सुलगते सिलगेर पर बाहरी हवा का दबाव…
सुरेश महापात्र। बस्तर के साथ अक्सर ऐसा ही होता रहा है। नक्सली और पुलिस यहां की दो धुरी है। जिनके इर्द-गिर्द समूचा सिस्टम संचालित होता रहा है। इस सिस्टम में पंचायत के सरपंच से लेकर जिला कलेक्टर तक शामिल हैं। पर जिन्हें सीधे तौर पर इस सिस्टम का हिस्सा होना चाहिए वे कहीं दिखते नहीं हैं। यानी बस्तर की जनता जिन्हें विधायक और सांसद चुनकर भेजती है वे नदारत रहते हैं। नक्सली यानी माओवादियों की सेंट्रल कमेटी से लेकर जन मिलिशिया जिन्हें माओवादियों की कथित जनताना सरकार के क्षेत्र का
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