20 साल बाद दूधिया रौशनी से जगमगा रहे हैं नक्सलगढ़ के ढाई सौ मकान…
ग्राम पंचायत पदमुर और पदेड़ा के लोगो को मिली चिमनी युग से मुक्ति
गणेश मिश्रा. बीजापुर।
बीजापुर जिले के अंदरूनी इलाके खासकर माओवाद ग्रस्त क्षेत्र अब धीरे-धीरे अंधेरे और चिमनी युग की दूभर जिंदगी से उभरने लगे हैं। ऐसे पहुंच विहीन इलाके और गांव जहां पिछले 20 वर्षों तक शासन प्रशासन का या फिर सरकार के नुमाइंदों का पहुंचना असंभव सा था। अब वे इलाके भी धीरे धीरे विकास की मुख्यधारा से जुड़ने लगे हैं।
जहां विद्युत लाइन का विस्तार कर लाइट की सुविधा नहीं दी जा सकती। ऐसे इलाकों में इन दिनों शासन प्रशासन सौर ऊर्जा के माध्यम से गांवों को रोशन करने में जुटी हुई है। इसी योजना के तहत 20 वर्षों से ब्लैक आउट का दंश झेल चुके ऐसे दो पंचायतो से सुखद तशवीर निकलकर सामने आई है।
यहां बीते 6 महीनों से सोलर लाइट की दूधिया रोशनी जगमगा रही है। इन दो पंचायतों के करीब ढाई सौ मकान सौर ऊर्जा से रौशन किए गए हैं। जिसके चलते अब इन पंचायतों के ढाई सौ मकान चिमनियों से नहीं बल्कि सौर ऊर्जा के दूधिया रोशनी से जगमगा रहे हैं।
जिला मुख्यालय से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर गंगालूर मार्ग से करीब 4 किलोमीटर अंदर बसे पदेडा पंचायत के करीब 135 मकान 20 साल बाद एक बार फिर से ऊर्जा के दूधिया रोशनी से जगमगा उठे हैं।
अब गांव में सोलर लाइट के माध्यम से रोशनी पुनः वापस आई है। इस समय गांव के 135 मकानों में क्रेडा के माध्यम से सोलर लाइट लगाया गया है। जिसके कारण अब गांव में ब्लैकआउट की समस्या पूरी तरह खत्म हो चुकी है।
उन्होंने यह भी बताया कि करीब 15 वर्ष बाद इस गांव में प्राथमिक स्कूल का संचालन शुरू किया गया है। और अब सोलर लाइट की सौगात से ग्रामीणों को विकास की नई आस जागी है। दूसरी ओर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत पदमुर मैं भी नए सत्र में 16 सालों बाद प्राथमिक स्कूल का संचालन शुरू किया गया। वहां के बच्चे प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर पा रहे हैं।
इसके बाद अब इस गांव में भी करीब डेढ़ सौ से ज्यादा मकानों में क्रेडा के माध्यम से सोलर लाइट लगाया गया है जिसके चलते 20 साल बाद इस गांव में लोगों ने लाइट की सुविधा प्राप्त की है अब यहां का हर मकान दूधिया रोशनी से रोशन हो रहा है और लोगों को चिमनी के युग से निजात मिल चुकी है गांव के युवक मंगू का कहना है कि सोलर लाइट के माध्यम से गांव में विद्युत व्यवस्था शुरू होने के बाद ग्रामीणों में काफी उत्साह है अब लोग अंधेरे में नहीं बल्कि दूधिया रोशनी में रात गुजारने लगे हैं।