राजधानी में ठेके से सफाई व्यवस्था होगी खत्म… हर माह एक करोड़ खर्च कर रहा निगम…
इम्पैक्ट डेस्क.
रायपुर। शहर के 70 वार्डों में साफ-सफाई पर निगम हर माह करीब एक करोड़ रुपये खर्च कर रहा है, इसके बावजूद गंदगी से छुटकारा नहीं मिल रहा है। ऐसे में निगम प्रशासन ठेके पर सफाई व्यवस्था को खत्म करने का विचार कर रहा है। दरअसल, महापौर एजाज ढेबर और सभी पार्षद इंदौर और चंडीगढ़ नगर निगम की साफ-सफाई व्यवस्था देखकर लौटे हैं। महापौर एजाज ढेबर ने देखा कि दोनों श्ाहरों में ठेके पर सफाई कराने के बजाय निगम प्रशासन अपने सफाई कामगारों और एनजीओ का सहयोग लेकर वार्डों की सफाई करा रहा है।
चुस्त मानिटरिंग की वजह से सफाई व्यवस्था पुख्ता है और निगम प्रशासन को कम खर्च करना पड़ रहा है। वर्तमान में ठेके पर रायपुर निगम में प्लेसमेंट पर 3,275 सफाई कामगारों को रखा गया है। जबकि, कचरा कलेक्शन के लिए दिल्ली की रामकी कंपनी अलग से ठेके पर काम कर रही है।
इंदौर और चंड़ीगढ़ के अध्ययन दौरे से लौटने के बाद महापौर एजाज ढेबर ने साफ किया है कि अब ठेका प्रथा पर सफाई व्यवस्था को बंद किया जाएगा। दरअसल, इंदौर में नियमित सफाई कामगार से आठ घंटे काम लिया जा रहा है, लिहाजा यह व्यवस्था रायपुर में भी लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए निगम के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की अगले सप्ताह बैठक बुलाकर चर्चा करके फैसला लेने की संभावना है।
अफसरों ने बताया कि वर्तमान में नगर निगम में ठेके पर 3,275 सफाई कामगार 70 वार्डों की साफ-सफाई का काम कर रहे है। इन पर हर माह एक करोड़ रुपये खर्च हो रहा है। इसके साथ ही ठेके पर कचरा कलेक्शन के लिए उपकरण, वाहनों का भी उपयोग होने से निगम को बड़ा खर्च करना पड़ता है।
गड़बड़ी करते है ठेकेदार
सफाई ठेकेदार अपने कामगारों को वार्डों में हर रोज कम संख्या में भेजते हैं, लेकिन हाजिरी रजिस्टर में पूरे कामगारों की उपस्थिति दर्ज कराकर निगम में बिल पेशकर लाखों रुपये का भुगतान प्राप्त कर लेते हैं। बीच में निगम के स्वास्थ्य विभाग ने सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने वार्डों में जाकर कामगारों की गिनती शुरू की तो यह सारी गड़बड़ी सामने आई। ऐसा करने वाले ठेकेदारों से जुर्माना वसूलने के साथ उनके बिल भी रोके गए। बाद में जांच बंद होने पर फिर से हालात जस के तस हो गए है।