वक्त है बदलाव का…
सुरेश महापात्र / दबी जुबां से…
“कोरोना काल को भी राज्य सरकार ने अपने लिए सकारात्मक बनाने का अवसर मान लिया है। भले ही उद्योग धंधा बंद हो गए हों… लोगों के सामने दूसरी चुनौतियां खड़ी हो गई हों फिर भी ग्रामीण मतदाता के मन में स्थाई जगह बनाने की जुगत में है सरकार…”
वक्त है बदलाव का… हां, इसी संदेश के साथ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का वनवास खत्म हुआ! छत्तीसगढ़ में बदलाव के बाद प्रयास और प्रयोग तो बहुत हुए पर परिणाम फिलहाल संशय में है। सरकार पहले बरस के चुनावी अभियान से निपटने के बाद जमीन पर कुछ करके दिखाती इससे पहले कोरोना का हमला हो गया। अब सरकार भी समझ रही है कि यदि प्रदेश में बदला और बदलाव के बीच अंतर स्पष्ट नहीं हुआ तो आने वाले समय में जनता की अदालत में बताने के लिए कुछ बचेगा नहीं… ऐसे में कोरोना के दुष्चक्र के दौर में ही सरकार ने डबल एजेंडा लेकर काम करना शुरू कर दिया है। हांलाकि केंद्रीय संस्थानों ने इस विकट काल में छत्तीसगढ़ की प्रशंसा करके सरकार को उर्जावान बनाया है। लॉकडाउन 3 मई के बाद बढ़े या घटे इसके लिए छत्तीसगढ़ ने केंद्रीय गृहमंत्रालय के आदेश व निर्देश को पालन करवाने के साथ—साथ अपनी योजनाओं को मूर्तरूप देने का काम भी शुरू कर दिया है। कोरोना काल को भी राज्य सरकार ने अपने लिए सकारात्मक बनाने का अवसर मान लिया है। भले ही उद्योग धंधा बंद हो गए हों… लोगों के सामने दूसरी चुनौतियां खड़ी हो गई हों… वह ग्रामीण मतदाता के मन में स्थाई जगह बनाने की जुगत में है। यही वजह है कि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों और विद्यार्थियों को लेकर पूरी सर्तकता के साथ काम करने की कोशिश हो रही है। सरकार तेजी से डिजिटाईजेशन की दिशा में भी आगे बढ़ रही है। बोधघाट समेत राज्य की सभी बड़ी सिंचाई योजनाओं को लेकर विस्तृत खाका तैयार कर लिया है। साथ ही राम वन गमन पथ पर विकास के लिए पूरी कार्ययोजना तैयार कर ली है… यानी फिल्ड में बीजेपी के बदलापुर के आरोपों के जवाब में बदलाव की सियासत…
कटघोरा, कोरोना और किरण का कौशल…
आगामी 3 मई से छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन से राहत मिलेगी या नहीं यह अब कोई नहीं बता सकता। राहत मिलेगी तो कितनी और किन शर्तों पर यह भी समझना कठिन हो गया है। कोरोना के चलते लॉकडाउन के पहले चरण के बाद ही छत्तीसगढ़ में छूट की संभावनाओं को कटघोरा से आघात लगना शुरू हुआ। पर अब कटघोरा ने भी सब कुछ नियंत्रित करके स्वयं को साबित कर दिया है। कोरोना के इस महासंग्राम में कोरबा डीएम श्रीमती किरण कौशल की कार्यशैली की खुलकर प्रशंसा की जाना चाहिए। उन्होंने इस चुनौती को बेहद सरल तरीके से अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश में पूरी ताकत झोंक दी। घर बार परिवार सब कुछ छोड़कर डटी रहीं। उनके साथ एसपी अभिषेक मीणा की भी प्रशंसा करना चाहिए। इन दोनों ने मिलकर कोरोना से कटघोरा को उबारने का कौशल दिखाया है। ये हमारे प्रदेश के सच्चे कोरोना वारियर्स हैं।
