छत्तीसगढ़ में भाप्रसे के अधिकारी समीर विश्नोई की गिरफ्तारी और ED को मिली 8 दिन की रिमांड के बाद निलंबन का सवाल… क्या कहता है कानून और प्रक्रिया… डीओपीटी की भूमिका कितनी?
Getting your Trinity Audio player ready...
|
इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।
आम तौर पर एक IAS अधिकारी का कार्य अपने क्षेत्र में तैनात होने के बाद सरकारी नीतियों को लागू करना है, जो कि एसडीएम, एडीएम, डीएम और विभागीय आयुक्त के रूप में होता है और जनता और सरकार के बीच मीडिएटर के रूप में कार्य करते हुए दैनिक मामलों का संचालन करना है। इसलिए एक IAS अधिकारी से ही योजनाओं और नीतियों के निर्माण तथा उनके क्रियान्वयन की अपेक्षा की जाती है।
IAS अधिकारी पूरे जिले में सबसे ज्यादा प्रभावशाली व्यक्ति होता है। वह जिले के हर विभाग का मार्गदर्शन करता है चाहें वो पुलिस विभाग हो या स्वस्थ्य विभाग। केंद्र में भी सभी मंत्रालयों के सचिव IAS अधिकारी ही होते हैं चाहें मंत्रालय कोई भी हो। अंग्रजों द्वारा बनायी गयी इस सर्विस को “heaven born service” भी कहते हैं। जितना कठिन इस सर्विस में प्रवेश है उतना ही मुश्किल इस सर्विस के व्यक्ति को हटाना भी है।
केंद्र सरकार के साथ काम कर रहे आईएएस अफसरों की रक्षा के लिए नया नियम आ गया है। अब उनके निलंबन के लिए डीओपीटी की मंजूरी जरूरी होगी। ईमानदार अफसरों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया गया है।
डीएम को जिले में अगर किसी कार्य में कोई लापरवाही दिखती है तो वह कर्मचारियों को निलंबित भी कर सकता है उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा सकता है. वहीं आईएएस के निलंबन की शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास होती है।
केंद्र ने राज्य सरकारों से मशविरे के बाद नए नियम को अंतिम रूप दिया है। अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) संशोधन नियम 2015 के अनुसार निलंबन को एक हफ्ते से अधिक जारी रखने के लिए सरकार को सिविल सर्विसेज बोर्ड या केंद्रीय समीक्षा समिति की अनुशंसा की जरूरत होगी।
30 दिन में करनी होगी निलंबन की पुष्टि
पहले अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के निलंबन की समीक्षा के लिए राज्य स्तर पर समीक्षा समिति बनी हुई है, जिसे पहले 45 दिन में निलंबन की पुष्टि करनी होती है। नए नियमों में यह अवधि 30 दिन होगी।
निलंबन की सूचना 48 घंटे में देनी होगी – अब राज्य सरकार किसी आईएएस-आईपीएस अफसर को निलंबित करेगी तो उसे 48 घंटे में इसकी जानकारी केन्द्र को देनी होगी। पहले केन्द्र को सूचना देने का कोई प्रावधान नहीं था।
IAS अधिकारी की बर्खास्तगी के लिए नियम
IAS अधिकारियों के सेवा नियम तथा बर्खास्तगी के नियम संविधान के अनुच्छेद 311 में वर्णित हैं। इस अनुच्छेद में संघ या राज्य के तहत सिविल सेवाओं वाली रैंक के व्यक्तियों की बर्खास्तगी, निष्कासन या उसमें कमी के मामलों का वर्णन है।
अनुच्छेद 311 के अनुसार, संघ या राज्य के अधीन सिविल हैसियत में नियोजित व्यक्तियों का पदच्युत किया जाना, पद से हटाया जाना या पंक्ति में अवनत किया जाना–(1) किसी व्यक्ति को जो संघ की सिविल सेवा का या अखिल भारतीय सेवा का या राज्य की सिविल सेवा का संदस्य है अथवा संघ या राज्य के अधीन कोई सिविल पद धारण करता है, उसकी नियुक्ति करने वाले प्राधिकारी के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी द्वारा पदच्युत नहीं किया जाएगा या पद से नहीं हटाया जाएगा।
इसके अलावा, उपरोक्त किसी भी व्यक्ति को ऐसे पदों से निलंबित या बर्खास्त कर दिया जाएगा, जिसमें जांच के बाद उसके खिलाफ आरोप साबित हुए हों और उन आरोपों के संबंध में सुनवाई का उचित मौका दिया गया हो।
IAS ऑफिसर की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है तथा सरकार उसको भारतीय गजट में नोटिफाई करती है इसिलिए यह अधिकारी गज़ेटेड अधिकारी भी कहलाते हैं। इसका तात्पर्य यह हुआ की राष्ट्रपति के सिवाय इन अधिकारीयों को कोई भी बर्खास्त नही कर सकता। राज्य सरकार भी इनको सिर्फ निलंबित ही कर सकती है, बर्खास्तगी का अधिकार राज्य सरकार के पास भी नहीं है।
आम तौर पर एक कर्मचारी को बर्खास्त करने से पहले दो तरीके अपनाए जाते हैं – पहला आरोपों की जाँच और बाद में बर्खास्त किया जाना। लेकिन इसे संविधान के 42 वें संसोधन अधिनियम के तहत बदल दिया गया है। इसके तहत जांच के दौरान प्राप्त साक्ष्य के आधार पर बर्खास्तगी, पद से हटाने या रैंक में कमी की, सजा दी जा सकती है। इन अधिकारियों को अनुच्छेद 311 (2) के अंतर्गत स्थायी और अस्थायी दोनों सरकारी कर्मचारियों को संरक्षण प्राप्त है।