diwakar muktibodh

Articles By Namesafarnama

जब कभी पलके बंद करो तो औरों के साथ वे भी हाज़िर… उनकी स्मृतियाँ हाज़िर… यह थे शरच्चंद्र माधव मुक्तिबोध

– दिवाकर मुक्तिबोध. छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-13 बबन काका को गुज़रे 37 वर्ष हो गए। जब कभी उनकी याद आती है तो एक दृश्य आँखों के सामने जीवंत हो उठता है। वे मुझसे कहते नज़र आते हैं-ज़रा, तुम्हारी टिकिट तो देना। मैं चुपचाप जेब से टिकिट निकालकर उन्हें देता और वे अपने बेटे व मुझसे छोटे प्रदीप को रेलवे की

Read More
EditorialState News

मुख्यमंत्री भूपेश के दो बरस के बाद… कहां पहुंचे हम!

सरकार की प्राथमिकता ग्रामीण विकास है अतः शहरों में आधारभूत संरचनाओं की चंद नयी योजनाओं को छोड़ दें तो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के उन्हीं कामों को पूरा किया जा रहा है जो अधूरे पडे थे। दरअसल विकास कार्यों में सबसे बड़ी अडचन पैसों की है।

Read More
safarnama

दैनिक भास्कर के संघर्ष के उस दौर में दीवान जी का साथ यक़ीनन बहुत महत्वपूर्ण घटना थी… सफरनामा दिवाकर मुक्तिबोध

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-11 #बसंत दीवान : दीवान जी जैसा बहुत सीनियर, कलावंत व प्रोफेशनल फ़ोटोग्राफ़र जिनका अच्छा ख़ासा स्टूडियो है, अच्छा नाम है, नौकरी करे? कुछ समझ मे नहीं आया। लेकिन मै मन ही मन बहुत ख़ुश हुआ कि उनके विराट अनुभव का लाभ दैनिक भास्कर को मिलेगा जिसकी आसमान को छूने की कोशिशें शुरू हो गई थी। –

Read More
safarnama

70-80 के दशक में क्षेत्रीय मीडिया को खंगालने का काम कोई युवा पत्रकार कर सकेगा, ऐसा सोचना भी कठिन था लेकिन तेज़िंदर ने वह कर दिखाया… सफरनामा दिवाकर मुक्तिबोध

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-10 #तेज़िंदर_गगन : प्रख्यात उपन्यासकार, कथाकार, कवि व पत्रकार। आकाशवाणी व दूरदर्शन का एक ऐसा मस्तमौला अधिकारी जिसने नौकरी के सिलसिले में देश के तमाम बड़े शहरों की ख़ाक छानी और अंतत: अपने घर-शहर रायपुर में आकर रिटायर हुआ। तब मुलाकातों व बातचीत का दौर तेज़ हुआ और जैसा कि मैंने कहा मोबाइल पर हमारी बातचीत पुरज़ोर

Read More
Articles By Namesafarnama

साहित्यिक बिरादरी उन्हें साहित्यकार नहीं मानती तथा पत्रकार खालिस पत्रकार का दर्जा नहीं देते… साहित्यिक पत्रकारिता में सुधीर जरूरी हस्ताक्षर है इसलिए संभव है निकट भविष्य में इस विधा में भी कोई संकलन सामने आए…

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-12 कवि-पत्रकार मित्र सुधीर सक्सेना पर संस्मरण की इस कड़ी के साथ ही ‘कुछ यादें कुछ बातें’ शृंखला पर अल्प विराम। इसी शीर्षक से कुछ और यादें जो प्रदीर्घ हैं, कुछ ठहरकर फ़ेसबुक पर नमूदार होंगी। समापन कड़ी के साथ पत्रकारिता की यादों के इस सफ़र में मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी कि मित्रों ने प्रतिक्रिया

Read More
safarnama

आलोक तोमर को मैं व्यक्तिगत रुप से नहीं जानता. औपचारिक परिचय का सिलसिला भी कभी नहीं बना… फिर भी बतौर पत्रकार मैं भावनात्मक रुप से जुड़ा रहा… सफरनामा दिवाकर मुक्बिोध

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-9 #आलोक तोमर के बहाने : आलोक तोमर को मैं व्यक्तिगत रुप से नहीं जानता. औपचारिक परिचय का सिलसिला भी कभी नहीं बना. हालांकि वे एकाधिक बार रायपुर आए पर खुद का परिचय देने के अजीब से संकोच की वजह से उनसे कभी नहीं मिल पाया किंतु बतौर पत्रकार मैं भावनात्मक रुप से उनसे काफी करीब रहा.

Read More
safarnama

जैसा नाम था वैसा ही चरित्र ‘नि​र्भीक’ पर खिंलदड़ स्भाव के नि​र्भीक की आत्महत्या की खबर ने झकझोर दिया… सफ़रनामा दिवाकर मुक्तिबोध…

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-8 – दिवाकर मुक्तिबोध #निर्भीक_वर्मा: जिस एक और दिवंगत पत्रकार मित्र की छवि मन से नहीं उतरी है, वह है निर्भीक वर्मा। अपने किसी प्रियजन जिसे आप हमेशा प्रफुल्लित देखते रहे हो, प्राय: रोज मिलते रहे हो, यदि किसी दिन उसकी मृत्यु की सूचना मिले तो जाहिर है आप संज्ञा शून्य हो जाएंगे। जिंदगी भर शोक को

Read More
AAJ-KALEditorial

अजीत जोगी के बाद…?

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि उनके नेतृत्व में गठित जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का भविष्य क्या होगा। कांग्रेस से अलग होने के बाद जोगी ने तीन वर्ष पूर्व नई प्रादेशिक पार्टी बनाई थी जिसकी पहिचान राज्य की तीसरी राजनीतिक शक्ति के रूप में हुई और इसने काफी हद तक इसे सिद्ध भी किया। वर्ष 2018 के अंत में हुआ विधान सभा चुनाव उसका पहिला चुनाव था जिसमें उसके पाँच उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। बसपा से उसका चुनावी

Read More