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सुप्रीम कोर्ट ने ख़बरों को ‘सांप्रदायिक लहजे’ में पेश करने पर जताई चिंता…

Impact desk.

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया, वेब पोर्टल और निजी टीवी चैनलों के एक वर्ग में झूठी ख़बरों को चलाने और उन्हें सांप्रदायिक लहजे में पेश करने को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे देश का नाम ख़राब हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये कहा. इस पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना कर रहे थे. साथ ही जस्टिस सूर्य कांत और एएस बोपन्ना भी इस बेंच में शामिल थे.

इन याचिकाओं में पिछले वर्ष निज़ामुद्दीन मरकज़ में हुई एक धार्मिक सभा को लेकर “फ़ेक न्यूज़” के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए केंद्र को निर्देश देने और इसके ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने की माँग की गई है.

सुनवाई करते हुए अदालत ने पूछा, “निजी समाचार चैनलों के एक वर्ग में जो भी दिखाया जा रहा है उसका लहजा सांप्रदायिक है. आख़िरकार इससे देश का नाम ख़राब होगा. आपने कभी इन निजी चैनलों के नियमन की कोशिश की है?”

पीठ ने कहा कि सोशल मीडिया केवल “शक्तिशाली लोगों” की आवाज़ सुनता है और न्यायाधीशों, संस्थाओं के ख़िलाफ़ बिना किसी जवाबदेही के लिखा जा रहा है.

उन्होंने कहा, “फ़ेक न्यूज़ और वेब पोर्टल तथा यूट्यूब चैनलों पर लांछन लगाने को लेकर कोई नियंत्रण नहीं है. अगर आप यूट्यूब पर जाएँ तो वहाँ देखेंगे कि किसी आसानी से फ़ेक न्यूज़ को चलाया जा रहा है और कोई भी यूट्यूब पर चैनल शुरू कर सकता है.”

अदालत ने ये भी कहा कि वो छह सप्ताह बाद केंद्र की विभिन्न हाई कोर्टों में दायर उन याचिकाओं को स्थानांतरित करने के आग्रह के बारे में भी सुनवाई करेगी.

ये याचिकाएँ सोशल मीडिया और वेबसाइटों पर पेश की जा रही सामग्रियों के नियमन को लेकर जारी किए गए नए आईटी नियमों से संबंधित हैं.

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