Breaking news : छत्तीसगढ़ में खेलगढ़िया की राशि में हो गया बड़ा खेल… करोड़ों का मामला निपटाने हर जिले में खंडन अधिकारी… सीएम को गुप्त शिकायती पत्र की जांच भी गुप्त…
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- इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।
आप यह जानकर चौंक सकते हैं कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग के आला अफसरों की सरपरस्ती में खेलगढ़िया जैसी व्यवस्था में करोड़ों का सप्लाई खेला हो गया है। घटिया खेल सामग्री महंगी दाम में जिलों में डंप किए जा रहे हैं और पैसे के लिए चौतरफा दबाव बढ़ा दिया गया है। सरगुजा से बस्तर तक सभी जिलों में इस तरह की शिकायतें आ रही हैं। आप यह भी जान लें कि हाल ही में जिलों में शिक्षा विभाग ने खंडन अधिकारियों की नियुक्ति की थी उसकी असल वजह क्या थी?
मजेदार बात तो यह है कि रायपुर के एक फर्म ने मुख्यमंत्री कार्यालय में एक शिकायत की थी कि खेलगढ़िया में जेम पोर्टल से खरीदी के नाम पर धांधली की गई है। इसमें एक ही आईपी एड्रेस से क्रेता और विक्रेता ने खरीदी—बिक्री की प्रक्रिया पूरी कर ली। यानि एक ही कम्प्यूटर में बैठकर जेम पोर्टल में सामग्री की खरीदी ऐसे की गई कि क्रेता ने उसी कम्प्यूटर से आर्डर दिया और उसी कम्प्यूटर से विक्रेता ने बेच दिया। यह मामला करीब 28 करोड़ रुपए की खरीदी का है। यह राशि केंद्र की समग्र शिक्षा में खेल सामग्री के लिए मिले अनुदान की है। जिसके तहत राज्य के स्कूलों में खेल विकास के लिए खेल सामग्री की खरीदी की जानी थी।
कुल राशि का करीब 70 प्रतिशत जेम के मार्फत क्रय प्रक्रिया पूरी करने के बाद सप्लाई करने की व्यवस्था कर दी गई। इसी अनुदान की 30 प्रतिशत राशि प्रदेश के सभी स्कूलों के लिए जारी की गई।
इसी तरीक से केंद्रीय अनुदान मद में छतीसगढ़ में ‘खेला’ हो गया है। स्कूलों के खाते में पूरे रुपए डालने के बजाए 70 फीसदी की कटौती कर प्लास्टिक की अनुपयोगी खेल सामग्री भेज दी गई है। बताया जा रहा है कि बिलासपुर की दो व रायपुर की एक फर्म के साथ मिलकर यह खेल चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में जेम से खरीदी पर बंदिश लागू किया है। इसके बावजूद छतीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के बजाए अनधिकृत फर्मों के जरिए गौरमेंट ई मार्केट (जीईएम) से खरीदी कर लिया गया।
बीते साल तक सामग्री की पूरी राशि स्कूलों के खाते में आती थी, फिर प्रधान पाठक व शिक्षा समिति स्थानीय स्तर पर प्रचलित खेलों से संबंधित जरूरत के हिसाब से खरीदी करती थी। इस साल इस नियम को अफसरों ने जेब में रखकर अपनी पसंद के फर्मों से सामान खरीद लिया और इन फर्मों ने एक किट में गैरजरूरी व स्तरहीन सामग्री स्कूलों में लाकर पटक दी।
खेलगढ़िया का यह खेला पूरे प्रदेश में हाई लेवल पर किया गया है। शायद यही वजह है कि मामले में सवालों के जवाब देने के बजाय डीईओ चुप्पी साध रहे हैं।
केंद्र सरकार द्वारा संचालित समग्र शिक्षा अभियान की खेल मद के तहत प्रदेश के प्रत्येक करीब 30 हजार प्राथमिक स्कूलों के लिए 5 हजार रुपए व साढ़े 13 हजार मिडिल स्कूलों 10 हजार व साढ़े चार हजार हाई-हायर सेकेंडरी स्कूलों करीब 25 हजार के मान से कुल 28 करोड़ की मंजूरी दी गई थी।
