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#CSR #CURRUPTION पालिटेक्निक कॉलेज में सप्लाई के बाद ही बहुत सी सामग्री के ‘डी—ग्रेड’ होने की लिखित सूचना फैकेल्टी ने दे दी थी… खबर से बमके सीएसआर डीजीएम ने कॉलेज बंद कराने की धमकी दी…

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  • फेकेल्टी को चेतावनी यहां की बाते मीडिया तक ना पहुंचे…
  • मीडिया के प्रवेश पर रोक लगाने का निर्देश भी दिया…

इम्पेक्ट न्यूज। दंतेवाड़ा।

जावंगा में एनएमडीसी द्वारा संचालित पालिटेक्निक कॉलेज में घटिया सामान की सप्लाई का मामला तूल पकड़ चुका है। इम्पेक्ट की खबर के बाद एनएमडीसी बचेली के डीजीएम सीएसआर श्री उपाध्याय कॉलेज पहुंचे। डीजीएम इस बात से खासे नाराज दिखे कि यह खबर मीडिया तक किसने और कैसे पहुंचाई।

उन्होंने सभी स्टाफ को इस बारे में साफ चेतावनी भी दी कि कॉलेज की इमेज खराब हुई तो इसे बंद करवा दिया जाएगा। इधर डीजीएम ने जावंगा में बैठक के दौरान सभी कर्मचारियों के मोबाइल बाहर रखवा दिए ताकि इसकी रिकार्डिंग ना की जा सके। इसके बाद उन्होंने पालिटेक्निक कॉलेज प्रबंधन को चेतावनी दी कि अब किसी भी मीडिया कर्मी को यहां प्रवेश ना दिया जाए।

सुबह खबर के बाद दोपहर में डीजीएम पहुंचे। वहां उन्होंने पहले वन टू वन चर्चा की। इसके बाद फैकेल्टी हेड के साथ बैठक की। साथ ही सामूहिक तौर पर बैठक करते उन्होंने कई तरह की चेतावनी दी। बताया जा रहा है कि पालिटेक्निक कॉलेज में डी ग्रेड के सामग्री सप्लाई की खबर से एनएमडीसी प्रबंधन इसलिए नाराज है क्योंकि सप्लाई किए गए सामग्री की फिजिकल वेरिफिकेशन में एनएमडीसी के लोग भी शामिल थे। इससे सीएसआर राशि के उपयोग में गड़बड़ी को लेकर बवाल मच गया है।

जानकारी मिली है कि हैदराबाद प्रबंधन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधितों से जवाब तलब किया है। इधर कॉलेज में इस मामले को लेकर हुई डीजीएम के बैठक संबंधित गतिविधि पर पालिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य मुकेश ठाकुर से मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की गई। उन्होंने कोई रिप्लाई नहीं किया।

जावंगा पालिटेक्निक कॉलेज में सामग्री की खरीदी में गड़बड़ी का यह कोई पहला मामला नहीं है। बताया जा रहा है कि सीएसआर मद द्वारा संचालित इस कॉलेज के लिए एनएमडीसी राशि आबंटित करता है। इसलिए इससे जुड़े व्यय पर उसकी निगरानी भी होती है। कॉलेज प्रबंधन से आवश्यकता मंगवाकर उसके लिए खरीदी की प्रक्रिया पूरी करने की जिम्मेदारी प्रशासन के हिस्से है। जिसके तहत दंतेवाड़ा में संचालित आजीविका कॉलेज के प्रबंधक को अधिकृत किया गया है। जो कि स्वयं संवि​दा के आधार पर कार्यरत हैं। वहीं भुगतान की प्रक्रिया में सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विकास विभाग को भी शामिल किया गया है।

सामग्री प्रदान के बाद स्टाक में दर्ज करने से पहले उसके भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया का पालन करना होता है। सारा खेल इसी दौरान किया जाता है। बताया जा रहा है कि इस बार सामग्री सप्लाई के बाद फैकेल्टी हैड द्वारा कई विद्युत सबंधित उपकरणों के डी ग्रेड होने की लिखित सूचना भी दी थी। जिसे दबा दिया गया।

खैर अभी तक जिला प्रशासन द्वारा गठित जांच टीम की रिपोर्ट नहीं आई है। इसके बाहर आने के बाद ही पूरे मामले से पर्दा हटने की उम्मीद की जा रही है।

इम्पेक्ट लगातार

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खबर पर प्रतिक्रिया

दंतेवाड़ा आवराभाटा के सुकधर ने कहा ‘इम्पेक्ट ने सच्चाई उजागर की है। इस मामले की पूरी और निष्पक्ष जांच जरूरी है। एनएमडीसी के सीएसआर से करोड़ों रुपए प्राप्त होते हैं। जिसका दुरूपयोग किया जाता है। इसके कारण सीएसआर का सही लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पाता है।’

जैनेंद्र सिंह ने कहा ‘यह कोई पहला मामला नहीं है। एनएमडीसी के सीएसआर पैसे की बंदरबांट हो जाती है। जिस कॉलेज में पुस्तक देना चाहिए वहां घटिया सामान देकर कमीशन खाया जा रहा है।’

गीदम के पवन शर्मा ने कहा ‘इम्पेक्ट टीम को बधाई। सच्चाई उजागर की।’

जगदलपुर के दीलिप देवांगन ने कहा ‘एनएमडीसी और रेलवे मिलकर बस्तर को छल रहे हैं। स्थानीय लोगों को उतना लाभ नहीं मिल रहा है जितना मिलना चाहिए। एनएमडीसी द्वारा संचालित सभी संस्थाओं में इसी तरह की अनियमितता है। कमीशन और भ्रष्टाचार में सारा पैसा बंट जाता है। जांच होनी चाहिए।’