आयुष मंत्रालय : सलाहकार डॉ. नेसरी ने कहा- आयुर्वेद का विश्व में बजेगा डंका… भारत की आर्थिक स्थिति होगी मजबूत…
इम्पैक्ट डेस्क.
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के गठन का मुख्य उद्देश्य है राजनीति, आर्थिक और रक्षा। इनमें से आर्थिक जो मुख्य उद्देश्य है, उसके तहत पारंपरिक दवा एव चिकित्सा को सामने रखकर बी2बी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है। पारंपरिक दवाओं के माध्यम से हम इकोनॉमी को कैसे बढ़ा सकते हैं, इस पर चर्चा हुई। आने वाले दिनों में आयुर्वेद का डंका पूरी दुनिया में बजने वाला है। इससे जहां दुनिया के लोगों को आसानी से आयुर्वेद के उत्पाद मिलेंगे, वहां भारत की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। विदेशों से जो दवाएं आज हम आयात कर रहे हैं, वह कम होंगी और भारत आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम आगे बढ़ाएगा।
आयुष मंत्रालय के आयुर्वेद सलाहकार डॉ. मनोज नेसरी ने कहा कि जबसे आयुष मंत्रालय बना है, तबसे इसकी ग्रोथ चकित करने वाला है। मंत्रालय ने जो लक्ष्य रखा था, उसे केवल तीन वर्षों में ही हासिल कर लिया। उल्लेखनीय है कि पहले दो दिवसीय वैश्विक एससीओ बी2बी कॉन्फ्रेंस शुक्रवार को संपन्न हो गया, जबकि पारंपरिक चिकित्सा एक्सपो पांच मार्च तक जारी रहेगा।
उन्होंने बताया कि असम के गुवाहाटी शहर में आयोजित पहले दो दिवसीय वैश्विक एससीओ बी2बी कॉन्फ्रेंस शुक्रवार एसीओ के 17 देशों से 150 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि शामिल हुए। 75 से अधिक बैठकों का आयोजन हुआ। इस मंच पर एससीओ देशों के प्रतिनिधियों को अपनी बात रखने का मौका मिला। हमने एक-दसरे के विचार सुने। जो देश सम्मेलन में नहीं पहुंच पाए, उन्होंने वर्चुअल हिस्सा लिया। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत पूरे विश्व में पारंपरिक चिकित्सा के उत्थान के लिए कार्य कर रहा है। आज हमें यह बताते हुए अपार खुशी हो रही है कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)- एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठन -की अध्यक्षता इस वर्ष भारत कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह एक खास अवसर है, क्योंकि 17 देशों के विशेषज्ञ पारंपरिक चिकित्सा पर विचार मंथन के लिए एक मंच पर आए। समग्र स्वास्थ्य के लिए आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और पारंपरिक चिकित्सा के संविलियन के लिए यह आयोजन एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा।
यह एक अदभूत मौका: हाइफा
बहरीन देश के प्रतिनिधि हाइफा हुमूद ने कहा कि भारत के नेतृत्व में यह पहला एससीओ कॉन्फ्रेंस है। यह एक अद्भुत अवसर और मौका का। हमारे देश में हम आयुर्वेद को लेकर जो काम कर रहे हैं, वह बात मैं यहां रख पाई। और दूसरे देशों की बात भी हमने सुनी। यहां आकर जाना कि हमारे अलावा किन देशों में आयुर्वेद को लेकर कैसा काम चल रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन बहुत बड़ा है। वे सबको साथ लेकर चलते हैं। निश्चित ही आने वाले समय में इसका फायदा सबको होगा।
हमारी तो शिक्षा में शामिल है आयुर्वेद: मामखु
मंगोलिया की स्वास्थ्य विभाग की अधिकारी और प्रतिनिधि युंचिमर्ग मामखु ने कहा, हमारे देश में तो आयुर्वेद शिक्षा में शामिल है। यह हमारे देश में तिब्बत से आया और हम इसे लेकर काफी गंभीर हैं। हमारी दवाओं में आयुर्वेद मूल में है। डॉक्टर और प्रेक्टिशनर्स मिलकर काम कर रहे हैं। अब पूरा विश्वास है कि इस तरह के आयोजन से आयुर्वेद का दायरा बढ़ेगा और मावन जाति को लाभ होगा। भारत ने इसका नेतृत्व करने का बीड़ा उठाया है। भारत से बहुत उम्मीदें हैं।