रुपए 28 फरवरी के पहले खर्च कर उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को भेजना था। नियम के मुताबिक सामग्री का क्रय स्थानीय शिक्षा समिति को करना था पर प्रदेश के समग्र शिक्षा अभियान विभाग ने स्वीकृत राशि में 70 फीसदी राशि करीब 22 करोड़ रुपए की कटौती कर 30 फीसदी राशि करीब 6 करोड़ स्कूलों के खाते में जमा करवा दी।
कटौती की गई राशि से प्राथमिक स्कूलों के लिए खंडेलवाल सेल्स कार्पोरेशन बिलासपुर, मिडिल स्कूलों में हंसराज साइंटिफिक एंड मैटल वर्क्स बिलासपुर व हाई/हायर सेकेंडरी स्कूलों में गोयल फर्नीचर रायपुर से खेल सामग्री की सप्लाई की गई है। सप्लाई की गई खेल सामग्री हल्की एवं प्लास्टिक की है। खेल सामग्री की तय मात्रा व प्रकार में भी कमी की गई है। जानकारों के मुताबिक प्राथमिक स्कूलों को दी गई सामग्री खुले बाजार में 1500 में, मिडिल स्कूल की सामग्री 2500 व हाई-हायर की सामग्री 5000 के भीतर बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।
समग्र शिक्षा कार्यालय से 2018—19 में सीधे राशि स्कूलों में दी गई थी। जिसमें भी विवाद खड़ा हुआ था।
जेम पोर्टल से खरीदी की प्रक्रिया में दोष यही देखा गया है कि जब ग्लोबल टेंडरिंग की गई तो सिर्फ स्थानीय फर्म ही कैसे शामिल हो सके? इसके अलावा इसी कार्यालय के ईटेंडरिंग में और भी फर्मों ने खरीदी प्रक्रिया में अपनी सहभागिता प्रदान की है। बताया जा रहा है कि गोयल फर्नीचर द्वारा समग्र शिक्षा विभाग में सप्लाई का काम बार—बार किया जा रहा है। इसकी वजह क्या है?
जेम पोर्टल से खरीदी प्रतिबंधित होने के कारण समग्र शिक्षा विभाग द्वारा दिव्यांग बच्चों के उपकरण और लैब सामग्री खरीदी चिप्स के माध्यम से ईटेंडरिंग द्वारा की गई है। तो खेलगढ़िया की इस खरीदी के लिए जैम का ही उपयोग क्यों किया गया?
संचालक समग्र शिक्षा नरेंद्र दुग्गा से इस मामले में चर्चा की कोशिश की गई पर उनसे संपर्क नहीं हो सका उनके द्वारा दैनिक भास्कर को ये तर्क दिया गया है —
‘सीएसआईडीसी (छतीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंसियों से पैनल तैयार कर विधिवत सामग्री का क्रय किया गया है। एजेंसियों ने गुणवत्ता को लेकर इंश्योर सर्टिफिकेट दिया है, जबकि जिला प्रशासन द्वारा क्रय करने पर इसका पालन नहीं होता। काटी गई 70 फीसदी राशि से खेल सामग्री की सप्लाई की गई है। हर साल इस मद से खेल सामग्री की खरीदी की जाती है।’
ये है केंद्र का नियम
उल्लेखनीय है कि गुणवत्तायुक्त शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य, सफाई व अन्य गतिविधियों के संचालन के लिए केंद्र सरकार 4 अगस्त 2021 को शुरू किए गए समग्र शिक्षा अभियान के तहत हर साल देश भर के राज्यों में अनुदान भेजती है। इस राशि से स्थानीय स्तर पर प्रचलित खेलों को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों को खेल सामग्री खरीदी के लिए अधिकृत किया गया है।
दरअसल मुख्यमंत्री कार्यालय से जांच के लिए भेजे गए शिकायत पत्र को जेम से खरीदी की शिकायत बताकर रफा दफा करने की कोशिश की गई है। मामला यह नहीं है बल्कि एक ही आईपी एड्रेस से आर्डर और परचेस का मामला है। करोड़ों की खरीदी में कमिशन भी करोड़ों में ही होगा यह साफ माना जा सकता है। खैर हमने संचालक नरेंद्र दुग्गा को वाट्सएप मैसेज भेजकर जांच रिपोर्ट के संबंध में जानकारी मांगी है यदि वह प्राप्त हुई तो उसे जगजाहिर कर दिया जाएगा।