बड़ी खबर : सजा के बाद भी समझौता कर मुक्त हो सकता है दोषी : सुप्रीम कोर्ट…
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Impact desk.
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि गैर संज्ञेय अपराधों में समझौता होने पर उच्च अदालतें मामलों को समाप्त कर सकती है, चाहे उसमें आरोपी दंडित ही क्यों न हो गया हो। मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि गैर-संगीन ऐसे अपराध जो व्यक्तिगत प्रकृति के हों, उन्हें समाप्त किया जा सकता है। चाहे उसमें आरोपी को ट्रायल कोर्ट ने दंडित ही क्यों न कर दिया हो।
उच्च न्यायालय आरोपमुक्त करने का काम धारा- 482 के तहत कर सकते हैं। पीठ ने कहा कि जहां समझौता सजा मिलने के बाद हुआ हो उच्च न्यायालय अपने विवेकाधिकारों का प्रयोग करते हुए उन्हें समाप्त कर सकते हैं। लेकिन इस मामले में उच्च न्यायालय को सतर्कता के साथ काम करना होगा।
इस मामले में अभियुक्त को धारा-326 (गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत दंडित किया गया था। अपनी अपील में उसने मामला समाप्त करने की मांग की और कहा कि उनके बीच समझौता हो गया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने उसकी अपील खारिज कर दी और कहा कि उसका अपराध गैरमाफी योग्य श्रेणी का है।