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आलोक तोमर को मैं व्यक्तिगत रुप से नहीं जानता. औपचारिक परिचय का सिलसिला भी कभी नहीं बना… फिर भी बतौर पत्रकार मैं भावनात्मक रुप से जुड़ा रहा… सफरनामा दिवाकर मुक्बिोध

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-9 #आलोक तोमर के बहाने : आलोक तोमर को मैं व्यक्तिगत रुप से नहीं जानता. औपचारिक परिचय का सिलसिला भी कभी नहीं बना. हालांकि वे एकाधिक बार रायपुर आए पर खुद का परिचय देने के अजीब से संकोच की वजह से उनसे कभी नहीं मिल पाया किंतु बतौर पत्रकार मैं भावनात्मक रुप से उनसे काफी करीब रहा.

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जैसा नाम था वैसा ही चरित्र ‘नि​र्भीक’ पर खिंलदड़ स्भाव के नि​र्भीक की आत्महत्या की खबर ने झकझोर दिया… सफ़रनामा दिवाकर मुक्तिबोध…

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-8 – दिवाकर मुक्तिबोध #निर्भीक_वर्मा: जिस एक और दिवंगत पत्रकार मित्र की छवि मन से नहीं उतरी है, वह है निर्भीक वर्मा। अपने किसी प्रियजन जिसे आप हमेशा प्रफुल्लित देखते रहे हो, प्राय: रोज मिलते रहे हो, यदि किसी दिन उसकी मृत्यु की सूचना मिले तो जाहिर है आप संज्ञा शून्य हो जाएंगे। जिंदगी भर शोक को

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