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सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारियों से बचना ज़रूरी: डॉ पुरी

राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान द्वारा सोशल मीडिया की भूमिका पर प्रशिक्षण हैदराबाद। बिकास के शर्मा। राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सोशल मीडिया पर आधारित प्रशिक्षण के दूसरे दिन मंगलवार को कम्यूनिकेशन कंसलटेंट डॉ सोनम महाजन पुरी ने सोशल मीडिया मार्केटिंग के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। देशभर से भाग ले रहे तीस प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया आज के डिजिटल युग का आधार है और दुनियाभर की जानकारी हमें सोशल मीडिया से ही हमें पारंपरिक

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EditorialMuddaState News

मुद्दा : तिरूपति लड्डू मामले में जो हो रहा है वह दूषित प्रसाद खाने से भी ज्यादा घिनौना…

सुरेश महापात्र। राजनीति में एक स्थापित सत्य है कि यह दो शब्दों का मिलन है जिसमें ‘राज’ और ‘नीति’ शामिल हैं। बीते कुछ समय से राजनीति की विद्रुपता चरम पर है। ‘राज’ अपनी ‘नीति’ स्थापित करने के लिए जिस तरह से घिनौना होता जा रहा है उससे हर तथ्य पर अब संदेह होने लगा है। ऐसा ही संदेह विश्वप्रसिद्ध तिरूपति बालाजी मंदिर के प्रसादम को लेकर उत्पन्न कर दिया गया है। जिन लोगों ने बीते कुछ बरसों में प्रसिद्ध ​तीर्थ स्थल में पूजा अर्चना की और वहां का भोग प्रसाद

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उन्मादित भीड़ या आल्हादित जनता? शपथ ग्रहण समारोह का हाल ए बयां…

सुरेश महापात्र। “उन्मादित भीड़ या आल्हादित जनता” यह तय कर पाना निहायत कठिन सा हो गया था आज! जब हम सभी शपथ ग्रहण कार्यक्रम का हिस्सा रहे। नेता या पार्टी की जीत से बड़ी विचारधारा की जीत या हार होती है। लोकतंत्र में विचारधारा ही मूल मंत्र है। हम यह मानते और जानते रहे हैं कि राजनीतिक दलों की अपनी एक विचारधारा होती है। मैंने बीते कुछ अरसे में यह जानने में सफलता पाई है कि “कांग्रेस” और “कांग्रेसी” सही मायने में विचारहीन राजनीतिक दल की श्रेणी में आती है।

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राजनीति के ‘अक्षुणमणि’ हैं हत्या दोषी ‘अमरमणि त्रिपाठी’ जिनकी रिहाई की अमर कहानी जानना जरूरी है… यह हिंदुस्तान की अमर राजनीति का गंध है…!

सुरेश महापात्र। हमारा समाज वास्तव में किन मूल्यों पर विश्वास कर रहा है और किन राजनीतिक मूल्यों के आधार पर राजनीतिक दलों का समर्थन यह तय करना कठिन है। हम बेहद निर्मम समझ वाले लोकतंत्र के सिपाही है हमें पता है हमारे वोट से चुना जाने वाला प्रत्याशी कानून का निर्माता हो जाता है। चाहे बाहुबलि हों, गैंगस्टर हों या दलाल उद्योगपति सभी राजनीति के असल लाभान्वित हैं। यही हिंदुस्तान की राजनीति का असल गंध है जिसके पैरोकारों में प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर मौन ही असल राजनीति है। जात—पात

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बदल रही है छत्तीसगढ़ की राजनीति

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ की राजनीति में पिछले कुछ समय से जो घटनाक्रम चल रहा है, वह इस बात का संकेत है कि प्रदेश की दो बड़ी राजनीतिक ताकतें आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जोरदार युद्धाभ्यास कर रही हैं। उनकी तैयारियां बताती हैं कि तीन महीने बाद होने वाला पांचवां चुनाव यकीनन पिछले चार के मुकाबले अधिक संघर्षपूर्ण और दिलचस्प होगा।  2018 के चुनाव में कांग्रेस ने भारी भरकम विजय पायी थी। उसे अगले चुनाव में भी बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती है जिसका दबाव उस पर है। 90 सीटों की

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पीएम मोदी से पहले गृहमंत्री अमित शाह का रायपुर दौरा क्यों?

