सदन में संसदीय सचिव को लेकर विपक्ष ने की घेराबंदी… बृजमोहन ने कहा उस समय का विपक्ष सोया हुआ था, अभी विपक्ष जागृत है…
इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर। (विधानसभा)
आज सदन में 15 संसदीय सचिव की नियुक्ति को लेकर विपक्ष ने घेराबंदी की। अजय चंद्राकर ने व्यवस्था का सवाल उठाया। विपक्ष की ओर से बृजमोहन, धरमलाल कौशिक ने मोर्चा संभाले रखा। इस मामले में तीखी नोखझोंक हुई। बृजमोहन ने सत्ता पक्ष के आरोप पर कहा उस समय का विपक्ष सोया हुआ था अभी विपक्ष जागृत है…
आज विधानसभा में 15 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर बहस हुई। सत्ता पक्ष की ओर से विधि मंत्री मोहम्मद अकबर और संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया।
चर्चा के बीच में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल हुए और कहा कि जहां तक हाई कोर्ट के फैसले का सवाल है यह अभी नहीं आपके कार्यकाल में आया है… जब कोर्ट का फैसला आया था तो सदन को अवगत क्यों नहीं कराया? ये जिम्मेदारी आपकी थी और हमसे सवाल पूछ रहे हैं…
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि क्या संसदीय सचिवों को विधानसभा में परिचय कराया जाता है? यदि परिचय कराने की परंपरा है तो आपने क्यों नहीं कराया? यदि आप परंपरा बनाना चाहते हैं तो हमे कोई ऐतराज नहीं है…
सीएम ने कहा कि कोर्ट के फैसले की जानकारी आपको है उसके हिसाब से आपने उस समय कटौतियां की थीं। उसी का अनुसरण किया जा रहा है।
इससे पहले चर्चा की शुरूआत करते अजय चंद्राकर ने संसदीय सचिव की नियुक्ति पर व्यवस्था का सवाल प्वाइंट आफ आर्डर के तहत उठाया। जिसमें चंद्राकर ने कहा छत्तीसगढ़ शासन ने 15 संसदीय सचिवों की नियुक्ति की। डा. रमन सिंह के कार्यकाल में जब संसदीय सचिवों की नियुक्ति हुई मोहम्मद अकबर और दो लोग हाईकोर्ट में गए। हाईकोर्ट के बाद एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
सदन की ओर से वक्तव्य आया कि हम माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करेंगे। उच्च न्यायालय के क्या निर्देश हैं यह सदन को मालून नहीं है? समाचार पत्रों का उल्लेख करते कहा कि जो कुछ भी जानकारी मिली है वह समाचार पत्रों के माध्यम से… तो माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश क्या हैं जिसका पालन करेंगे? चंद्राकर ने मांग रखी कि एजी को बुलाकर स्थिति स्पष्ट करवाया जाए। ताकि जो संवैंधानिक व्यवस्था है इसमें संसदीय कार्य पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी नाम की कोई चीज नहीं है…
अध्यक्ष ने व्यवस्था का सवाल ग्राह्य किया उसके बाद विधि मंत्री मोहम्मद अकबर ने स्पष्ट किया कि समाचार पत्रों में क्या छपा है उससे हमें मतलब नहीं है। क्योंकि विधानसभा की कार्यवाहियों में वह मान्य नहीं है। इस मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का जो भी निर्णय आया है उसका पूरा पालन करते हुए पूरी प्रक्रिया हुई है।
अकबर ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, यह सही है कि लंबित है। जब सुप्रीम कोर्ट में उस समय लंबित हो गया था तो आपने क्यों हटवा नहीं दिया? जब लंबित है तो उसमें कोई फैसला नहीं हुआ है। हाई कोर्ट ने जो कहा है उसका पूरा पालन हमने किया है।
धर्मजीत सिंह ने बहस में हिस्सा लेते सुप्रीम कोर्ट में जाने का सवाल उठाया। इस पर मोहम्मद अकबर ने स्पष्ट किया कि वे नहीं गए हैं कोई एक्टिविस्ट सुप्रीम कोर्ट में गए हैं और अलग से गए हैं। संसदीय सचिव हाईकोर्ट में जो भी मामला आया है उसके हिसाब से विधानसभा के भीतर उत्तर नहीं दे सकते। वे मंत्रियों की सहायता करेंगे जिसके लिए उन्हें नियुक्त किया गया है। और मंत्रियों से उनका परिचय करवा दिया गया है। विधानसभा में उन्हें उत्तर नहीं देना है इसलिए परिचय की आवश्यकता नहीं है।