अब पेपर नहीं सीधे ऐप में एंट्री की जाएगी वन्य प्राणियों की सभी जानकारियां…
Impact desk.
चार साल में एक बार होने वाली वन्य प्राणियों की गणना अक्टूबर में होनी है। इस बार गणना के दौरान पेपर का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया जाएगा। मसलन वन अमले को सीधे एमस्ट्राइप्स इकोलाजिकल मोबाइल एप में जानकारी भरनी होगी। दरअसल यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि गणना के दौरान किसी तरह गड़बड़ी न हो और रिपोर्ट आनलाइन सेव हो जाए।
यह महत्वपूर्ण गणना है। इसके लिए कवायद तेज कर दी गई है। पिछले दिनों अचानकमार टाइगर रिजर्व समेत छत्तीसगढ़ के अन्य टाइगर रिजर्व के अधिकारी राजस्थान प्रशिक्षण लेने के लिए गए थे। इसी दौरान मोबाइल एप के बारे में विस्तार से बताया गया। गणना एप के साथ कैमरे ट्रैप से होगी। अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने बीट के अनुसार कैमरे की व्यवस्था करने की तैयारी भी शुरू कर दी है। जिसमें 644 कैमरे लगेंगे। पर लगेगा 322 जगहों पर। दरअसल एक जगह पर दो कैमरे लगाए जाते हैं। इससे बाघ समेत अन्य वन्य प्राणियों की बेहतर ढंग से पहचान होती है।
कैमरे के सामने से गुजरते ही आटोमेटिक क्लिक हो जाता है। एप से गणना के लिए ट्रेल व ट्रांजिट लाइन पर वनकर्मियों को चलना होगा। ट्रेल पांच किमी का होता है। जिसे नदी- नाले, पगडंडी या किसी भी वनमार्ग में बनाया जाता है। इस विधि से केवल मांसाहारी वन्य प्राणियों की गणना होती है। जबकि ट्रांजिट लाइन में केवल शाकाहारी वन्य प्राणी गिने जाते हैं।
पूर्व में गणना के दौरान एक प्रारुप भी दिया जाता था। इसे वनकर्मियों को जहां वन्य प्राणियों के पद चिन्ह के निशान मिलते थे वहां भरना होता था। गणना समाप्त होने के बाद सभी प्रारूप जमा होते थे। यह प्रक्रिया कठिन होने के साथ ही गड़बड़ी भी होती थी। इस बार ऐसा नहीं होगा। एप की खासियत यह है कि यह आनलाइन व आफलाइन दोनों मोड पर काम करेगा। जंगल के अंदर कवरेज नहीं होने के कारण दोनों तरह की व्यवस्था की गई है।