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शराब का जवाब शराब, पीएससी का जवाब पीएससी… भ्रष्टाचार का जवाब भ्रष्टाचार… आरोपों का जवाब आरोप… ए ना चोलबे!

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दबी जुबां से… सुरेश महापात्र।

छत्तीसगढ़ में इन दिनों ईडी की कार्रवाईयों के साथ घुमती भ्रष्टाचार की ईबारतों ने साफ कर दिया है कि चुनाव की सारी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। वर्तमान में विपक्ष की भूमिका निभा रही भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर मैदान में उतरने को तैयार है। और सत्ता पक्ष कांग्रेस की ओर से भी पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर उसी तरह के आरोपों से जवाब देकर बताने की कोशिश है कि भाजपा काल के भ्रष्टाचार के आरोपों की ढाल से ही इस सरकार पर हो रहे आरोपों का बचाव किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ में सबसे पहले इनकम टैक्स विभाग ने 2020—21 में छापा मारा। उसमें बरामद किए गए ब्योरों को तीस हजारी कोर्ट में दाखिल कर प्रवर्तन निदेशालय को आगे की कार्रवाई के लिए सौंप दिया। ये छापे छत्तीसगढ़ में कोलवाशरी में ट्रांसपोर्ट के दौरान सिस्टम के माध्यम से हो रही अवैध लेवी वसूली और उसके बंदरबांट को रेखांकित करती है। सैकड़ों करोड़ की अवैध लेवी का बंटवारा को लेकर बरामद सबूतों को जिस तरह से कोर्ट में ईडी ने पेश किया है उससे साफ है कि ऐसा हुआ तो है। क्योंकि इसी कार्रवाई के बाद करोड़ों रूपए की संपत्ति भी अटैच कर दी है।

याद कीजिए 2018 में चुनाव से पहले कांग्रेस ने भी भाजपा के डा. रमन सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर ताबड़तोड़ हमले किए थे। इसमें करीब 36 हजार करोड़ के राशन घोटाले का सबसे बड़ा आरोप भी भाजपा सरकार पर लगा। चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सरकार ने शुरूआती दिनों में एक के बाद एक कई ऐसी कार्रवाईयों का अंजाम दिया जिससे राज्य सरकार पर बदले की कार्रवाई का आरोप भी लगा। राशन घोटाले को लेकर एक डायरी का जिक्र बार—बार आता है जिसमें सीएम सर और सीएम मैडम को लेकर सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और उनकी पत्नी वीणा सिंह को कांग्रेस घेरने की कोशिश करती रही है।

इसी मामले में दो दिग्गज आईएएस अनिल टुटेजा और डा. आलोक शुक्ला के खिलाफ भी गंभीर आरोप लगे। पर कांग्रेस की सरकार में ये दोनो अधिकारी पहले से ज्यादा मजबूत दिखाई दिए। भाजपा इन अधिकारियों को लेकर लगातार घेराबंदी करती रही। डा. आलोक शुक्ला वर्तमान सरकार के इतने खास हो गए कि उन्हें सरकार ने सेवानिवृति के बाद तीन साल का एक्सटेंशन दिया और प्रमुख सचिव के तौर पर महत्वपूर्ण विभागों की बागडोर भी थमा दी। कांग्रेस की मौजूदा सरकार ने ऐसा किस रणनीति को ध्यान में रखकर किया यह तो सरकार की बता सकती है। पर ये दोनों अफसर भाजपा को लगातार खटकते रहे हैं।

इधर कांग्रेस की सरकार काबिज होने के कुछ समय बाद ही वैश्विक संकट कोविड का दौर आया और दो बरस तक हालात संकट में ही रहे। यानी कांग्रेस की सरकार को काम करने के लिए सीमित अवसर मिला। इस दौर में सबसे बड़ी चीज यही रही कि शराब को लेकर सरकार ने घर पहुंच सेवा जैसा विकल्प भी दे दिया। वही शराब जिसके लिए विपक्ष में रहते कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था पर इस वादा पर अमल नहीं किया। उल्टे कोविड के दौर में घर तक उसकी पहुंच के लिए नए रास्ते खोले। 

विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जनता ने पूरी तरह निहत्था कर दिया। पर भाजपा ने शराबबंदी के वादे को लेकर लगातार घेराबंदी करने की कोशिश की। इसके बाद छत्तीसगढ़ में 2020—21 में इनकम टैक्स विभाग ने ताबड़तोड़ छापे मारी की। इन छापों का केंद्र सीएम भूपेश ही बने रहे। यानी उनके करीबियों को सीधे निशाने पर लिया गया। मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सौम्या चौरसिया इनमें से सबसे महत्वपूर्ण नाम है।

सौम्या को लेकर कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रशासनिक हलकों में साफ संकेत था कि मैडम के संदेश का मतलब सीएम। ऐसा होता ही है क्योंकि सरकार के मुखिया के पास इतना समय नहीं होता कि वह हर बात की पड़ताल स्वयं कर सके तो उसे ऐसे ब्यूरोक्रेट की दरकार पड़ती ही है। कुछ इतनी ही या इससे ज्यादा प्रभावशाली भूमिका में भाजपा सरकार के दौर में अमन सिंह भी रहे। उनके खिलाफ भी आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच को लेकर न्यायालय के तमाम रास्ते बंद होते दिखाई दे रहे हैं।

अक्सर सत्ता के सबसे करीबियों के साथ ऐसा होता ही है। चाणक्य ने कहा था कि ‘यदि जीभ पर शहद की बूंद टपका दी जाए और जीभ से कहा जाए कि वह स्वाद ना ले! यह असंभव है।’ बिल्कुल इसी तरह से सरकार के सबसे ज्यादा भरोसेमंद अफसर स्वाद लेते ही रहे हैं। अब यह प्रतीत हो रहा है कि कुछ मामलों में मसला स्वाद लेने से बढ़कर शहद पीने तक भी पहुंच गया।

मौजूदा सरकार पर कोलवाशरी के अवैध वसूली गैंग के साथ मिलजुल कर मलाई खाने के कई प्रमाण ईडी ने अपनी कार्रवाई के बाद न्यायालय में सौंपे हैं। फिलहाल अधिकारी, व्यापारी और नेताओं की एक टोली जेल में हैं। इसके बाद ईडी की कार्रवाई के दौरान जो प्रमाण मिले उनका संबंध शराब से जुड़ा निकला। इसमें करीब 2000 करोड़ के शराब घोटाले का आरोप लगाया जा रहा है। यह भूपेश सरकार पर अब तक का सबसे बड़ा आरोप है। जिसमें साफ तौर पर आंकड़ा भ्रष्टचार के आरोपों को स्थापित करने के लिए विपक्ष के लायक दिखाई दे रहा है।

इस आरोप को लेकर भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में आईटी सेल और प्रवक्ताओं का प्रशिक्षण भी संचालित हुआ। इसमें पार्टी तंत्र को इस मुद्दे को बारिकी से समझाते हुए जनता के बीच में जाने के लिए तैयार किया गया। यानी साफ है कि शराब और उसके कारोबार से जुड़े इस मामले में विपक्ष भ्रष्टाचार के आरोपों को जमीन पर खड़ा करने को तैयार है। शराब को लेकर कई तरह के आरोप है मसलन नकली शराब और उसके ट्रांसपोर्ट को लेकर भाजपा पूरे प्रदेश में हल्ला बोल रही है।

रायपुर के महापौर एजाज ढेबर और उनके भाई अनवर ढेबर को तलब करने के बाद अनवर ढेबर को ईडी गिरफ्तार कर चुकी है वह जेल में है। इसके अलावा आबकारी विभाग के आला अधिकारी एपी त्रिपाठी भी जेल में हैं। वहीं कांग्रेस के नेता, शराब कारोबारी और होटल व्यावसायी भी जेल दाखिल किए गए हैं। फिलहाल और भी कार्रवाई के संकेत दिखाई दे रहे हैं।

इन कार्रवाईयों के बारे में सीएम भूपेश बघेल साफ तौर पर कह रहे हैं कि यह सब चुनाव के लिए केंद्रीय भाजपा सत्ता के इशारे पर किया जा रहा है। कर्नाटक के परिणाम के बाद अब छत्तीसगढ़ में ईडी और भी कार्रवाई करेगी। उन्होंने दो दिन पहले इस बात की आशंका जताई कि ईडी शराब मामले में उनके नाम को शामिल करने की तैयारी में है।

