चैंबर के चुनाव में भाजपा के दिग्गज लगे थे दांव पर… बाफना, बोथरा, सोमानी और मद्दी के सामने लुंकड़ की चुनौती बड़ी दिखी…
इम्पेक्ट न्यूज। जगदलपुर।
छत्तीसगढ़ में राजनीति का केंद्र बस्तर रहा है। यहां नगरनार में इस्पात संयंत्र की स्थापना के बाद से चैंबर में पकड़ के लिए बड़े लोगों की पर्दे के पीछे से मौजूदगी बाहर दिखाई देने लगी है। इस बार बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज चुनाव में 73.83% मतदान के साथ कांटे की टक्कर रही। एक मात्र वरिष्ठ उपाध्यक्ष के लिए मतदान हुआ इसमें महज 13 वोट से व्यापारी एकता पैनल के विमल बोथरा विजयी हुए।
निर्दलीय उम्मीदवार अशोक लुंकड़ , एकता पैनल से विमल बोथरा
बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का चुनाव शनिवार को चेंबर भवन में हुआ। सुबह से ही गहमा-गहमी का माहौल रहा। पूरे बस्तर संभाग से व्यापारी मतदान करने के लिए जगदलपुर पहुंचे। सुबह 10 बजे से वोटिंग शुरू हुई और शाम 4 बजे तक 73.83 प्रतिशत मतदान हुआ। चैंबर के 2117 व्यापारियों में से 1563 ने मतदान किया। इसमें से 1555 बोट वैध पाए गए।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद के लिए व्यापारी एकता पैनल से विमल बोथरा व निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अशोक लुंकड़ के बीच सीधा मुकाबला रहा। दोनों ही प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर रही। मतगणना के अंतिम राउंड तक दोनों के आगे-पीछे होने का सिलसिला जारी रहा। आखिर में 5 चरणों में हुई मतगणना के बाद एकता पैनल के उम्मीदवार रहे विमल बोथरा को महज 13 मतों के अंतर से विजेता घोषित किया गया। अब चेंबर पर व्यापारी एकता पैनल का कब्जा हो गया है।
चैंबर भवन के पास अलग-अलग पंडालों में व्यापारी एकता पैनल व निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थक व्यापारियों से उनके पक्ष में मतदान करने प्रभावित करते रहे। शाम 5 बजे से मतों की गणना शुरू हुई। व्यापारी एकता पैनल के बोथरा को 784, निर्दलीय अशोक को 771 वोट मिले शुरू से ही दोनों जीत का दावा करते रहे। शाम ठीक 5 बजे से मतगणना शुरू हुई। जिसमें पहले चरण में लुंकड़ को 156 वोट मिले, जबकि बोथरा को 144 मत ही मिले और लुंकड़ इस राउंड में 12 वोटों से आगे चल रहे थे। दूसरे राउंड में बोथरा को 150 और लुंकड़ को 148, तीसरे राउंड में बोधरा को 149 और लुंकड़ को 151 वोट मिले। चौथे राउंड में बिमल को 168 और अशोक को 129 वोट मिले। पांचवे राउंड में विमल को कुल 784 वोट मिले, जबकि अशोक को 771 वोट मिले। दोनों के बीच कटि की टक्कर देखने को मिली। सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक 6 घंटों तक मतदान जारी रहा। जहां 1563 मतदाताओं ने वोटिंग की, लेकिन मतगणना के दौरान 8 वोट निरस्त किए गए और 1555 वोट वैध मिले।
बस्तर संभाग के व्यापारियों का सबसे बड़े संगठन में चुनाव प्रक्रिया के दौरान वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद को छोड़ बाकी व्यापारी एकता पैनल के पदाधिकारी निर्विरोध निर्वाचित हो गए। केवल वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर के लिए व्यापारी एकता पैनल से विमल बोथरा व निर्दलीय उम्मीदवार अशोक लुंकड़ के बीच मतदान के नौबत आई।
