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फिलहाल छत्तीसगढ़ में राजनीति का खेला देखते रहिए… किसी ना किसी को त्याग करना ही होगा… नहीं तो…

सुरेश महापात्र । आगामी 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ की उम्र 21 बरस की हो जाएगी। बीते 21 बरसों में राज्य ने तीन मुख्यमंत्री देख लिए हैं। इसमें पहले अजित जोगी और दूसरे डा. रमन सिंह सीएम का पदभार ग्रहण करने के बाद विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इस प्रकार से भूपेश बघेल पहले से निर्वाचित विधायक होकर मुख्यमंत्री बने हैं। छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने से पहले इस राज्य के इतिहास को भी समझना जरूरी है। 15 अगस्‍त, 1947 के पूर्व देश में कई छोटी-बड़ी रियासतें एवं देशी राज्‍य अस्तित्‍व में

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म्यान में नहीं तलवारें…

यह खबर उडने के बाद प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया बार बार राग अलापते रहे कि ऐसी कोई बात नहीं है। ऐसा कोई फार्मूला शीर्ष नेतृत्व ने नहीं दिया है। दिवाकर मुक्तिबोध। इन दिनों छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीति में जो कुछ घट रहा है वह प्रदेश में पार्टी के भविष्य की दृष्टि से ठीक नहीं हैं। उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि आंतरिक झगडे व घात-प्रतिघात की वजह से पार्टी ने अपना बहुत नुकसान किया तथा वह पन्द्रह वर्षों तक सत्ता से बाहर रही। अगर 2018 के विधानसभा चुनाव में

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अपने ही गिरोहबंदी का शिकार होती कांग्रेस… शीर्ष नेतृत्व की निर्णय क्षमता की अग्निपरीक्षा में राहुल पास या फेल…

सुरेश महापात्र। कांग्रेस हाईकमान और आलाकमान ये दो शब्द इन दिनों सुर्खियों में रहे। हाईकमान और आलाकमान शब्द का निहितार्थ साफ है कि इनके पास सब कुछ सुधारने और बिगाड़ने का अधिकार है। यह शब्द लोकतांत्रिक तो कतई नहीं है। पूरी तरह व्यक्तिवादी इस शब्द का धड़ल्ले से उपयोग कांग्रेस की परंपरा रही है। जिन्हें इन शब्दों से गुरेज हुआ वे बाहर निकल गए या निकाल दिए गए…। जीर्ण—शीर्ण कांग्रेस को ताकत दिलाने की जिम्मेदारी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की शहादत के अरसे बाद सोनिया ने तब संभाली जब बतौर

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छत्तीसगढ़ में परिवर्तन को लेकर दिल्ली में दंगल के पीछे की कहानी… आखिर क्यों भूपेश ने टीएस को नजरअंदाज करना शुरू किया?

सुरेश महापात्र। फिलहाल छत्तीसगढ़ की गूंज दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में हो रही है। एक शांत और सौम्य राजनीतिक चेहरे के सामने आक्रामक राजनीति के पर्याय दिल्ली दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए जुटे हैं। आज दोपहर तक दिल्ली में छत्तीसगढ़ के करीब 50—60 विधायक पहुंच चुके होंगे। इन विधायकों में कितने किसके पक्ष में हैं यह जान पाना कतई संभव नहीं है। वैसे बहुत कम लोगों को यह याद होगा कि करीब 8—10 माह पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह यकायक रायपुर पहुंचे थे और सीएम

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भूपेश—सिंहदेव के फाइनल का डिसिजन आ गया मान लें या पेंडिंग समझें…!

