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सुलगते सिलगेर पर बाहरी हवा का दबाव… 

सुरेश महापात्र। बस्तर के साथ अक्सर ऐसा ही होता रहा है। नक्सली और पुलिस यहां की दो धुरी है। जिनके इर्द-गिर्द समूचा सिस्टम संचालित होता रहा है। इस सिस्टम में पंचायत के सरपंच से लेकर जिला कलेक्टर तक शामिल हैं। पर जिन्हें सीधे तौर पर इस सिस्टम का हिस्सा होना चाहिए वे कहीं दिखते नहीं हैं। यानी बस्तर की जनता जिन्हें विधायक और सांसद चुनकर भेजती है वे नदारत रहते हैं।  नक्सली यानी माओवादियों की सेंट्रल कमेटी से लेकर जन मिलिशिया जिन्हें माओवादियों की कथित जनताना सरकार के क्षेत्र का

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EditorialNazriya

हमे अपनी वही पुरानी शिक्षा पद्धति लौटा दो… जिसमें गुरूजी से डर लगता था और…

सुरेश महापात्र। शिक्षा को लेकर इतने सारे प्रयोग हो चुके हैं कि अब किसी गैरवाजिब प्रयोग की मुख़ालफ़त कर देना चाहिए। शिक्षा पद्धति में बदलाव के नाम पर सरकारों ने शिक्षा का बाजारूकरण ज्यादा किया है और हिंदी—अंग्रेजी, निजी—सरकारी स्कूल के वर्गभेद की दीवार खड़ी करने के सिवाए कुछ बेहतर नहीं किया है। आप जरा याद करें कि शिक्षा पद्धति में अब जो बदलाव किए जा रहे हैं क्या वे उस स्थिति से बेहतर हैं जो हमने 1985 से पहले देखा है? शायद नहीं! वजह साफ है कि हमे बीते

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बस्तर की नई राजनीतिक धुरी गढ़ने की तैयारी में हैं भूपेश बघेल…

सुरेश महापात्र। बस्तर में 1980 के दौर से राजनीतिक धुरी जो 2013 तक पूरी तरह से खत्म हो गई उसे नए सिरे से गढ़ने की तैयारी भूपेश बघेल कर रहे हैं। यह सुनने में भले ही अटपटा सा लगे पर यह सबसे बड़ी सच्चाई है कि बस्तर की सभी सीट हार चुकी भारतीय जनता पार्टी और सत्ता रूढ़ कांग्रेस के पास कोई एक ऐसा चेहरा नहीं है जो सभी की पसंद भले ना हो पर एक धुरी बनकर खड़ा हो सके। जिसके इर्द—गिर्द बस्तर की राजनीति घुमाई जा सके। राज्य

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गोधन न्याय योजना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उभारने का सुराजी माॅडल…

सौरभ शर्मा. आलेख। छत्तीसगढ़ में सुराजी गांवों के महात्मा गांधी माॅडल पर काम हो रहा है। देश के लिए गांधी जी के दो तरह के माॅडल थे शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक अर्थव्यवस्था के लिए ट्रस्टीशीप माॅडल और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का माॅडल। इन दोनों माॅडलों की गंभीरता से समीक्षा करें तो आर्थिक मामलों में गांधी जी की असाधारण समझ सामने आती है। आजादी को लेकर किया गया उनका पूरा आंदोलन भी भारत को स्वतंत्रता दिलाने के साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में एक

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EditorialNaxalNazriyaState News

तो यह तय करना कठिन होगा कि उन्होंने न्याय किया या इन्होंने… इसलिए कृपया फर्जी मुठभेड़ों को न्याय मत मानिए…

सुरेश महापात्र। छत्तीसगढ़ में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की सैकड़ों कहानियों का सच किसी को अब तक पता नहीं। सैकड़ों माओवादियों की मौत मुठभेड़ के नाम दर्ज हैं। वहीं कई ऐसे मामले भी हैं जिनमें ना तो मुठभेड़ दर्ज किए गए और ना ही किसी पर आरोप तय किया जा सका। मौतें सहज तौर पर आदिवासियों की ही हुई। मारने वाले वर्दीदारी ही थे। वे पुलिस की वर्दी में थे या माओवादियों की वर्दी में इस बहस का कोई मायने इसलिए नहीं है क्योंकि बस्तर में कानून का

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क़ीमती बिवाइयाँ, पीर देश की..!

