केंद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति को दी मंजूरी… यूजीसी भी खत्म… जान लें पूरी बात…
इम्पेक्ट न्यूज डेस्क।
शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव के लिए मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को दी मंजूरी, HRD का बदला नाम
शिक्षा क्षेत्र में बड़े सुधार के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नई शिक्षा नीति (NEP) को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य एजुकेशन सिस्टम को पूरी तरह बदलना है। अब उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक संस्था होगी। हालांकि, त्रिभाषा फॉर्मूला को जारी रखा गया है। इसके अलावा मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
नई शिक्षा नीति के बारे में 3 वर्षो से अधिक समय तक अध्यापकों, छात्रों, जन प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, राज्य सरकारों आदि के साथ परामर्श किया गया। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा था कि 33 वर्ष के अंतराल के बाद तैयार नई शिक्षा नीति में ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान के साथ धरोहर को आगे रखने का संकल्प एवं विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचने का खाका है। (रमेश पोखरियाल निशंक)
केंद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति, 2019 को (New Education Policy, 2019) को हरी झंडी दे दी है।
यह 1986 की शिक्षा नीति की जगह लेगा। इसके तहत देश की शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलावों को लागू किया जाएगा। कैबिनेट द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के जगह शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार करने की भी सिफारिश की गई है। नई शिक्षा नीति, 2019 से जुड़ीं प्रमुख बातें…
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नई शिक्षा नीति में शिक्षा का अधिकार (Right to Eductaion) कानून के दायरे को व्यापक बनाया गया है। अब 3 साल से 18 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर लाया जाएगा।
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अब कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम (co-curricular) या अतिरिक्त पाठ्यक्रम
( extra- curricular) नहीं कहा जाएगा।
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नई शिक्षा नीति बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल (life skills) और जरूरी क्षमताओं को विकसित किए जाने पर जोर देती है।
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नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शैक्षणिक संस्थानों (High Education Institutions) में विश्वस्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई (High Quality Teaching) पर जोर दिया गया है। अब हाइयर एजुकेशन में वर्ल्ड क्लास रिसर्च पर फोकस किया जाएगा।
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अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम का ढांचा भी बदला जाएगा। अब कोर्स के दौरान कई कक्षा से निकलने या प्रवेश करने के कई विकल्प दिए जाएंगे।
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पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है।
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आयोग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की है।
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 को भारतीय लोगों, उनकी परम्पराओं,संस्कृतियों और भाषाओँ की विविधता को ध्यान में रखते हुए तेज़ी से बदलते समाज की ज़रूरतों के आधार पर तैयार किया गया है।
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शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए उच्च गुणवत्ता और व्यापक शिक्षा तक सबकी पहुँच सुनिश्चित की गई है। इसके ज़रिए भारत का निरंतर विकास सुनिश्चित होगा साथ ही वैश्विक मंचों पर – आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, समानता और पर्यावरण की देख – रेख, वैज्ञानिक उन्नति और सांस्कृतिक संरक्षण के नेतृत्व का समर्थन करेगा।
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इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।