सहायक प्रशिक्षकों को बेदखल करने श्रम निरीक्षक ने रची साजिश, नौकरी गंवा चुके प्रशिक्षको ने किया खुलासा… खेल अकादमी में जमे रहने रसूख के इस्तेमाल से भी नहीं चुके श्रम निरीक्षक…
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इंपेक्ट डेस्क.
बीजापुर। स्पोर्टस अकादमी बीजापुर में अंषकालीन क्रीड़ा प्रषिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित साक्षात्कार और अकादमी में पिछले चार सालों से कार्यरत् सहायक प्रषिक्षकों को काम से निकाले जाने के बाद अब यह मामला दिन ब दिन तुल पकड़ता जा रहा है। दरअसल स्पोर्टस अकादमी में श्रम निरीक्षक और साफटबॉल के मेहमान प्रषिक्षक सोपान करनेवार समेत तीरंदाजी और जुडो कराते के प्रषिक्षकों के खिलाफ सहायक प्रषिक्षकों द्वारा की गई लिखित षिकायत से ही इस बात का खुलासा होपाया था कि किस तरह स्पोर्टस अकादमी में श्रम निरीक्षक और तीन प्रषिक्षकों द्वारा कुट रचना कर सहायक प्रषिक्षकों को स्पोर्टस अकादमी से बाहर निकालने का षडयंत्र रचा गया था। सहायक प्रषिक्षकों की मानें तो इस पूरे मामले में उन्हें रोजगार से बेरोजगार करने के षडयंत्र में पूर्ण रूप से श्रम निरीक्षक सोपान करनेवार ही मास्टरमाइंड रहा है, जिसमें तीरंदाजी कोच दुर्गेष प्रताप सिंह, जुडो कराते के कोच प्रकर्ष राव और सुरज गुप्ता, श्रम निरीक्षक के कदम से कदम मिलाकर चलते रहे हैं। श्रम विभाग में पदस्थ डाटा एंट्री ऑपरेटर किषोर द्वारा प्रातः इंडिया को दिए गए दस्तावेजों के अनुसार विभाग में पदस्थ श्रम निरीक्षक सोपान करनेवार ने छात्राओं को मिलने वाले प्रोत्साहन राषि और मृत मजदूरों के नाम की राषि13 लाख 32 हजार रूपयों का बंदरबाट किया गया है, इससे यह स्पष्ट होता है कि अपने विभाग में ही लाखों रूपयों के बंदरबाट करने वाले श्रम निरीक्षक किस तरह स्पोर्टस अकादमी में अपने कार्यों को अंजाम देते होंगे।
काम से निकाले गए सहायक प्रषिक्षक कुमारी भावना भगत, गोपी मंडावी और सीनोज पुनेम ने श्रम निरीक्षक के मामले में नया खुलासा करते हुए बताया कि एकेडमी के मेहमान कोच सोपान करनेवार लगातार राजनैतिक और प्रषासनिक पहुंच का हवाला देते हुए कई बार उनके साथ दुर्व्यवहार और प्रताड़ित करते रहे। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया है कि उनके इन्हीं हरकतों के चलते षिकायत के बाद अगस्त 2019 में उन्हें स्पोर्टस अकादमी बीजापुर से वापस अपने मूल विभाग में भेज दिया गया था, परंतु दुबारा राजनैतिक पहुंच का फायदा उठाते हुए वे तात्कालिन खेल एवं युवा कल्याण मंत्री भईया लाल राजवाड़े के लेटरहेड में बीजापुर कलेक्टर के नाम पत्र लिखवा कर जिला खेल अधिकारी के प्रभार में वापस एकेडमी आए थे।
जब उन्हें प्रभारी खेल अधिकारी बनाया गया उस दौरान उनके द्वारा सहायक प्रषिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार और प्रताड़ना का सिलसिला तो जारी रहा ही साथ में खरीदी और आयोजन के नाम से फर्जी बिल प्रस्तुत कर शासन के पैसों का दुरूपयोग भी किया गया। वही दूसरी ओर सहायक प्रषिक्षकों ने श्रम निरीक्षक सोपान करनेवार समेत तीन और प्रषिक्षकों पर बेहद ही गंभीर आरोप लगाते हुए बताया है कि इनके द्वारा बीजापुर स्पोर्टस अकादमी में स्थानीय खिलाड़ियों के रोजगार के अवसर को खत्म करने के लिए षडयंत्र पूर्वक एकेडमी के प्रभारी अधिकारी समेत संपूर्ण जिला प्रषासन को गुमराह कर पूर्व में बनाए गए एकेडमी के नियमावली में छेड़छाड़ करते हुए भर्ती प्रक्रिया के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु को भी बदल दिया गया।
क्यांकि बीएसए की स्थापना 2016 में हुई है। उस दौरान भर्तियों के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष रखी गई थी, जिसे इनके द्वारा छेड़छाड़ कर उस आयु सीमा को 21 वर्ष किया गया। काम से निकाले गए सहायक प्रषिक्षकों की मानें तो श्रम निरीक्षक एक ओर तो अपने ही विभाग में लाखों रूपयों का बंदरबाट करने में लगे हुए हैं तो दूसरी ओर जिले के खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए स्थापित किए गए स्पोर्टस अकादमी के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ करते हुए नजर आ रहे हैं।
यही नहीं बल्कि स्पोर्टस अकादमी से भारमुक्त कर वापस मूल विभाग में भेजने के बावजूद उनका स्पोर्टस अकादमी से मोह भंग होता हुआ नजर नहीं आ रहा । तो वही दूसरी ओर श्रम निरीक्षक पर लगे लाखांे रूपए के गबन जैसे गंभीर आरोप और सहायक प्रषिक्षकों द्वारा लगाए गए मानसिक प्रताड़ना और दुर्व्यवहार के आरोपों के बावजूद जिले के विकास और स्थानीय लोगों की सुनवाई के लिए चुने गए जनप्रतिनिधि, नेता और जिला प्रषासन के अफसर कुंभकर्णीय निद्रा से जागते नजर नहीं आ रहे हैं, जबकि इस समय चार सालों से काम कर रहें सहायक प्रषिक्षकों को एकेडमी से निकालने के बाद अब उनका और उनके परिवार का पालन-पोषण समेत भविष्य अंधकार में जाता हुआ नजर आ रहा है।