मनोज त्रिवेदी। आप कई राष्ट्रीय समाचार पत्रों में उच्च प्रबंधकीय दायित्व संभाल चुके हैं। लेखन के प्रति उनकी गहरी रूचि उनके सोशल मीडिया मंच पर नियमित प्रदर्शित होती है। बेहद संवेदनशील व्यक्ति किसी व्यवस्थागत पीड़ा को कैसे महसूस कर सकता है… यह इनके शब्दों से समझा जा सकता है… इस आलेख का स्पंदन… जस का तय पाठको के लिए… कहा जाता है जाके पैर ना पड़े बिवाई वो का जाने पीर पराई यूँ ही नही कही गई होगी, भूख, बीमारी, रोज़गार, स्वास्थ्य,परिवार,गाँव और देश,एक एक छालों में गहरी उतरी है।

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अदृश्य युद्ध के दौर में…

कुछ लोगों का लिक्खा सिर्फ इसलिए अच्छा नहीं हो जाता कि वे वैसे पद पर हैं जहां बुरा बोलने के लिए भी हैसियत चाहिए… पर इनके साथ ऐसा नहीं है… ये लिखते हैं तो मर्म को स्पर्श करते हैं इनके शब्द… तारण प्रकाश सिन्हा के फेसबुक वॉल से… निश्चित ही यह एक अकल्पनीय समय है। वह घटित हो रहा है, जो किसी ने कभी सोचा तक नहीं था। आगे बढ़ती हुई एक सदी अचानक थम गई, बीती हुई सदी अपने तमाम जख्मों के साथ फिर प्रकट हो गई। फिर वही

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फिर दमका देश का नया विश्वास… छत्तीसगढ़…

-उमेश मिश्र. फिर एक बार छत्तीसगढ़ ने देश का विश्वास जीता है । फिर एक बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की खांटी छत्तीसगढ़िया छवि और जमीनी रणनीति तारणहार बनी है।फिर एक बार साबित हुआ कि लीडर का जुनून और जनता से जुड़ाव बड़े से बड़े मर्ज का इलाज है ,वह मर्ज ‘कोरोना ‘ जैसा महाप्रलयंकारी अजूबा क्यों ना हो। एक बार फिर श्री बघेल का नेतृत्व और उसके साथ छत्तीसगढ़ विजेता बना है। ‘कोविड- 19 ‘ जिस रूप और जिस दौर में सात समंदर और सैकड़ों नदियों- पहाड़ों को लांघता हुआ

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पूर्व सीएम रमन को सीएम सलाहकार रूचिर का जवाब… आपके पत्र की भाषा सामंती…

इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह में कोरोना संकट को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने कई सलाह दी। इस पत्र के मजमून पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग का जवाबी पत्र अब सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। करीब 40 बरस तक पत्रकारिता के बाद विपत्ति काल में कांग्रेस का दामन थामना वाले रूचिर जब कहते हैं तो उसमें तथ्य ज्यादा होते हैं वे लेखन की बारीकियाँ को पकड़ लेते हैं पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के पत्र पर सामंती सोच का

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सिर्फ तबलिगी ही नहीं लाखों विदेशी सैलानी भी देश के लिए चुनौती…

कोरोना संक्रमण : भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय की जनवरी 2020 की रिपोर्ट से अनुमान लग सकता है लॉकडाउन से पहले कितने विदेशी पहुंचे होंगे… अब विदेश नीति, वीजा नीति, पर्यटन उद्योग और रोजगार जैसे मसलों के लिए आने वाले दौर में बड़ी चुनौती… सुरेश महापात्र। पूरी दुनिया में टूरिस्ट वीजा पर जिस तरह भारतीय काम करते रहे हैं उसी तरह टूरिस्ट वीजा पर तबलिगी जमात से कोरोना भी पहुंचा। यदि आपके मन में यह सवाल उठ रहा हो कि यदि दुनिया के देशों में कोरोना का संक्रमण था और उसके

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