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बस्तर के लोक अध्येता हरिहर वैष्णव नहीं रहे

पीयूष कुमार। बस्तर के सबसे बड़े लोक अध्येता हरिहर वैष्णव जी का निधन हो गया है। वे 66 वर्ष के थे। कोंडागांव (छत्तीसगढ़) निवासी हरिहर वैष्णव मूलतः कथाकार और कवि रहे हैं पर उनका सम्पूर्ण लेखन और शोध कर्म बस्तर पर ही केंद्रित रहा है। लोक का साहित्य उसकी वाचिक परम्परा में संरक्षित रहता है ऐसे में उसे लिपिबद्ध करना निश्चित ही महती कार्य है। इस लिहाज से बस्तर की समृद्ध लोक परम्पराओं खासतौर से हल्बी और भतरी भाषा के लोक को हरिहर जी ने विस्तार से लिपिबद्ध करके सुरक्षित

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Articles By Namesafarnama

जब कभी पलके बंद करो तो औरों के साथ वे भी हाज़िर… उनकी स्मृतियाँ हाज़िर… यह थे शरच्चंद्र माधव मुक्तिबोध

– दिवाकर मुक्तिबोध. छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-13 बबन काका को गुज़रे 37 वर्ष हो गए। जब कभी उनकी याद आती है तो एक दृश्य आँखों के सामने जीवंत हो उठता है। वे मुझसे कहते नज़र आते हैं-ज़रा, तुम्हारी टिकिट तो देना। मैं चुपचाप जेब से टिकिट निकालकर उन्हें देता और वे अपने बेटे व मुझसे छोटे प्रदीप को रेलवे की

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Articles By NameEditorialSarokarState News

हिंदी भाषा की लोकप्रियता में फिल्मों का अवदान…

बिकास के शर्मा. विगत एक सौ दस वर्षों की अपनी यात्रा में भारतीय सिनेमा विशेषकर हिंदी फिल्मों ने स्वदेश के साथ-साथ विदेशों में भी गाढ़ी लोकप्रियता हासिल की है। भारत में बनाने वाली हिंदी फिल्में संयुक्त अरब, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, पाकिस्तान, श्रीलंका, मॉरीसस आदि देशों में हिन्दी भाषा को प्रोत्साहित करती रहीं हैं और उन देश की सरहद के पार वहां के लोगों के मनोरंजन का एक प्रचलित साधन बनकर सामने आईं हैं। भारत जैसे बहुलतावादी देश में तो करीब-करीब सभी राज्यों में हिन्दी फिल्में देखी जाती हैं और उनके

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तो छत्तीसगढ़ में सीएम बदलना तय… राहुल की ताजपोशी के साथ भूपेश की नई भूमिका पर मंथन…

सुरेश महापात्र। यदि दावा सही है तो छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संगठन में नई भूमिका की तैयारी चल रही है। प्रबल संभावना है कि भूमिका तय होते ही छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री का चेहरा भी बदल जाएगा। इसके लिए संभव है टीएस सिंहदेव को राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी तक का इंतजार करना पड़े। कांग्रेस के सूत्रों की बात यदि सत्य है तो छत्तीसगढ़ में कमिटमेंट को लेकर राहुल ने अपनी राय स्पष्ट कर दी है। एक गुट का दावा है ‘फिलहाल सोनिया और प्रियंका

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फिलहाल छत्तीसगढ़ में राजनीति का खेला देखते रहिए… किसी ना किसी को त्याग करना ही होगा… नहीं तो…

सुरेश महापात्र । आगामी 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ की उम्र 21 बरस की हो जाएगी। बीते 21 बरसों में राज्य ने तीन मुख्यमंत्री देख लिए हैं। इसमें पहले अजित जोगी और दूसरे डा. रमन सिंह सीएम का पदभार ग्रहण करने के बाद विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इस प्रकार से भूपेश बघेल पहले से निर्वाचित विधायक होकर मुख्यमंत्री बने हैं। छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने से पहले इस राज्य के इतिहास को भी समझना जरूरी है। 15 अगस्‍त, 1947 के पूर्व देश में कई छोटी-बड़ी रियासतें एवं देशी राज्‍य अस्तित्‍व में