बस्तर में सेवा भाव…
बस्तर में बिहार निवासी एक कर्मचारी की मौत के बाद उसकी अंत्येष्ठी पुलिस ने की। सीएसपी हेमसागर सिदार ने मुखाग्नि दी। इस महती कार्य में जगदलपुर के जैन समाज का भी अभूतपूर्व योगदान रहा। बस्तर संभाग में भले ही एक भी कोरोना का संक्रमण ना मिला हो पर सामाजिक संगठनों और कई स्वयं सेवी संस्थाओं ने समूचे बस्तर में सेवा भाव से अपनी छाप छोड़ी है। ये भी हमारे कोरोना वारियर्स ही हैं।

कोरोना के साथ—साथ राजनीति भी…
कोरोना के साथ—साथ छत्तीसगढ़ सरकार राजनीति का जंग भी जमकर लड़ रही है। यहां भूपेश का भांपना केंद्र सरकार के लिए भी कठिन हो गया है। उन्होंने कई बार केंद्र सरकार व अपने मंत्रिमंडल को अपने फैसलों से चौंकाया। विशेषकर 21 अप्रेल के बाद राज्य में लॉकडाउन के शिथिल करने को लेकर। पहले लगा कि वे स्वयं घोषणा करेंगे कि क्या होगा और क्या नहीं? फिर अचानक गेंद कलेक्टरों के पाले में डाल दिया। कलेक्टरों को होम मिनिस्ट्री की गाइड लाइन भेज दी और निर्णय लेने का अधिकार दे दिया। हुआ ये कि कलेक्टरों ने किया वही जो राज्य सरकार चाहती थी पर क्लेम और ब्लेम से सीएम बाहर हो गए…। खजाने की भरपाई के लिए लॉकडाउन के बाद सीएम ने पीएम को आधा दर्जन से ज्यादा चिट्ठी लिखी… 30 हजार करोड़, सीएसआर का वह हिस्सा जो पीएम केयर में दिया गया है, चांवल के उठाव समेत अनेक पत्र लिखे… पर जवाब एक का भी मिला हो ऐसा नहीं लगता।
एक्टिव मोड सीएम को टक्कर…
मुख्यमंत्री 24 घंटे एक्टिव मोड पर हैं। कोरोना में उन्हें केवल एक ही मंत्री टक्कर दे रहे हैं टीएस बाबा…। जानकारियों से लैस बाबा ट्वीटर पर लगातार सीएम से आगे रहे… चाहे कोरोना संक्रमितों के स्वस्थ होने का मामला हो या टेस्ट कीट के मसले को लेकर उनकी जानकारी आगे ही रही… हांलाकि मंत्रिमंडल भी एक टीम है जिसके मुखिया मुख्यमंत्री हैं तो स्वाभाविक तौर पर श्रेय तो सीएम के खाते में ही जाएगा…
अर्नब से अनबन
छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब से खासे चिढ़े हुए हैं। मुंबई में बैठे अर्नब ने महाराष्ट्र की घटना पर जो कुछ कहा और किया… वह सभी देख चुके हैं। पर इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी निष्ठा दिखाने में छत्तीसगढ़ देश के सभी कांग्रेस शासित राज्यों से आगे निकल गया। इस मामले में सुकमा से लेकर सरगुजा तक करीब एक सैकड़ा एफआईआर दर्ज करवाया गया। इसमें सबसे महत्वपूर्ण वाला तो सिर्फ एक ही है वह है राजधानी के सिविल लाइन थाने में स्वास्थ्य मंत्री टीएस बाबा द्वारा दर्ज करवाया गया मामला। यानी बाबा ने एक कदम आगे बढ़कर दिखाया है…
और अंत में…
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के एक आला अफसर सीएम को रिझाने के लिए पूरी ताकत झोंके बैठे हैं… जमीनी हकीकत भले ही कुछ भी हो पर… अपनी वाह—वाही के लिए बहुत कुछ न्यौच्छावर है… इसका परिणाम एक महिना 31 मई के बाद…