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राजनीतिक ‘महत्वाकांक्षा’ ने ‘आप’ की छवि को ‘बौना’ कर दिया… अब आगे क्या?

सुरेश महापात्र। 2012 में आरएसएस—भाजपा के गर्भनाल से उपजे अन्ना आंदोलन के सह नेतृत्वकर्ता अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ रामलीला के मैदान में चल रही लड़ाई को राजनीतिक शक्ति की दिशा में मोड़ दिया। यहां से जन लोकपाल को लेकर अनशन कर रहे अन्ना हजारे और अन्ना आंदोलन के सह नेतृत्वकर्ता अरविंद केजरीवाल की दिशा अलग—अलग हो गई। इस तरह से आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ। अन्ना हजारे ने आंदोलन के बाद इसके राजनीतिक उपयोग का शुरू से ही विरोध किया था। बावजूद इसके इस आंदोलन से जुड़े

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नेताओं से गलबहिया दिखाती तस्वीरें और पुलिस का बयान…पत्रकार मुकेश के हत्यारे की ढाल दिखाई दे रही है…

सुरेश महापात्र। इन तस्वीरों को देखकर हम जो भी अंदाज़ा लगाएँगे वह सही ही होगा यह गलत है… पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या करवाने वाले के साथ सोशल मीडिया पर भाजपा-कांग्रेस आपस में खेल रही हैं। सच्चाई यही है कि सड़क निर्माण से जुड़े भ्रष्टाचार को उजागर करने की कीमत मुकेश चंद्राकर ने जान देकर चुकाई है। ठेकेदार जो इन दो तस्वीरों में दिखाई दे रहा है इनमें से एक में वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के साथ गुलदस्ता लेकर खड़ा है। दूसरी तस्वीर में हत्यारा ठेकेदार सुरेश चंद्राकर

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साय सरकार का एक साल : चुनावी वायदों के व्यतिरेक विकास की योजनाएं कागजों पर और नक्सल मोर्चे पर बेहतर

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल 13 दिसंबर को पूर्ण हो गया. पिछले वर्ष इसी दिन साय ने मुख्य मंत्री पद की शपथ ली थी. उनके नेतृत्व में भाजपा सरकार का यदि एक साल का ट्रेक रिकॉर्ड देखा जाए तो वह सामान्य से अधिक नहीं है. दरअसल जिन वायदों के साथ भाजपा ने 2023 के विधान सभा चुनाव में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया था और सत्ता हस्तगत की थी, उनमें से कुछ योजनाएं सरकार ने तुरंत प्रारंभ कर दी जिसमे किसानों से बढी हुई दरों

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अब भारतीय जनता पार्टी की निगाह दिल्ली पर… दिल्ली की चुनौती बहुत बड़ी…

दिवाकर मुक्तिबोध। बीते एक वर्ष के दौरान पांच राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान,  हरियाणा तथा  महाराष्ट्र में धमाकेदार जीत दर्ज करने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी की निगाह दिल्ली पर टिक गई है जहां आम आदमी पार्टी की वजह से करीब डेढ दशक से उसके लिए सूखा पड़ा हुआ है तथा वह सत्ता से बाहर है. दिल्ली राज्य विधान सभा का कार्यकाल आगामी 23 फरवरी 2025 को पूरा हो जाएगा और इस बीच वहां विधान सभा चुनाव सम्पन्न हो जाएंगे. वर्ष 2015 से इस राज्य में आम आदमी पार्टी की

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छत्तीसगढ़ उपचुनाव रायपुर दक्षिण : मुकाबला कांटे का…

दिवाकर मुक्तिबोध। रायपुर दक्षिण विधान सभा उपचुनाव में कांग्रेस की जीत संभावना पर शायद ही कोई यकीन करें लेकिन चमत्कार कही भी, कभी भी हो सकते हैं और राजनीति भी इससे परे नहीं है. कांग्रेस ने नये व युवा चेहरे के रूप में आकाश शर्मा को टिकिट देकर जो दावं खेला है यदि वह कारगर रहा तो रायपुर दक्षिण का परिणाम एक ऐसे कीर्तिमान के रूप में दर्ज हो जाएगा जिसकी प्रतीक्षा कांग्रेस डेढ दशक से कर रही है. लेकिन क्या ऐसा होगा ? सोचना कठिन है. खासकर इसलिए क्योंकि