इसके बाद कांग्रेस ने जिस तरह से सोमवार को एक पोस्टर जारी किया जिसमें भाजपा शासन में 4400 करोड़ का शराब घोटाला बताया है। इसके लेकर सोशल मीडिया में यह द्वंद सीधे तौर पर है कि भाजपा यदि शराब के दो हजार करोड़ के घोटाले पर बात करेगी तो कांग्रेस इसका जवाब भाजपा शासन के दौरान 44 सौ करोड़ के घोटाले के साथ देगी। इसके पीछे आंकड़ों का खेल है। जिसमें वर्तमान सरकार के दावे के अनुसार राज्य सरकार ने शराब व्यापार से पिछली सरकार से 4400 करोड़ रूपए ज्यादा हासिल किए हैं। इसे लेकर पूर्व सरकार पर यह आरोप है कि उसने गड़बड़ी की है।

पूर्व आईएएस और प्रदेश भाजपा के महामंत्री ओपी चौधरी का यह बयान गौरतलब है ‘भूपेश बघेल के संरक्षण में कांग्रेस शासन में 2 हजार करोड़ के शराब घोटाले का जवाब देते नहीं बन रहा तो कांग्रेस प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भाजपा शासनकाल में 44 सौ करोड़ के शराब घोटाले का बेबुनियाद आरोप लगा कर यह मुगालता पाल रही है कि उसके पाप धुल जाएंगे।’

ओपी चौधरी ने कहा कि अब से पहले कांग्रेस को भाजपा शासन काल में कोई शराब घोटाला नहीं मिला। 2 हजार करोड़ का ऑर्गनाइज्ड क्राइम सिंडिकेट शराब घोटाला ईडी ने पकड़ा और कांग्रेस के कमीशन एजेंट, आबकारी अधिकारी गिरफ्तार हो गए तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दहशत में हैं। सपने में ईडी दिख रही है। संकेत साफ है कि आने वाले दिनों में ईडी की कार्रवाई और सरकार के बीच में भ्रष्टाचार के मामले पर चुनावी रणनीति पर काम होगा।

इसी तरह से हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण के मामले में राज्य सरकार को राहत मिलने के बाद पीएससी की सूची जारी करने का मौका मिला। इस सूची को लेकर भारी बवाल मचा हुआ है। टॉप के 25 नामों में अधिकारी, नेता और प्रभावशाली वर्ग के अभ्यर्थियों का नाम देखकर सोशल मीडिया में हायतौबा है। 

भाजपा इस मामले को लेकर भी आक्रामक हुई तो इसके जवाब में कांग्रेस की ओर से 2005 में भाजपा शासन काल के दौरान का मामला उठाया जा रहा है। फिलहाल पीएससी की इन नियुक्तियों को लेकर सरकार की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है पर गज़ब के इत्त़फ़ाक को लेकर बवाल तो है। आरोप तो यह भी है कि टॉप के नाम के लिए बोलियां लगाई गईं जिसका लाभ प्रभावशाली ही उठा सकते हैं।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरूण साव ने गोठानों में आर्थिक गड़बड़ी का आंकड़ा पेश करते कहा ‘प्रदेश 20 अप्रैल 2023 तक प्रदेश की 11 हजार पंचायतों में 10 हजार 6 सौ नब्बे गौठान स्वीकृत हुए हैं। जिसमें से 10 हजार से अधिक गौठान पूर्ण हो गये हैं।’ प्रति गोठान 300 गोवंश/पशु रहना था किन्तु गोठान खाली पड़े हैं। भारतीय जनता पार्टी ने, छत्तीसगढ़ को कलंकित करने वाले इस भ्रष्टाचार के ख़िलाफ जन-जागरण के लिए एक प्रदेशव्यापी ‘चलबो गोठान-खोलबो पोल’ अभियान शुरू करना तय किया है।

छत्तीसगढ़ में छह माह बाद चुनाव है। इससे पहले ही साफ हो गया है कि यहां भाजपा अब भ्रष्टाचार को लेकर आक्रामक होगी। जमीन पर भ्रष्टाचार के आरोपों पर बहस होगी। इस बीच शराब का जवाब शराब, पीएससी का जवाब पीएससी… भ्रष्टाचार का जवाब भ्रष्टाचार… के आरोपों से देने की कोशिश को लेकर यही कहा जाना चाहिए कि …ए ना चोलबे!