तो छत्तीसगढ़ में सीएम बदलना तय… राहुल की ताजपोशी के साथ भूपेश की नई भूमिका पर मंथन…
- सुरेश महापात्र।
यदि दावा सही है तो छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संगठन में नई भूमिका की तैयारी चल रही है। प्रबल संभावना है कि भूमिका तय होते ही छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री का चेहरा भी बदल जाएगा। इसके लिए संभव है टीएस सिंहदेव को राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी तक का इंतजार करना पड़े।
कांग्रेस के सूत्रों की बात यदि सत्य है तो छत्तीसगढ़ में कमिटमेंट को लेकर राहुल ने अपनी राय स्पष्ट कर दी है। एक गुट का दावा है ‘फिलहाल सोनिया और प्रियंका के चलते इसके क्रियान्वयन में विलंब हुआ है।’ बीते अगस्त में दिल्ली में चले घटनाक्रम के बाद भूपेश को स्पष्ट संदेश दिया जा चुका है।
फिलहाल प्रदेश में राहुल गांधी के संभावित प्रयास को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप देने का प्रयास है। प्रदेश में अपने प्रवास को लेकर राहुल ने जो संकेत दिया था उसके निहितार्थ को बदलने की कोशिश की गई। दरअसल राहुल ने आपस में कमिटमेंट की याद दिलाते स्पष्ट कर दिया था कि सुलह के साथ परिवर्तन को अंतिम रूप दिया जाए। साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ प्रवास पर जाने को लेकर सहमति दी थी। जिसकी तारीख अब तक तय नहीं हो पाई है।
हाल ही में सीएम हाउस में तीजा पोरा के कार्यक्रम में भूपेश मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगी और नंबर दो टीएस सिंहदेव भी पहुंचे। पूरे कार्यक्रम के दौरान भूपेश और टीएस बाबा के बीच भाव भंगिमा पर भी लोगों की नजर लगी रही। लोग उस कार्यक्रम के दौरान की हर गतिविधि पर बड़ी बारिकी से नजर रखे हुए थे। कार्यक्रम के दौरान टीएस बाबा का सीएम भूपेश के साथ चेयर शेयर करना भी कई संदेश देता रहा।
दिल्ली से लौटने के बाद भले ही सतह पर सब कुछ सामान्य दिखाई दे रहा है पर अंदरखाने में भारी हलचल है। राहुल के जम्मू दौरे में छत्तीसगढ़ के किसान की उनसे मुलाक़ात के संदर्भ में भी सवाल उठने लगा है। इस प्रकरण में राजनांदगाँव कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा की भूमिका है। किसान से मुलाक़ात और उससे जुड़ी खबर को लेकर कांग्रेस का एक धड़ा भूपेश की बचाव रणनीति का हिस्सा मान रहा है।
इधर दिल्ली के घटनाक्रम के बाद हाल ही के दिनों में सरकार ने कई कदम उठाए हैं। जिसे लेकर भी यह कयास है कि ऐसे सारे कदम दरअसल चुनावी साल में लोक लुभावन रणनीति के तौर पर लिए जाते हैं। पर यहां ताबड़तोड़ तरीके से राज्य सरकार अपने फैसलों पर मुहर लगाती दिख रही है।
सरकार ने यकायक नौकरी का पिटारा खोल दिया। बस संचालकों की मांगों का पूरा कर दिया। डीए का फैसला कर दिया। सूखे के हालत में किसानों के लिए राहत का ऐलान तक कर दिया। इसके अलावा और भी बहुत सारे बड़े फैसले सरकार तेजी से ले रही है। जिसके पीछे भावी परिवर्तन को बड़ा कारण माना जा रहा है।
अब रही बात भूपेश बघेल के दिल्ली वाले घटनाक्रम के दौरान प्रदेश के विधायकों में कई ऐसे चेहरे रहे जो नदारत रहे। उनमें सबसे महत्वपूर्ण दंतेवाड़ा विधायक देवती महेंद्र कर्मा और उनका परिवार भी है। शहीद महेंद्र कर्मा के परिवार के साथ सोनिया—राहुल गांधी का विशेष जुड़ाव है। फिर भी उनका परिवार दिल्ली पहुंचा ही नहीं।
बस्तर में विधायकों को साधने का काम मंत्री कवासी लखमा की जगह क्रेडा अध्यक्ष मिथिलेश स्वर्णकार ने निभाया। उन्होंने ही विधायकों से संपर्क कर दिल्ली चलने के लिए कहा। पर यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि सीएम भूपेश की ओर से देवती को संदेश पहुंचा या नहीं। पर सूत्रों का दावा है कि वे टीएस बाबा के कहने पर रायपुर में ही टिके रहे। देवती कर्मा स्वयं मंत्री पद की दावेदार हैं। उन्हें कोंटा विधायक कवासी लखमा को मंत्रिमंडल में रखते हुए मंत्री बनाए जाने की कोई संभावना भूपेश मंत्रिमंडल में नहीं है।