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म्यान में नहीं तलवारें…

यह खबर उडने के बाद प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया बार बार राग अलापते रहे कि ऐसी कोई बात नहीं है। ऐसा कोई फार्मूला शीर्ष नेतृत्व ने नहीं दिया है। दिवाकर मुक्तिबोध। इन दिनों छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीति में जो कुछ घट रहा है वह प्रदेश में पार्टी के भविष्य की दृष्टि से ठीक नहीं हैं। उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि आंतरिक झगडे व घात-प्रतिघात की वजह से पार्टी ने अपना बहुत नुकसान किया तथा वह पन्द्रह वर्षों तक सत्ता से बाहर रही। अगर 2018 के विधानसभा चुनाव में

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अपने ही गिरोहबंदी का शिकार होती कांग्रेस… शीर्ष नेतृत्व की निर्णय क्षमता की अग्निपरीक्षा में राहुल पास या फेल…

सुरेश महापात्र। कांग्रेस हाईकमान और आलाकमान ये दो शब्द इन दिनों सुर्खियों में रहे। हाईकमान और आलाकमान शब्द का निहितार्थ साफ है कि इनके पास सब कुछ सुधारने और बिगाड़ने का अधिकार है। यह शब्द लोकतांत्रिक तो कतई नहीं है। पूरी तरह व्यक्तिवादी इस शब्द का धड़ल्ले से उपयोग कांग्रेस की परंपरा रही है। जिन्हें इन शब्दों से गुरेज हुआ वे बाहर निकल गए या निकाल दिए गए…। जीर्ण—शीर्ण कांग्रेस को ताकत दिलाने की जिम्मेदारी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की शहादत के अरसे बाद सोनिया ने तब संभाली जब बतौर

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छत्तीसगढ़ में परिवर्तन को लेकर दिल्ली में दंगल के पीछे की कहानी… आखिर क्यों भूपेश ने टीएस को नजरअंदाज करना शुरू किया?

सुरेश महापात्र। फिलहाल छत्तीसगढ़ की गूंज दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में हो रही है। एक शांत और सौम्य राजनीतिक चेहरे के सामने आक्रामक राजनीति के पर्याय दिल्ली दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए जुटे हैं। आज दोपहर तक दिल्ली में छत्तीसगढ़ के करीब 50—60 विधायक पहुंच चुके होंगे। इन विधायकों में कितने किसके पक्ष में हैं यह जान पाना कतई संभव नहीं है। वैसे बहुत कम लोगों को यह याद होगा कि करीब 8—10 माह पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह यकायक रायपुर पहुंचे थे और सीएम

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भूपेश—सिंहदेव के फाइनल का डिसिजन आ गया मान लें या पेंडिंग समझें…!

सुरेश महापात्र। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन पर पूरे प्रदेश में जश्न का प्रदर्शन दरअसल उस शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा था जिससे सीएम दिल्ली में आलाकमान को संदेश देना चाहते थे। जब तक मुख्यमंत्री लोकप्रिय हो और जनता उनके साथ हो तब तक आलाकमान चाहकर भी उस लाइन को छोटी या विलोपित नहीं कर सकता। यह तथ्य सीएम भूपेश अच्छे से जानते हैं। यदि इसे शब्दों में कहा जाए तो इसे राजनीति ही कहते हैं। राजनीति में अपने प्रतिद्वंदी को छोटा दिखाने के लिए यह सबसे अचूक तरीका

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बस्तर में पिछले 15 बरसों में भाजपा सरकार ने आदिवासियों को पिछे ढकेलने का काम किया : कवासी लखमा

सुरेश महापात्र। मैं बस्तर का रहने वाला हूं। वहां की बोली, भाषा, समाज के साथ रहने वाला हूं। इसीलिए मुझे मुख्यमंत्री ने मुझे बस्तर का दायित्व सौंपा है… गुटबाजी ना तो मेरे मन में है ना मेरे दिल में… सरकार की नीति का क्रियान्वयन सही तरीके से हो और अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचे यही मेरा काम होगा… बस्तर संभाग के कोंटा विधानसभा क्षेत्र के अपराजित विधायक और इकलौते कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा को हाल ही में संभाग के पांच जिलों दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर, कोंडागांव और नारायणपुर का प्रभारी मंत्री

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