसों-बरस काम किया, उसके एक झटके में चले जाने का दुख बहुत तीखा होता है। लेकिन ढीठ की तरह हम लिखते जाते हैं। दोस्त और सहयोगी रहे कमाल ख़ान के लिए लिखी यह श्रद्धांजलि। ndtv.in पर। हमने कमाल को देखा है कभी उनसे लखनऊ के टुंडे कबाब पर बात हो रही थी। उन्होंने हंसी-हंसी में कहा कि आपको इससे बेहतर कबाब मिल जाएंगे, लेकिन टुंडे कबाब नहीं मिलेगा। शायद ख़ुद कमाल ख़ान पर यह बात

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Articles By NameEditorialState News

सुरक्षा की चूक कहीं कवरेज की भूख मिटाने का प्रयोजन तो नहीं है, आधिकारिक बयान कहां हैं?

रविश कुमार के फेसबुक वाल से प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक को लेकर बीजेपी की प्रतिक्रिया और मीडिया के डिबेट दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। ऐसा लगता है कि सूरक्षा में चूक का मुद्दा दोनों के लिए ईवेंट के लिए और फिर ईवेंट के ज़रिए डिबेट के लिए कटेंट बन कर आया है। प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, एसपीजी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पंजाब के मुख्यमंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस की है लेकिन पंजाब के पुलिस प्रमुख ने प्रेस कांफ्रेंस नहीं की है। बठिंडा एयरपोर्ट

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गांधी को लोग देर से समझते हैं…

सुदीप ठाकुर। कंगना बहन यह सिर्फ आपकी मुश्किल नहीं है। गांधी को लोग देर से समझते हैं। दरअसल हड्डी के ढांचे जैसी काया में नजर आने वाला यह शख्स जितना बाहर से सहज और सरल दिखता है, भीतर से उतना ही कठोर है। उन्हें समझने में अंग्रेजोंं को भी वक्त लगा था। जिन्ना वगैरह के तो बस की बात ही नहीं थी गांधी को समझना। खुद सावरकर भी कहां ठीक से समझ पाए थे गांधी को। जिन्ना और सावरकर ने गांधी को ठीक से नहीं समझा तो उसकी वजहें साफ

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Articles By NameCG breakingDistrict Beejapur

दोबे की पहाड़ियों पर पत्थरों का परिवार, चट्टानों की संरचना अद्भूत… नीलम सरई के बाद बीजापुर के पर्यटन पटल पर दोबे की दस्तक…

दोबे से लौटकर। पी रंजन दास। जुड़ी हुई हैं किंवदंती, पहाड़ पर हैं देवताओं का वास बीजापुर। पहाड़ पर घास के सपाट मैदान, बीच में गुजरता नाला, इन सब के बीच दूर तक अद्भूत कलाकृतियों को संजोये पत्थरों का एक गांव । प्राकृतिक खूबसूरती और अद्भूत कलाकृतियों से युक्त पत्थरों का ऐसा झुण्ड नजर आता है दोबे की पहाड़ियों पर, जिसे पत्थरों का गांव भी कहा जाता है। बीजापुर के उसूर ब्लाक में नीलम सरई और नम्बी जलधारा के मध्य एक पहाड़ी जिसे स्थानीय लोग दोबे के नाम से जानते

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Articles By NameCultureDistrict Kondagaun

बस्तर के लोक अध्येता हरिहर वैष्णव नहीं रहे

पीयूष कुमार। बस्तर के सबसे बड़े लोक अध्येता हरिहर वैष्णव जी का निधन हो गया है। वे 66 वर्ष के थे। कोंडागांव (छत्तीसगढ़) निवासी हरिहर वैष्णव मूलतः कथाकार और कवि रहे हैं पर उनका सम्पूर्ण लेखन और शोध कर्म बस्तर पर ही केंद्रित रहा है। लोक का साहित्य उसकी वाचिक परम्परा में संरक्षित रहता है ऐसे में उसे लिपिबद्ध करना निश्चित ही महती कार्य है। इस लिहाज से बस्तर की समृद्ध लोक परम्पराओं खासतौर से हल्बी और भतरी भाषा के लोक को हरिहर जी ने विस्तार से लिपिबद्ध करके सुरक्षित

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जब कभी पलके बंद करो तो औरों के साथ वे भी हाज़िर… उनकी स्मृतियाँ हाज़िर… यह थे शरच्चंद्र माधव मुक्तिबोध

– दिवाकर मुक्तिबोध. छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-13 बबन काका को गुज़रे 37 वर्ष हो गए। जब कभी उनकी याद आती है तो एक दृश्य आँखों के सामने जीवंत हो उठता है। वे मुझसे कहते नज़र आते हैं-ज़रा, तुम्हारी टिकिट तो देना। मैं चुपचाप जेब से टिकिट निकालकर उन्हें देता और वे अपने बेटे व मुझसे छोटे प्रदीप को रेलवे की

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Articles By NameEditorialSarokarState News

हिंदी भाषा की लोकप्रियता में फिल्मों का अवदान…

बिकास के शर्मा. विगत एक सौ दस वर्षों की अपनी यात्रा में भारतीय सिनेमा विशेषकर हिंदी फिल्मों ने स्वदेश के साथ-साथ विदेशों में भी गाढ़ी लोकप्रियता हासिल की है। भारत में बनाने वाली हिंदी फिल्में संयुक्त अरब, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, पाकिस्तान, श्रीलंका, मॉरीसस आदि देशों में हिन्दी भाषा को प्रोत्साहित करती रहीं हैं और उन देश की सरहद के पार वहां के लोगों के मनोरंजन का एक प्रचलित साधन बनकर सामने आईं हैं। भारत जैसे बहुलतावादी देश में तो करीब-करीब सभी राज्यों में हिन्दी फिल्में देखी जाती हैं और उनके

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तो छत्तीसगढ़ में सीएम बदलना तय… राहुल की ताजपोशी के साथ भूपेश की नई भूमिका पर मंथन…

सुरेश महापात्र। यदि दावा सही है तो छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संगठन में नई भूमिका की तैयारी चल रही है। प्रबल संभावना है कि भूमिका तय होते ही छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री का चेहरा भी बदल जाएगा। इसके लिए संभव है टीएस सिंहदेव को राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी तक का इंतजार करना पड़े। कांग्रेस के सूत्रों की बात यदि सत्य है तो छत्तीसगढ़ में कमिटमेंट को लेकर राहुल ने अपनी राय स्पष्ट कर दी है। एक गुट का दावा है ‘फिलहाल सोनिया और प्रियंका

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Articles By NameEditorialImpact OriginalState News

फिलहाल छत्तीसगढ़ में राजनीति का खेला देखते रहिए… किसी ना किसी को त्याग करना ही होगा… नहीं तो…

सुरेश महापात्र । आगामी 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ की उम्र 21 बरस की हो जाएगी। बीते 21 बरसों में राज्य ने तीन मुख्यमंत्री देख लिए हैं। इसमें पहले अजित जोगी और दूसरे डा. रमन सिंह सीएम का पदभार ग्रहण करने के बाद विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इस प्रकार से भूपेश बघेल पहले से निर्वाचित विधायक होकर मुख्यमंत्री बने हैं। छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने से पहले इस राज्य के इतिहास को भी समझना जरूरी है। 15 अगस्‍त, 1947 के पूर्व देश में कई छोटी-बड़ी रियासतें एवं देशी राज्‍य अस्तित्‍व में

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