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कोरोना इफेक्ट : केरल से मजदूर पैदल चलकर पहुंचे कोड़ेनार अपने गांव…

  • रितेश जोशी। इम्पेकट न्यूज. तोकापाल।
मजदूरों के पैर पर मजबूरी के सबूत

कोरोना ने हिंदुस्तान के ग्रामीण तबके पर कितना गंभीर असर डाला है तो आज सुबह बस्तर जिला के कोड़ेनार गांव पहुंचे इन मजदूरों के पूछा जा सकता है। ये मजदूर बस्तर से काम की तलाश में हिंदुस्तान के अंतिम छोर केरला गए थे।

इन मजदूरों ने अपनी व्यथा बताते कहा कि वे सभी ओरछा नारायणपुर जिला के निवासी हैं। वहां काम पर ले गए ठेकेदार ने सभी को हटा दिया। उन्हें एक मालगाड़ी में बिठा दिया। उसके बाद वे ओडिसा पहुंचे जहां से पैदल यहां तक आए हैं। इन मजदूरों की संख्या 17 है।

आज सुबह ये जब तोकापाल में थककर बैठ गए तो इन्हें देखकर ग्रामीणों ने पूछताछ की। जिसके बाद प्रशासन को सूचना दी गई। जिस पर तोकापाल के तहसीलदार ने सभी से पूछताछ के बाद स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया। इन मजदूरों ने बताया कि इनके रिश्तेदार कोड़ेनार में रहते हैं। बंद के दौरान वे अपने रिश्तेदार के यहां रह लेंगे।

वहां कोरोना के संक्रमण के बाद जैसे ही काम ठप हुआ इनके पास वापस लौटने के सिवाए कोई दूसरा चारा नहीं था। वे केरला से वापसी के लिए निकले तब तक पूरे देश में पाबंदियों का दौर शुरू हो गया।

इलाके से कस्बा, कस्बे से शहर और शहर से जिले के बाद प्रदेश और देशभर में आवाजाही पर लगा प्रतिबंध प्रभावित हो गया। इन प्रतिबंधों का सबसे ज्यादा बुरा असर गरीब तबकों पर पड़ा है। उनके पास सार्वजनिक वाहनों से ही आवाजाही की सुविधा है।

रेल बंद हो गया और यात्री बसें भी ठहर गईं। बस रह गए दो पांव जिसे ईश्वर ने इंसानी देह के साथ भेजा है। ये मजदूर बताते हैं कि इन्होंने एक लंबा फासला पैदल ही तय किया। आज सुबह जब वे जगदलपुर से तोकापाल पहुंचे तो वहां थककर बैठ गए।

बंद के दौरान मजदूरों को देखने के बाद कोरोना से मुस्तैद प्रशासन और पुलिस भी पहुंची। फिलहाल पूछताछ चल रही है। संभव है सभी की जांच भी हो। इसके बाद ये अपने गांव तक पहुंच सकेंगे।

यह कहानी केवल कोड़ेनार की नहीं है बल्कि इस जैसे सैकड़ों गांव बस्तर की आंचल में हैं जहां से लोग आजीविका के लिए बाहर जाते हैं जब मुसीबत आती है तो ऐसे ही लौटते हैं जैसा अभी हुुआ है…

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