डा. अवधेश मिश्रा। रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, गौरीशंकर अग्रवाल, प्रेम प्रकाश पाण्डेय, सरोज पाण्डेय, अमर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक, अजय चंद्राकर, विजय बघेल, केदार कश्यप, विक्रम उसेंडी, नारायण चंदेल, विष्णुदेव साय, विजय शर्मा, संतोष पाण्डेय, भईयालाल राजवाड़े, रेणुका सिंह…इनके अलावा और भी कुछ नाम हैं जो संभवतः छूट रहे हैं, मसला यह हैं कि यहां मौजूद नाम सिर्फ नाम है हां इन नामों की संख्या भाजपा के मौजूदा विधायकों की संख्या से कहीं ज्यादा है… खैर हम बात कर रहे हैं #पीएममोदी के दौरे से ठीक पहले केंद्रीय गृहमंत्री

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EditorialMuddaState News

दक्षिण में #कांग्रेस का अढ़ई साल का फार्मुला कहीं कांग्रेस को फुस्स ना कर दे… तीन राज्यों में फार्मुले का हश्र देखकर तो सीखा जा सकता है…

सुरेश महापात्र। पूरे देश में मोदी लहर का दौर है। शहरी आबादी में मोदी की ख्याति का कोई तोड़ अब तक विपक्ष ढूंढ नहीं पाई है। 2023 में पांच राज्यों के चुनाव के बाद 2024 में लोकसभा चुनाव तय है। ऐसे समय में पहले हिमांचल फिर कर्नाटक में कांग्रेस की भारी जीत से कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी सरीका परिणाम माना जा सकता है। कर्नाटक में कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा को बुरी तरह पराजित किया है। यह परिणाम इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस पर लगाए जा रहे राजनैतिक

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भाजपा की नयी कवायद पुराने हटेंगे नये आएंगे…

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ विधानसभा के इसी वर्ष नवंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के संदर्भ में काफी समय से यह चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी अधिकांश सीटों पर नये चेहरों को मौका देगी। विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 90 है और वर्तमान में भाजपा के केवल 14 विधायक हैं। इन 14 विधायकों में हर किसी को पुन: टिकिट मिल ही जाएगी ,कहना मुश्किल है। यानी इनमें से भी कुछ का पत्ता कटने की संभावना है। शेष 86 सीटों में अधिकांशतः नये चेहरे होंगे अलबत्ता उन प्रत्याशियों पर पुनः दांव

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EditorialMuddaState News

अगर नहीं संभले तो सांप्रदायिकता की आग में सब कुछ खाक हो जाएगा…

मुद्दे की बात… सुरेश महापात्र। छत्तीसगढ़ में ऐसा पहली—पहली बार होता दिख रहा है जब बेमेतरा जिला के साजा विधानसभा क्षेत्र के बिरनपुर जैसे छोटे से गांव से निकली सांप्रदायिकता की चिंगारी समूचे प्रदेश को अपने आगोश में लेते दिख रही है। छत्तीसगढ़ में करीब छह माह बाद विधानसभा चुनाव की तारीख तय है। ऐसे समय में बिरनपुर की यह चिंगारी और भी ज्यादा खतरनाक है। धार्मिक त्योहारों के दौरान छत्तीसगढ़ हमेशा से शांत ही रहा है। पर बीते कुछ समय से दिखाई दे रहा है कि धार्मिक जुलूस और

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सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा छह साल पहले रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को 4:1 के बहुमत से बरकरार रखा… फ़ैसले को समझें… जस्टिस नागरत्ना ने किन बिंदुओं से तय किया कि विमुद्रीकरण की प्रक्रिया ग़ैरक़ानूनी है…

इम्पेक्ट न्यूज़ डेस्क। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 4-1 के बहुमत ने माना कि, केंद्र सरकार की 8 नवंबर, 2016 की नोटबंदी की अधिसूचना वैध है और आनुपातिकता की कसौटी पर खरी उतरती है। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने अपने असहमतिपूर्ण विचार में कहा कि “हालांकि विमुद्रीकरण सुविचारित था, इसे कानूनी आधार पर (न कि उद्देश्यों के आधार पर) गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए।” जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यन और बीवी नागरत्ना वाले 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने, 7 दिसंबर, 2022 को, नोटबंदी की

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