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POCSO केस पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की, किशोरों के इश्क पर अदालतों का जोर नहीं

नई दिल्ली
POCSO से जुड़े एक केस पर सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की। जज का कहना था कि किशोरों के प्रेम को अदालतें नियंत्रित नहीं कर सकतीं। साथ ही उन्होंने POCSO एक्ट का सामना कर रहे 21 साल के याचिकाकर्ता को भी जमानत दे दी। साथ ही उन्होंने ऐसे मामलों में जमानत देने में जजों से काफी सावधानी बरतने की बात भी कही है।

क्या था मामला
पुलिस ने लड़की के परिवार की शिकायत के आधार पर लड़के के खिलाफ POCSO समेत कई धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया था। इसके बाद युवक को गिरफ्तार किया गया। युवक ने जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़िता उस समय 16 साल की थी और वह याचिकाकर्ता से प्यार करती थी। कोर्ट को जानकारी दी गई कि जब लड़की के परिवार को प्रेम संबंध के बारे में पता चला, तो उन्होंने लड़की को फटकार लगाई और याचिकाकर्ता से शादी कराने से इनकार कर दिया। इसके बाद 18 दिसंबर 2023 को पीड़िता ने जहर खा लिया और याचिकाकर्ता को फोन कर दिया।

इसके बाद पीड़िता के रिश्तेदार ने उसे अस्पताल पहुंचाया और इलाज कराया। इलाज के बाद याचिकाकर्ता उसे विजयवाड़ा ले गया, जहां एक मंदिर में दोनों ने शादी कर ली। अभियोजक पक्ष का कहना है कि पीड़िता से शादी के बाद उसे रिश्तेदार के घर ले जाया गया, जहां उसके साथ यौन हिंसा की गई। जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया, तो याचिकाकर्ता ने जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया। खास बात है कि अदालत ने पाया कि जब याचिकाकर्ता को उसके खिलाफ दर्ज केस का पता चला, तो वह पीड़िता को घर छोड़ गया।

कोर्ट में क्या हुआ
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, इस याचिका पर सुनवाई कर रहीं जस्टिस वेंकट ज्योतिर्मय प्रताप ने पीड़िता को घर छोड़े जाने पर कहा, 'इससे पता चलता है कि उसका मकसद खतरनाक नहीं था। शिकायत में आगे बताया गया है कि 9वीं के बाद लड़की ने पढ़ाई छोड़ दी थी और घर पर रहकर पढ़ाई कर रही थी। लड़की की उम्र पूरी सुनवाई का विषय है।' कोर्ट के आदेश में कहा गया, '…किशोरों के प्रेम को अदालतों से नियंत्रित नहीं किया जा सकता और जजों को ऐसे मामलों में जमानत देने या इनकार करने में सावधान रहने की जरूरत है। किसी प्रलोभन या धमकी नहीं होने के मामलों में कोर्ट को सतर्क रहना चाहिए कि वे अपराधियों से नहीं निपट रहे हैं।'

धारा 366 यानी जबरन विवाह करने के मकसद से किसी महिला का अपहरण कर लेना। इसे लेकर कोर्ट ने कहा कि शिकायत से ही पता चलता है कि लड़की अपनी मर्जी से परिवार का घर छोड़कर गई थी। कोर्ट ने इस तथ्य को भी माना कि याचिकाकर्ता 23 दिसंबर 2023 से न्यायिक हिरासत में है। कोर्ट ने उसे जमानत दे दी।