वे टीएस बाबा के संपर्क में हैं। वहीं बस्तर विधायक और प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल भी टीएस बाबा के करीबी माने जाते हैं। मोहन मरकाम पीसीसी चेयरमैन हैं। पर वे किसके साथ हैं यह इसी से स्पष्ट है कि इस पूरे घटनाक्रम पर मोहन मरकाम ने चुप्पी साध रखी है। इनके अलावा और भी कुछ विधायक हैं जिनसे टीएस बाबा की बात हुई है। पर कोई कुछ भी खुलकर बता नहीं रहा है। सभी की निगाहें हाईकमान के फैसले पर लगी है।
कांकेर विधायक शिशुपाल सोरी भले ही भूपेश बघेल के साथ हैं पर वे कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव राजेश तिवारी के करीबी हैं। यानि अंतिम क्षण में राजेश तिवारी (जो फिलहाल उत्तरप्रदेश में महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ जुटे हैं) के फैसले के साथ वे खड़े हो जाएंगे।
इसके अलावा नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप, भानुप्रतापुर विधायक मनोज मंडावी और केशकाल विधायक का रूख स्पष्ट नहीं है। कोंटा विधायक कवासी लखमा, जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन, बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी और चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम सीएम भूपेश बघेल के साथ हैं।
बस्तर और सरगुजा से कांग्रेस को एकतरफा जीत हासिल हुई है। इन दो बेल्ट पर कांग्रेस को अपना परिणाम दोहरा पाना फिलहाल असंभव है। ऐसे में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव के दौरान चेहरा परिवर्तन को लेकर भी कयास है।
सबसे बड़ा सवाल है कि छत्तीसगढ़ के कितने विधायक भूपेश के साथ हैं। तो इसमें दिल्ली जाने वाले विधायकों में देवेंद्र यादव, ममता चंद्राकर, शकुंतला साहू, शिशुपाल सोरी, विनोद चन्द्राकर, आशीष छाबड़ा, किस्मत लाल नन्द, यूडी मिंज, बृहस्पति सिंह, विकास उपाध्याय, गुलाब कमरो, विनय जायसवाल, कुलदीप जुनेजा, चिंतामणि महाराज, अमर जीत भगत, विक्रम मंडावी, कवासी लखमा, राजमन बेंजाम, रेखचंद जैन मुख्य तौर पर शामिल रहे।
यानी कांग्रेस में स्पष्ट तौर पर खेमा बंट चुका है। दोनों खेमा से जुड़े नेताओं का अपना दावा कुछ भी हो सकता है। पर हकीकत में फिलहाल राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना खत्म नहीं हुई है। राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ दौरा को लेकर तैयारी चल रही है साथ ही भूपेश से जुड़े रणनीतिकार मन टटोलने में जुटे हैं।
राहुल के संभावित बस्तर प्रवास की तैयारियों के साथ हाल ही में मीडिया सलाहकार रुचिर गर्ग बस्तर के दौरे पर रहे। वे बीजापुर, सुकमा, कोंटा, दंतेवाड़ा और जगदलपुर में मीडियाकर्मियों से खुलकर मिले। भले ही यह उनका अनौपचारिक दौरा रहा। पर इस दौरा के राजनीतिक मायने निकालने की कोशिश हो रही है।
विनोद वर्मा और रुचिर गर्ग दोनों सीएम भूपेश के अत्यंत करीबियों में हैं। दोनों राजनीति में शामिल होने से पूर्व पत्रकारिता के स्तंभ रह चुके हैं। ऐसे में मीडिया से ही प्रदेश में सत्ता के प्रभाव को साफ समझा जा सकता है। यह सब कुछ ऐसे दौर में हो रहा है जब राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सुगबुगाहट खत्म नहीं हुुई है।
प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में यह संकेत साफ है कि यदि राहुल कमिटमेंट पर कायम रहे तो राहुल की ताजपोशी के साथ ही भूपेश बघेल की कांग्रेस में नई भूमिका को लेकर अंतिम फैसला हो जाएगा। सीएम भूपेश के करीबियों में से एक ने यह स्पष्ट कहा कि ‘मैडम और प्रियंका जी के कारण फिलहाल मामला अटका है। राहुल जी ने तो अपना स्टैंड साफ कर दिया है।’
हाल ही में कैबिनेट की बैठक के बाद यह टिप्पणी भी सामने आई कि यह भूपेश की अंतिम कैबिनेट है। सीएम के तौर पर भूपेश के द्वारा लिए गए फैसलों पर अंतिम मुहर कैबिनेट ने लगा दी है। सीएम इन वेटिंग टीएस बाबा शांत रहते बदलाव की तारीख का इंतजार कर रहे हैं। कुल मिलाकर कयास है छत्तीसगढ़ में सीएम बदलना तय है। संभव है राहुल की ताजपोशी के साथ भूपेश की नई भूमिका पर भी मंथन का परिणाम आ जाएगा।