रेत की नई नीति से पर्यावरण की सुरक्षा के साथ राजस्व भी बढ़ेगा : अन्बलगन
- इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर.
रेत को लेकर राज्य सरकार की नई नीति कई मायनों में चर्चा का विषय बनी हुई है। रेत खदानों के टेंडर की प्रक्रिया के बाद बाजार में रेत की मारा—मारी काफी बढ़ गई है। इसका सबसे बड़ा कारण रेत की मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अंतर आ गया है। टेंडर की प्रक्रिया से पहले प्रदेश में पंचायतों और नगरीय निकायों के अधीन सभी घोषित—अघोषित रेत खदानों का संपादन चल रहा था।
सन 2016 में इसकी संख्या करीब 714 थी। वहीं वर्तमान में टेंडर प्रक्रिया के बाद फिलहाल केवल 60 खदानों में ही कार्य प्रारंभ हो पाया है। इस मसले को लेकर राज्य सरकार की नीति को व्यापक और पारदर्शी बनाया गया है। खनिज साधन विभाग का दावा है कि भले ही अभी सारी खदानें क्रियाशील नहीं हो पाई हैं पर आने वाले वक्त में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
रेत को लेकर राज्य सरकार की नीति पर्यावरण की रक्षा, उत्पादकता और पारदर्शिता पर आधारित है। यह कहना है खनिज साधन विभाग के सचिव अन्बलगन पी का। श्री अन्बलगन ने आज महानदी भवन में बस्तर इम्पेक्ट के साथ चर्चा में बताया कि रेत खदानों के टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सबसे बड़ा बदलाव दिखने लगेगा। वे कहते हैं निश्चित तौर पर रेत के भाव कम होंगे। यह कहना कि रेत को लेकर खदान ठेकेदार मनमानी करेंगे और इसका प्रभाव कीमतों पर पड़ेगा तो यह कुछ ही दिनों में स्पष्ट हो जाएगा। जब पूरा बाजार खुल जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश रेत के निर्गमन, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय निकायों की आय और शासन की आय में बढ़ोतरी के साथ नियंत्रित उत्पादन की है। यह समझना आवश्यक है कि नदियों के रेत के भंडार वास्तव में भू—जल स्तर के लिए फेफड़ों का काम करते हैं। मनमानी निकासी ने इसका नकारात्मक प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है। इसीलिए सभी खदानों को लेकर पर्यावरण क्लीयरेंस की प्रक्रिया भी इसमें शामिल की गई है।
राज्य शासन ने नरवा—गुरुवा—घुरवा और बाड़ी की जो नीति बनाई है इसी के तारतम्य में प्रदेश में खनिज खनन की प्रक्रिया को न्याय संगत बनाने का काम चल रहा है। श्री अन्बलगन ने बताया कि आने वाले दो से तीन महिने में प्रदेश की सभी रेत खदानों का काम शुरू हो जाएगा। इसके लिए हर स्तर पर निगरानी का सिस्टम डवलप किया जा रहा है। रेत की लोडिंग और ट्रांसपोर्टिंग की कीमत को लेकर भी स्पष्ट नीति बनाई जा रही है। उनका मानना है कि भाव नियंत्रण की नीति प्रक्रिया की पारदर्शिता से ही संभव है।
रेत खदान से जो भी वाहन परिवहन में लगेंगे उनके भी ट्रांसपोर्ट रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। यानी केवल पंजीकृत वाहनों से ही रेत का परिवहन किया जा सकेगा। इससे मानिटरिंग में ज्यादा आसानी आएगी।
2018 की स्थिति में प्रदेश में कुल 803 रेत खदान चिन्हित किए गए थे। इसमें से 723 के इन्वायरमेंट क्लीयरेंस का लक्ष्य निर्धारित था। वर्तमान में 470 खदानों के लिए आन लाइन आवेदन किया गया है। जिसमें से 363 खदानों के पर्यावरण क्लीयरेंस प्राप्त हुआ है। यानी आने वाले दिनों में इतने ही खदानों से रेत का उत्खनन हो सकेगा।
खनिज सचिव श्री अन्बलगन ने कहा कि नई व्यवस्था से स्थानीय निकायों को पहले से ज्यादा राजस्व की प्राप्ति हो सकेगी वहीं शासन को भी करीब 200 करोड़ रुपए के राजस्व का अनुमान है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो नई नीति बनाई है वह अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय साबित हो सकेगा।