सुरेश महापात्र। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन पर पूरे प्रदेश में जश्न का प्रदर्शन दरअसल उस शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा था जिससे सीएम दिल्ली में आलाकमान को संदेश देना चाहते थे। जब तक मुख्यमंत्री लोकप्रिय हो और जनता उनके साथ हो तब तक आलाकमान चाहकर भी उस लाइन को छोटी या विलोपित नहीं कर सकता। यह तथ्य सीएम भूपेश अच्छे से जानते हैं। यदि इसे शब्दों में कहा जाए तो इसे राजनीति ही कहते हैं। राजनीति में अपने प्रतिद्वंदी को छोटा दिखाने के लिए यह सबसे अचूक तरीका

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बस्तर में पिछले 15 बरसों में भाजपा सरकार ने आदिवासियों को पिछे ढकेलने का काम किया : कवासी लखमा

सुरेश महापात्र। मैं बस्तर का रहने वाला हूं। वहां की बोली, भाषा, समाज के साथ रहने वाला हूं। इसीलिए मुझे मुख्यमंत्री ने मुझे बस्तर का दायित्व सौंपा है… गुटबाजी ना तो मेरे मन में है ना मेरे दिल में… सरकार की नीति का क्रियान्वयन सही तरीके से हो और अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचे यही मेरा काम होगा… बस्तर संभाग के कोंटा विधानसभा क्षेत्र के अपराजित विधायक और इकलौते कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा को हाल ही में संभाग के पांच जिलों दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर, कोंडागांव और नारायणपुर का प्रभारी मंत्री

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सिलगेर के मसले पर कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा की साफगोई ‘जो हुआ उसे वापस लौटाया नहीं जा सकता पर न्याय तो होना ही चाहिए… जिसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है…’

बस्तर में 15 साल भाजपा सरकार के कार्यकाल में जितनी भी घटना आदिवासियों के अत्याचार की हुई एक बार भी भाजपा के मंत्री, विधायक झांकने तक नहीं गए : लखमा सुरेश महापात्र। बस्तर संभाग के कोंटा विधानसभा क्षेत्र के अपराजित विधायक और इकलौते कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा को हाल ही में संभाग के पांच जिलों दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर, कोंडागांव और नारायणपुर का प्रभारी मंत्री नियुक्त किया गया है। इस तरह से उनके हिस्से में बस्तर की 11 में से 9 विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सरकार ने सौंप दी है। उनकी

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बस्तर में राजनीति की दिशा बदल रहे हैं भूपेश… नेताम, सोढ़ी और कर्मा के बाद अब लखमा का दबदबा…

सुरेश महापात्र। रविवार को मुख्यमंत्री ने प्रदेश के जिला प्रभारी मंत्रियों के प्रभार जिला में बड़ा परिवर्तन किया है। इसमें सबसे बड़ा परिवर्तन बस्तर संभाग के उन पांच जिलों के नाम है। जिसमें कोंटा के पांच बार के विधायक और कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा को दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर, कोंडागांव और नारायणपुर का प्रभार सौंपा गया है। दंतेवाड़ा की राजनीति के लिए कवासी लखमा हमेशा महेंद्र कर्मा के लिए चुनौती रहे। दोनों नेताओं के बीच सिर्फ दिखावे का रिश्ता बचा रहा। दिग्विजय सिंह हों या अजित जोगी दोनों ने कवासी लखमा

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शानदार… बस्तर गर्ल नैना ने किया एवरेस्ट फतह!

पियूष कुमार की वॉल से… आज छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है कि बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर) पर फतह हासिल की है। वे यह उपलब्धि हासिल करनी वाली राज्य की द्वितीय महिला बन गयी है। नैना अब तक पर्वतारोहण के कई अभियानों को सफलतापूर्वक पार कर चुकी हैं। यह अभियान 60 दिनों का था। नैना के इस अभियान के लिए बस्तर जिला प्रशासन और एनएमडीसी ने मदद की थी। इससे पहले 1993 में भिलाई की सविता धपवाल

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महामारी के बीच बस्तर में हिंसा : कुछ सुलगते सवाल

राजेंद्र तिवारी. वरिष्ठ पत्रकार/संपादक। छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक उग्रवाद प्रभावित बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदर राज पी. का हाल ही में एक बयान आया है। उन्होंने अपने इस बयान में दावा किया है कि बस्तर के 8000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को नक्सलियों के कब्जे से मुक्त करा लिया गया है। पुलिस महानिरीक्षक के उक्त बयान के बाद नक्सलियों के प्रवक्ता विकल्प ने भी बयान जारी किया है। 22 अप्रैल को जारी इस बयान में विकल्प ने आरोप लगाया है कि सुरक्षाबलों द्वारा ड्रोन से उनके ऊपर हमले कराए जा रहे

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