हाईप्रोफाइल चुनाव
चैंबर चुनाव में पहली बार ऐसा माहौल देखने को मिला, जहां प्रत्याशियों ने पानी की तरह पैसा भी बहाया और सधन जनसंपर्क करते हुए केशकाल से लेकर भोपालपटनम और कोटा तक की दौड़ भी लगाई। इस दौरान उन्होंने व्यापारियों से मुलाकात करते हुए अपना संकल्प पत्र भी दिया, जिसमें उन्होंने समस्याओं को दूर करने की बात कही। पहली बार हाइप्रोफाइल चुनाव देखने को मिला। बड़ी बात यह है कि इस बार चैंबर के चुनाव में वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद के लिए मैदान में डटे दोनों प्रत्याशी भाजपा की राजनीति से जुड़े हुए हैं। बस्तर में चैंबर के इस चुनाव में पूर्व विधायक संतोष बाफना, भाजपा के दिग्गज नेता श्रीनिवास मद्दी, पूर्व में लंबे समय तक चैंबर के अध्यक्ष का दायित्व निभाने वाले पुखराज बोथरा, भंवर बोथरा का गुट व्यापारी एकता पैनल की ओर से निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित श्याम सोमानी के साथ खड़ा रहा।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद के लिए चुनाव से पहले अशोक लुंकड़ ने अपनी दावेदारी पेश की। जिस पर मानमनौव्वल का दौर भी चला। अशोक को चैंबर के किसी अन्य पद में एडजस्ट करने का प्रस्ताव भी रखा गया। पर वे राजी नहीं हुए। अशोक लुंकड़ और अनिल लुंकड़ लुंकड़ टैक्सटाइल्स के कारोबार से करीब सात दशक से जुड़े हुए हैं। अशोक लुंकड़ ने अपने पिता के व्यापार से पृथक रियल स्टेट के कारोबार को खड़ा किया। जगदलपुर में वर्तमान में लुंकड़ के कई प्रोजेक्ट संचालित हैं।
अशोक के बड़े भाई अनिल लुंकड़ समाज सेवा के साथ—साथ पर्यावरण के लिए अपने काम के लिए बड़ा चेहरा हैं। वे हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय राजनीति में भी शामिल हुए हैं। इस तरह से चैंबर के इस चुनाव में एक प्रकार से भाजपा के दिग्गजों की छवि दांव पर लगी रही। बड़ी बात यही है कि बाफना, मद्दी समेत भाजपा के बड़े समूह के सक्रिय भागीदारी के बाद भी अशोक लुंकड़ ने बस्तर चैंबर के चुनाव में अब तक की सबसे बड़ी चुनौती पेश की है। यइ साफ दिख रहा है कि इसका प्रभाव आने वाले समय में बस्तर के चैंबर की राजनीति में देखने को मिलेगा।
क्या है वरिष्ठ उपाध्यक्ष का मसला?
बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के संविधान में संशोधन कर दिया गया है। जिसके मुताबिक अब अध्यक्ष पद के लिए केवल वही प्रत्याशी पात्र हो सकता है जिसने कम से कम छह बरस तक चैंबर कार्यकारिणी के किसी पद में जिम्मेदारी का निर्वहन किया हो। ऐसी स्थिति में अध्यक्ष पद के लिए भविष्य में होने वाले चुनाव में केवल उसी पैनल का प्रत्याशी पात्र हो सकता है जिसका कब्जा बना हुआ है। इस समय एकता पैनल लंबे समय से चैंबर का दायित्व निभाता रहा है। अध्यक्ष के बाद दूसरा बड़ा पद वरिष्ठ उपाध्यक्ष का ही है जिसे लेकर रस्साकशी चली।
चैंबर की नई कार्यकारिणी
अध्यक्ष- श्याम सोमानी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष— विमल बोथरा कनिष्ठ उपाध्यक्ष- कमल सेठी, बाहरी क्षेत्र से मो इरशाद, सुरेंद्र चांडक, महामंत्री- नवरतन जलोटा, कोषाध्यक्ष— श्रीधर मद्दी, मंत्री-गजेंद्र चांडक व दीपक भानुशाली, बाहरी क्षेत्र से राजकिशोर राठी व जवरीलाल चौरड़िया।