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यूपी के अयोध्या में ‘भगवान श्रीराम’ के जवाब में छत्तीसगढ़ के चंद्रखुरी में ‘माता कौशल्या’… राम वनगमन पथ के विकास पर करोड़ों की योजना…

पौराणिक कथाओं जैसा सुंदर होगा भगवान राम का ननिहाल

इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर।

हिंदुस्तान के मर्म पर स्पर्श करते अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की तैयारी जोर—शोर से चल रही है। वहीं 14 बरस के वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ के राम वन गमन पथ पर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के डेढ़ दशक की अनदेखी का फायदा कांग्रेस सरकार पूरी तरह से उठा रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भगवान श्रीराम के ननिहाल माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी के विकास के लिए जुटे हैं।

भगवान राम के ननिहाल चंदखुरी का सौंदर्य अब पौराणिक कथाओं के नगरों जैसा ही आकर्षक होगा। राजधानी रायपुर के निकट स्थित इस गांव के प्राचीन कौशल्या मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत रखते हुए, पूरे परिसर के सौंदर्यीकरण की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी राम वन गमन पथ विकास परियोजना में शामिल चंदखुरी में यह पूरा कार्य 15 करोड़ 75 लाख रुपए की लागत से किया जाएगा।

योजना के मुताबिक चंदखुरी में मंदिर के सौंदर्यीकरण तथा परिसर विकास का कार्य दो चरणों में कार्य पूरा किया जाएगा। पहले चरण में 6 करोड़ 70 लाख रुपए व्यय किए जाएंगे, जबकि दूसरे चरण में 9 करोड़ 8 लाख रुपए खर्च होंगे।

योजना के मुताबिक चंदखुरी को पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकसित किया जाना है, इसलिए वहां स्थित प्राचीन कौशल्या माता मंदिर के सौंदर्यीकरण के साथ-साथ नागरिक सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा। तालाब का सौंदर्यीकरण करते हुए के मध्य में स्थित मंदिर-टापू को और भी आकर्षक तथा सुव्यवस्थित किया जाएगा।

पौराणिक कथाओं से चंदखुरी के संबंध के अनुरूप पूरे परिसर के वास्तु को डिजाइन किया गया है। तालाब मंदिर तक पहुंचने के लिए तालाब में नये डिजाइन का पुल तैयार किया जाएगा। तालाब में घाटों और चारों और परिक्रमा-पथ का निर्माण किया जाएगा।

दर्शनार्थियों के वाहनों के लिए पार्किंग सुविधा भी विकसित की जा रही है। इस पूरे परिसर में आकर्षक विद्युत साज-सज्जा की जाएगी।

बीते 22 दिसंबर को चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए भूमि-पूजन किया गया था। इसके साथ ही राम वन गमन पथ पर पड़ने वाले महत्वपूर्ण स्थलों के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की परियोजना की भी शुरुआत कर दी गई थी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 29 जुलाई को अपनी धर्मपत्नी मुक्तेश्वरी बघेल और परिवार के सदस्यों के साथ चंदखुरी पहुंचकर प्राचीन मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। इस दौरान उन्होंने मंदिर के विस्तार और परिसर के सौंदर्यीकरण के लिए तैयार परियोजना की जानकारी ली थी। श्री बघेल ने निर्देशित किया था कि मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत रखते हुए यहां आनेवाले श्रद्धालुओं का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए।

मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों की मांग पर मंदिर के पास से बायपास सड़क निर्माण की भी स्वीकृति प्रदान की है। साथ ही ग्रामीणों की सहुलियत को देखते हुए चंदखुरी में राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा खोलने के निर्देश जिला अधिकारियों को दिए हैं।

कछुरिया के वाल्मीकि आश्रम को धार्मिक पर्यटन स्थल

छत्तीसगढ़ न केवल माता कौशल्या की जन्मभूमि है, बल्कि वह स्थान भी है जहां महर्षि वाल्मीकि, जिन्होंने रामायण के माध्यम से दुनिया को भगवान राम का उल्लेखित किया था। उन्होंने ध्यान करने के लिए आश्रम बनाया था। भूपेश बघेल की सरकार ने कछुरिया के वाल्मीकि आश्रम को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिया हैं। स्थल को चाकचौरी के रूप में विकसित किया जाएगा, जैसे कि माता कौशल्या की जन्मस्थली चंदखुरी। इसी तरह, भगवान राम की कथा से जुड़े एक और महत्वपूर्ण स्थान यानी छत्तीसगढ़ के शिवनारायण क्षेत्र को विकसित करने की कार्ययोजना भी तैयार की गई है। शिवनारायण वह स्थान है, जहाँ भगवान राम ने माता शबरी का चूरन खाया था।

लव—कुश जन्म स्थल तुर​तुरिया का भी विकास
बलौदा बाजार जिले के तुरतुरिया इलाके में वाल्मीकि आश्रम और आश्रम के आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। यह आश्रम पहाड़ों और प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है, जो बरनावापारा अभयारण्य के निकट स्थित है। नारायणपुर और बलमदेही नदी के पास महानदी नदी पर वाटरफ्रंट विकास भी प्रस्तावित है। इन स्थानों पर कॉटेज का निर्माण भी किया जाएगा। तुरतुरिया के पास एक हजार साल पुराना शिव मंदिर है जिसे छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जाएगा। भगवान राम ने अपने वनवास का कुछ समय तुरतुरिया के वन में बिताया था और माना जाता है कि लव-कुश भी इसी आश्रम में पैदा हुए थे। तुरतुरिया को इको टूरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित करने के लिए योजना तैयार की गई है।

शिवनारायण के गुप्त—तीर्थ का विकास
तुरतुरिया की तरह, शिवनारायण भी एक सुंदर जगह है, जो जांजगीर-चांपा जिले में महानदी, जोंक और शोनथ नामक नदियों के संगम स्थल के पास स्थित है। भगवान राम और भगवान जगन्नाथ के जीवन से जुड़े होने के कारण इस स्थान का अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। विश्वास के अनुसार, यह शहर सभी चार ‘युगों’ में बच गया है और विभिन्न नामों से जाना जाता है। भगवान जगन्नाथ के ‘विग्रह’ को इस स्थान से पुरी, ओडिशा स्थित मंदिर ले जाया गया था। इस स्थान को ‘गुप्त-तीर्थ’ और छत्तीसगढ़ के ‘जगन्नाथ पुरी’ के रूप में जाना जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने शिवनारायण के सौंदर्यीकरण और विकास के लिए भी जगह बनाई है। इन स्थानों को उचित पर्यटन सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है।

रायपुर जिले के चंदखुरी क्षेत्र के साथ, मुख्यमंत्री श्री बघेल की महत्वाकांक्षी राम वन गमन पथ परियोजना के तहत टुरटुरिया और शिवनारायण को भी 137.45 करोड़ रुपये में शामिल किया गया है। इस मेगा परियोजना के पहले चरण में, नौ स्थानों को विकसित और सुशोभित किया जाएगा। राज्य में कुल 75 ऐसे स्थानों की पहचान की गई है, जहाँ भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान समय बिताया था।

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