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क्या शेर लड़का है!! जहाँ बड़े बड़े सूरमाओं के हाथ पैर जड़ हो जाते हैं ये नया लड़का बिना डरे नक्सलियों को नाकों चने चबवा रहा है… तर्रेम की आंखो देखी

तर्रेम हमले पर विशेष. अभिषेक सिंह। बीजापुर “अरे दीपक भाई आप तो तुलावी साब की टीम में हो ना, मेरी टीम में कैसे आ गए?”- दीपक को देख कर सब इंस्पेक्टर संजय पाल ने पूछा । “पाल साब आज तो आपकी ही टीम में चलूँगा,आपसे बहुत कुछ सीखना है”-जिंदादिल दीपक ने मुस्कुराते हुए कहा । “ठीक है तब मेरे ही पास रहना,कोर इलाके में जा रहे हैं”-संजय पाल ने कहा । संजय पाल बस्तर के सबसे अनुभवी कमांडर्स में से एक हैं,नक्सलियों से कई बार लोहा लिया है उन्होंने और

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बिटिया के जन्मदिन पर पत्रकार कमल शुक्ला का खुला पत्र… मैंने तुम्हें सैद्धान्तिक पत्रकारिता के खतरे से अवगत कराया था…

कमल शुक्ला. फेसबुक वॉल से साभार। मेरी प्यारी बिटिया शुभा, मैं तुमसे बहुत क्षमा प्रार्थी हूं !! अक्सर जब भी तुम्हारा जन्मदिन आता है मैं किसी न किसी मुसीबत या किसी व्यस्तता की वजह से उस में शामिल नहीं हो पाता हुं । कल शाम तक तो मुझे याद भी नहीं था कि तुम्हारा जन्मदिन है, शाम को तुमने खुद मुझे हैप्पी बर्थडे कह कर याद दिलाया । कल लगा कि सही में स्वार्थी हो गया हूं अपनी लड़ाई के चक्कर में, अपनी बिटिया के लिए, घर के लिए समय

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बापू के सत्ता केंद्र आज कहां हैं?

गांधी जयंती पर विशेष सुदीप ठाकुर। मार्च के दूसरे हफ्ते में कोविड-19 महामारी के शुरुआती मामले आते ही प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक ‘जनता कर्फ्यू’ का एलान किया था और उसके दो दिन-तीन बाद पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था। इससे देशभर की सड़कों पर जो दृश्य नजर आया था, उसे विभाजन के बाद की दूसरी बड़ी त्रासदी के रूप में दर्ज किया गया। बड़े शहरों और महानगरों से लाखों प्रवासी मजदूर जो भी साधन मिला उससे या पैदल ही अपने गांव-घर की ओर चल पड़े थे। विभाजन

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जीवन में मौनता ही सबसे प्रभावशाली संप्रेषण…

गांधी जयंती पर विशेष : छत्तीसगढ़ में हुआ था महात्मा गांधी का प्रवास डाॅ. परवीन अख्तर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के जन्मदिन 2 अक्टूबर पर गांधीजी के चित्र या मूर्ति पर कुछ पुष्प अर्पित कर हम उन्हें याद करते हैं। उन की 150 वी जयंती पर देश विदेशों में सोशल मीडिया पर कई जगह आयोजन होते रहे हैं उनके गुणों की बखान उनकी अहिंसा की महत्ता और उनके सादगी भरे जीवन पर लेख आलेख निबंध भाषण होते हैं, लेकिन आज गहराई से मनन करना और अपने जीवन में उनके आदर्शों

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सत्यजीत भट्टाचार्य – बस्तर में रंगकर्म के एक युग का अवसान

राजीव रंजन प्रसाद। विनम्र श्रद्धांजलि आप रचनात्मकता को कम से कम शब्दों में कैसे पारिभाषित कर सकते हैं? इस प्रश्न के लिये मेरा उत्तर है – सत्यजीत भट्टाचार्य। बस्तर की पृष्ठभूमि से रंगकर्म को आधुनिक बनाकर देश-विदेश में चर्चित कर देने वाले सत्यजीत अपने चर्चित नाम बापी दा से अधिक जाने जाते थे। वे अपने आप में नितांत जटिल चरित्र थे, चटखीले रंगों की टीशर्ट, भरे भरे बालों वाला सर और दाढी से ढका पूरा चेहरा; पहली बार की मुलाकात से आप न व्यक्ति का अंदाजा लगा सकते थे, न

