आलोक तोमर को मैं व्यक्तिगत रुप से नहीं जानता. औपचारिक परिचय का सिलसिला भी कभी नहीं बना… फिर भी बतौर पत्रकार मैं भावनात्मक रुप से जुड़ा रहा… सफरनामा दिवाकर मुक्बिोध
छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-9 #आलोक तोमर के बहाने : आलोक तोमर को मैं व्यक्तिगत रुप से नहीं जानता. औपचारिक परिचय का सिलसिला भी कभी नहीं बना. हालांकि वे एकाधिक बार रायपुर आए पर खुद का परिचय देने के अजीब से संकोच की वजह से उनसे कभी नहीं मिल पाया किंतु बतौर पत्रकार मैं भावनात्मक रुप से उनसे काफी करीब रहा.
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