गीतांजली श्री लिखित उपन्यास ‘रेत समाधि’ ने बुकर जीता! हिंदी की पहली कृति जिसे यह पुरुस्कार प्राप्त हुआ…
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पीयूष कुमार।
गीतांजलि श्री द्वारा लिखित और राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित ‘रेत समाधि’ हिंदी की पहली ऐसी कृति बन गयी है जिसके अंग्रेजी अनुवाद ने 2022 का प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता है। इसका अंग्रेज़ी अनुवाद Tomb Of Sand के नाम से अमेरिका की मशहूर अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने किया है। इसके लिए लगभग 50 लाख रुपये मिलेंगे जो लेखक और अनुवादक के बीच बराबर बांटी जाएगी। बुकर पुरस्कार के लिए रचना या उसके अनुवाद को आयरलैंड या ब्रिटेन से प्रकाशित होना जरूरी होता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गीतांजलि श्री के इस उपन्यास की कथा 80 साल की एक दादी की है जो बिस्तर से उठना नहीं चाहती और जब उठती है तो सब कुछ नया हो जाता है। यह उपन्यास भी गीतांजलि श्री की परिचित लेखन शैली जिसमें वे स्त्री मन में, समाज के भीतर, समाज की परतों में बहुत धीरे धीरे दाखिल होती हैं और बहुत संभलकर उन्हें खोलती और समझती हैं, उसमें है। गीतांजलि श्री का लेखन सफर तीस सालों का है। उनका पहला उपन्यास ‘माई’ और फिर ‘हमारा शहर उस बरस’ 1990 के दशक में प्रकाशित हुए थे। फिर उन्होंने ‘तिरोहित’ और ‘खाली जगह’ लिखा। उनकी रचनाओं के अनुवाद विभिन्न भारतीय और विदेशी भाषाओं में हो चुके हैं।
अंग्रेजी में ‘रेत समाधि’ का अनुवाद करनेवाली डेज़ी रॉकवेल अमेरिका में रहती हैं। डेज़ी की हिंदी समेत कई भाषाओं और उसके साहित्य पर पकड़ है। उन्होंने अपनी पीएचडी उपेंद्रनाथ अश्क के उपन्यास ‘गिरती दीवारें’ पर की है. उन्होंने उपेंद्रनाथ ‘अश्क’, खादीजा मस्तूर, भीष्म साहनी, उषा प्रियंवदा और कृष्णा सोबती के उपन्यासों का भी अंग्रेजी अनुवाद किया है।
यह पुरस्कार भारत में अनुवाद के क्षेत्र को सक्रिय कर सकता है। विगत में भी भारतीय भाषाओं में स्तरीय साहित्य रचा गया है पर लगता है, बेहतर अनुवाद के अभाव में अंतराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित नहीं हो सकीं। उम्मीद है, अनुवाद और गम्भीर लेखन के प्रति भारतीय साहित्य, खासतौर से हिंदी में रुचि बढ़ेगी। बुकर से सम्मानित होने पर बहुत बधाई गीतांजलि श्री और डेजी रॉकवेल को।
फ़ेसबुक वॉल से साभार