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Articles By Namesafarnama

साहित्यिक बिरादरी उन्हें साहित्यकार नहीं मानती तथा पत्रकार खालिस पत्रकार का दर्जा नहीं देते… साहित्यिक पत्रकारिता में सुधीर जरूरी हस्ताक्षर है इसलिए संभव है निकट भविष्य में इस विधा में भी कोई संकलन सामने आए…

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-12 कवि-पत्रकार मित्र सुधीर सक्सेना पर संस्मरण की इस कड़ी के साथ ही ‘कुछ यादें कुछ बातें’ शृंखला पर अल्प विराम। इसी शीर्षक से कुछ और यादें जो प्रदीर्घ हैं, कुछ ठहरकर फ़ेसबुक पर नमूदार होंगी। समापन कड़ी के साथ पत्रकारिता की यादों के इस सफ़र में मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी कि मित्रों ने प्रतिक्रिया

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बस्तर टॉक : जीवन के शब्द ही हमारे संस्कारों में है : धनराज डेगल

बस्तर टॉक में शामिल हुए युवा लेखक धनराज डेगल हेमंत पाणिग्राही. जगदलपुर। बस्तर टॉक के पहले सीज़न में युवा लेखक धनराज डेगल ने बस्तर के युवा और लेखन विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि आप जीवन में जब विषम परिस्थितियों में होते हैं तो हम सम परिस्थितियों की परिकल्पना करते हैं।इन्ही परिस्थितियों में बहुत मेहनत करके अपने सपनों को आकार व साकार करने में जुट जाते हैं। उन्होंने कहा कि आपके जीवन के आस-पास जो भी घटनाएं घटित होती है।वह हमारे लिये जीवन का संदर्भ हो जाता है

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वर्तमान, कांग्रेस का संक्रमण काल है… जनमानस का विश्वास पाने संघर्ष ही विकल्प…

सुरेश महापात्र। कर्नाटक, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस के भीतर मचे घमासान के बाद यदि लोगों को लग रहा है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस ऐलान के फलीभूत होने का वक्त आ गया है कि हिंदुस्तान कांग्रेस मुक्त हो जाएगी। यह कहना जल्दबाजी और तात्कालिक घटनाक्रम पर आधारित निष्कर्ष मात्र साबित हो सकता है। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान में सचिन पायलेट के विद्रोह के अपने कारण हैं और इससे कांग्रेस को हो रहे नुकसान को कांग्रेस संगठन के संक्रमण काल से जोड़कर देखा जाना चाहिए। कांग्रेस

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साठ का दशक: तब पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश से बंजारे मवेशियों को लेकर बीजापुर पँहुचते थे.(यादों के झरोखे से..)

“बस्तर संभाग के वरिष्ठ पत्रकार एस करीमुद्दीन ने अपने यादों के झरोखे से बीते बस्तर की तस्वीर बताई है…  जिसे सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत किया गया है”  पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश इलाके में 60 की दशक में बंजारा परिवार हर साल बीजापुर अपने पालतु जानवरों के साथ आया करते थे। और बीजापुर के जंगलों में अपने जानवरों को चराया करते थे। उस समय वन विभाग का सख्त कानून था कि पालतु जानवरों को जंगल में चराने के लिए भी इजाजत लेनी पड़ती थी। बस्तर में सहज ही इजाजत मिल जाती

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साठ का दशक: जब फ़िल्म अभिनेता शम्मी कपूर भी शिकार खेलने बीजापुर आये थे..(यादों के झरोखे से)

“बस्तर संभाग के वरिष्ठ पत्रकार एस करीमुद्दीन ने अपने यादों के झरोखे से बीते बस्तर की तस्वीर बताई है…  जिसे सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत किया गया है” अविभाजित बस्तर जिले में बीजापुर क्षेत्र ने जल, जंगल ,जमीन और जानवर के संदर्भ मंे देश दुनिया में अपनी अलग पहचान बनायी. यहां वन्य जीवों की बहुलता के चलते यह स्थान पूर्व काल में शिकारियों को अपनी ओर आकर्षिक करता था. 60 के दशक में इस इलाके में शिकार करने के लिए देश के साथ-साथ विदेश के भी शिकारी गर्मी के दिनों

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