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लॉक डाउन ने सेहत की समझ बढ़ा दी… अब साइ​क्लिंग का बन रहा क्रेज… समूह ने साइकिल के बाजार को नई जान दी…

इम्पेक्ट न्यूज. दंतेवाड़ा।

दंतेवाड़ा जिले में इन दिनों साइक्लिंग को लेकर जबरदस्त माहौल बना है। प्रतिदिन करीब 20 से 30 किलोमीटर की दूरी नियमित तौर पर साइक्लिंग के माध्यम से नापी जा रही है। दंतेवाड़ा में अब साइकिल चलाना नया फैशन बन गया है। लोग मोटर साइकिल की जगह अब साइकिल को अपनाने लगे हैं। इसे लेकर दंतेवाड़ा साइक्लिंग समूह के प्रदीप द्विवेदी कहते हैं ‘यह महज आपदा को अवसर में बदलने का विषय है।’

वे कहते हैं जब लॉक डाउन शुरू हुआ तो शुरूआती दिनों में यह समझना कठिन था कि समय को काटा कैसे जाए? फिर हम दो साथी थे जो साइकिल से चला करते थे। वह भी बस शहर के भीतर ही। ज्यादा दूर तक नहीं। गिरीश स्वर्णकार साइक्लिंग के शौकिन हैं। वे बरसों से साइक्लिंग के माध्यम से स्वयं के स्वास्थ्य के लिए काफी मेहनत की है।

स्वर्णकार कहते हैं ‘लॉक डाउन के बाद समय काटने और सेहत के लिए यह अवसर बड़ा हो गया। फिर एक से दो होते हुए अब करीब दर्जनभर लोग जुड़ गए हैं। सभी साथ चलते हैं। करीब डेढ़ से दो घंटे तक साइकिल चलाना नियमित हो गया है।’

इसी समूह के मोहम्मद साहुल हमीद कहते हैं कि विचारों से ही हार और जीत होती है। साइकिल तो थी पर साथी नहीं थे। लॉक डाउन ने नए साथी दे दिए। पहले सेहत के लिए पैदल चलना होता था। वह भी काम के साथ कम और ज्यादा होता जाता। पर जब से साइकिल चलाने का शौक बढ़ा तो अब यह करीब—करीब नियमित हो गया है।

साहुल बताते हैं कि किसी भी फिल्ड में अकेले चलना कठिन हो जाता है जब समूह बन जाता है तो फिर बहाने खत्म हो जाते हैं। अब बस यही हो रहा है। इसी दल के मुकेश शर्मा और भूपेंद्र सिंह ठाकुर भी यही मानते हैं कि ‘समूह के माध्यम से किसी भी काम को करने में आसानी होती है। साइक्लिंग एक शौक तो है पर अकेले ज्यादा समय तक करना कठिन है।’ वे कहते हैं अब ‘साइक्लिंग समूह बन गया है एक—दो कभी नहीं भी रहे तो समूह अपना काम नहीं छोड़ता।’

इस समूह में इनके अलावा अमित दुबे, संदीप अग्रवाल भी सक्रिय हैं। वे कहते हैं ‘इस समूह में 25 से 50 वर्ष के लोग शामिल हैं।’ इस समूह के मनोज सिंह कहते हैं साइकिल के प्रति उत्साह को देखते हुए दंतेवाड़ा में साइकिल का क्रेज बढ़ गया है। इसी चलन के देखा देखी पड़ौसी जिलों में भी साइकिल समूह सक्रिय हो गया है।

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