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नक्सलियों के सामने तन गए आदिवासी…

सुदीप ठाकुर। अबूझमाड़ के जंगलों में नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर चार अक्टूबर को हुई भीषण मुठभेड़ के बाद पुलिस ने 31 माओवादियों के मारे जाने का दावा किया। इसके कुछ दिनों बाद माओवादियों के प्रवक्ता ने कहा कि मुठभेड़ में 35 माओवादी मारे गए। बीते चार दशक में बस्तर में यह माओवादियों के खिलाफ सबसे बड़ी मुठभेड़ है। करीब 14 साल पहले 6 अप्रैल, 2010 को नक्सलियों के अब तक के सबसे बड़े हमले में सुरक्षाबलों के 76 जवान मारे गए थे। ये दो घटनाएं एक दूसरे

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रमेश बैस : अब आगे क्या ? बड़ा सवाल – “भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व उनके दीर्घ अनुभवों का भविष्य में कोई लाभ लेगा अथवा नहीं?”

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ की राजनीति की अज़ीम शख्सियत रमेश बैस अपने 46 – 47 वर्षों के अपने शानदार करियर के बाद ‘घर’ वापसी कर रहे हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल 29 जुलाई 2024 को समाप्त हो गया। भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व उनके दीर्घ अनुभवों का भविष्य में कोई लाभ लेगा अथवा नहीं, इस बारे में पक्के तौर पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। उनके स्थान पर झारखंड के राज्यपाल सी वी राधाकृष्णन को महाराष्ट्र का नया राज्यपाल बना दिया गया है। चूंकि 77 वर्षीय रमेश

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साम, दाम, दंड, भेद की हार है 2024 का चुनाव…

त्वरित टिप्पणी। सुरेश महापात्र। हिंदुस्तान ने अपना फैसला सुना दिया है। जनादेश का पिटारा खुलने के पहले लगाए जा रहे सारे कयास विफल हो चुके हैं। हिंदुस्तान में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार बनना तय है। इसे बहुमत से मात्र 23 सीटे ज्यादा हासिल हुई हैं। पर यह बढ़त सरकार चलाने के लिए पर्याप्त है। विपक्ष के गठबंधन को करीब 235 सीटें मिलती दिख रही हैं। यानी बेहद मजबूत विपक्ष की भूमिका के साथ अब ‘मोदी सरकार’ की जगह एनडीए सरकार अपना काम करेगी। मोदी सरकार का नारा भारतीय जनता

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छत्तीसगढ़ : नक्सल मोर्चे पर अंतिम लड़ाई! क्या बस्तर में रुक पाएगी हिंसा?

दिवाकर मुक्तिबोध। साल 2015 में बीबीसी से बातचीत के दौरान छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमनसिंह ने कहा था, ‘नक्सली धरती माता के सपूत हैं और उनका मुख्य धारा में बच्चों की तरह स्वागत होगा.’ उन्होंने यह बात वार्ता की संभावना के मद्देनजर कही थी. उनका यह कथन अनायास इसलिए याद आ रहा हैं, क्योंकि बस्तर में केन्द्र व राज्य सरकार का नक्सलियों के खिलाफ जो चौतरफा अभियान चल रहा है, उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा नक्सलियों को मुख्य धारा में लाना भी है. रमनसिंह की सरकार में सबसे ज्यादा नक्सली

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Kanak Tiwari ने पत्रकारिता पर दो अत्यंत महत्वपूर्ण आलेख लिखे… भारतीय पत्रकारिता के मौजूदा दौर पर यह लेख और उसकी टिप्पणियां संजोकर रखने लायक हैं…

फेसबुक वॉल से… सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हर तरह के लोग और समूह हैं। कुछ विचारवान लेखक, पत्रकार और वैचारिक तौर पर विचारधारा से जुड़े प्रख्यात लेखक भी इसका हिस्सा हैं। इनमें से एक ऐसे ही गांधीवादी और कांग्रेस विचारधारा से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व पत्रकार, लेखक और प्रखर विचारशील वक्ता कनक तिवारी भी हैं। दर्जनों पुस्तकें लिखीं हैं। इन्होंने दो खंडों में भारतीय पत्रकारिता की वर्तमान दशा और दिशा पर लेख लिखा। इस लेख को वरिष्ठ पत्रकार रूचिर गर्ग ने अपनी वॉल पर शेयर किया। इस लेख को पढ़ने

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