स्कूल व महाविधालयो की परीक्षा होगा या नहीं स्पष्ट करे सरकार- कुंजाम
इम्पेक्ट न्यूज़ सुकमा।
आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष महेश कुंजाम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि शिक्षा सत्र 2019.-20 में होने वाली स्कूल व महाविधालयों की परीक्षाए वैश्विक कोरोना महामारी को देखते हुए प्रदेश में परीक्षाए रद्द किया गया है। आज प्रयन्त तक राज्य सरकार ने विधार्थियों को संशय में रखा है। छात्र सत्र 2019.-20 की परीक्षा होगा या जनरल प्रमोशन इधर आगामी शिक्षा सत्र मात्र एक माह शेष हैं अगली कक्षा में कैसे प्रवेश करे यह छात्र अपने आप को स्पष्ट कर नहीं पा रहे हैं। सरकार कब स्पष्ट करेगा परीक्षा या जनरल प्रमोशन यह स्पष्ट नहीं है ।वर्तमान में जो महामारी फैला है थमने की सम्भावना नहीं है ऐसे में सरकार छात्रों की भविष्य को लेकर अब तक अविलम्ब फैसला लेना चाहिए। सरकार की ओर से निम्न कक्षाए स्कूल महाविधालयीन छात्रों का जनरल प्रमोशन की बात तरह तरह के सोशल मीडिया व अखबारो में वायरल हो रहा था। लेकिन यह भी स्पष्ट नहीं है। और साथ ही छात्रों को आनलाईन पढ़ाई कराने की व्यवस्था की ।इसमे से सुकमा जिले में आनलाईन पढ़ाई मात्र 40 प्रतिशत तक ही जिला प्रशासन करा पायी बाकि 60 प्रतिशत छात्र क्या करें जिसमें से अधिकतर कई अतिसंवेदनशील क्षेत्रों से आते हैं जो नेट की सुविधा न दूरभाष की व्यवस्था है ये छात्रों का क्या होगा। और सरकार के आनलाईन परीक्षा कराने की बात कहा जा रहा है यह सम्भव नहीं है जो हर कोई छात्र आनलाईन परीक्षा दे पायेगें पूरे बस्तर संभाग में अतिसंवेदनशील क्षेत्र है जो हजारों आदिवासी छात्र भविष्य की पढ़ाई से वंचित होगें।
महेश कुंजाम ने कहा कि सरकार जब शराब बेचने को लेकर कैबिनेट और प्रशासनिक दल घण्टो . घण्टो बैठके कर फैसला लेती है लेकिन लाखो युवा युवती छात्रों का भविष्य अधर में है ये सरकार को नजर ही नहीं रहा । विधार्थियों का भविष्य इतनी कम आंकी जा रही शराब बिक्री को लेकर सरकार की तत्परता और छात्रों के भविष्य को लेकर अपाहिज सा रवैया सरकार की है। राज्य सरकार छात्रों की भविष्य को देखते हुए छात्रों की संशय को दूर करने जो भी हो फैसला तत्काल लिया जाना चाहिए विधार्थियो स्पष्ट हो सके कि उसे करना क्या है। नया सत्र प्रारम्भ होने को है छात्रों की भविष्य को सज्ञान मे रखते हुए राज्य सरकारए माननीय उच्च शिक्षा मंत्री माननीय मुख्यमंत्री जी छात्रों की समाधान का रास्ता स्पष्ट कर देना चाहिए। छात्रों के साथ खिलवाड़ करना उचित नही है।