पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौरान इस्तेमाल होने वाली सभी गाड़ियों में जीपीएस लगाने का निर्णय
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौरान इस्तेमाल होने वाली सभी गाड़ियों में जीपीएस लगाने का निर्णय
लोकसभा चुनाव: दूसरे चरण में 26 अप्रैल को होगा मतदान, 12 राज्यों में 1206 उम्मीदवार
लोकसभा चुनाव : जंगल महल की पुरुलिया सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
कोलकाता,
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौरान निष्पक्ष और पारदर्शी मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं। इसी कड़ी में चुनाव के समय इस्तेमाल होने वाली सभी गाड़ियों में जीपीएस लगाने का निर्णय लिया गया है। गाड़ियां सही रूट पर जा रही हैं या नहीं, कहीं और तो नहीं पहुंचीं और किसी तरह की कोई छेड़छाड़ ना हो, यह सुनिश्चित किया जा सकेगा।
पहले के चुनावों में आरोप लगे थे कि मतदान संपन्न होने के बाद ईवीएम, वीवीपैट जैसी महत्वपूर्ण वस्तुओं को डीसी-आरसी से मतदान केंद्रों तक ले जाते समय उनके साथ छेड़छाड़ की जाती है। अब जीपीएस के जरिए अगर गाड़ियां कहीं दूसरी जगह जाती है या कुछ गलत होता है तो जरूरत पड़ने पर संबंधित कार के ड्राइवर को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ करने की भी व्यवस्था की गयी है।
यह भी सुनिश्चित किया गया है कि बीच सड़क पर कहीं वाहनों से ईवीएम लूटने की कोशिश भी हो तो त्वरित कार्रवाई की जा सके। इस नई तकनीक का उपयोग करने का निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि कोई भी राजनीतिक दल मतदान प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ निष्क्रियता की शिकायत न कर सके। पूरे देश के साथ पश्चिम बंगाल में भी 19 अप्रैल को मतदान शुरू होगा और सातों चरणों में यहां वोटिंग होनी है।
लोकसभा चुनाव: दूसरे चरण में 26 अप्रैल को होगा मतदान, 12 राज्यों में 1206 उम्मीदवार
नई दिल्ली,
लोकसभा चुनाव-2024 के दूसरे चरण में 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 1206 उम्मीदवारों के साथ-साथ बाहरी मणिपुर पीसी से 4 उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे।
लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के मतदान के लिए 12 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के 88 संसदीय क्षेत्रों के लिए कुल 2633 नामांकन दाखिल किए गए थे। दूसरे चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 4 अप्रैल थी। दाखिल 2633 नामांकनों की जांच में 1428 नामांकन वैध पाए गए। सभी 12 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि सोमवार 08 अप्रैल थी।
दूसरे चरण में केरल में 20 संसदीय क्षेत्रों के लिए अधिकतम 500 नामांकन किए गए हैं। इसके बाद कर्नाटक में 14 संसदीय क्षेत्रों से 491 नामांकन हैं। महाराष्ट्र की नांदेड़ संसदीय क्षेत्र से सबसे अधिक 92 नामांकन प्राप्त हुए।
आयोग के अनुसार दूसरे चरण में 88 संसदीय क्षेत्रों के लिए 2633 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे। इनमें से 1428 सही पाए गए। नाम वापसी के बाद संख्या 1206 रह गई। राज्यवार आंकड़ों के अनुसार इस चरण में असम 61, बिहार 50, छत्तीसगढ़ 41, जम्मू-कश्मीर 22, कर्नाटक 247, केरल 194, मध्य प्रदेश 88, महाराष्ट्र 204, राजस्थान 152, त्रिपुरा 9, उत्तर प्रदेश 91 और पश्चिम बंगाल 47 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है।
उल्लेखनीय है कि पहले चरण में 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 1625 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें 1491 पुरुष उम्मीदवार और 134 महिला उम्मीदवार हैं। पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को मतदान होगा। वहीं दूसरे चरण के लिए 26 अप्रैल को मतदान होगा।
लोकसभा चुनाव : जंगल महल की पुरुलिया सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
कोलकाता,
पूरे देश में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद पश्चिम बंगाल में सियासी दंगल तेज हो गया है। यहां की पुरुलिया लोकसभा सीट खास है, क्योंकि यह आदिवासी बहुल इलाका है। यहां से भाजपा के सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो हैं। पार्टी ने इस बार भी उन्हीं को टिकट दिया है। उनके खिलाफ तृणमूल कांग्रेस ने शांति राम महतो को उम्मीदवार बनाया है। वामदलों और कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। यहां छठे चरण में 25 मई को वोटिंग होनी है।
क्या है भौगोलिक स्थिति
पुरुलिया लोकसभा क्षेत्र पश्चिम बंगाल के जंगल महल क्षेत्र के पुरुलिया जिले में है। 1995 में यह इलाका उसे वक्त सुर्खियों में आया था जब यहां हथियार बरसाए गए थे। पुरुलिया शहर कासल नदी के उत्तरी छोर पर बसा हुआ है। यह अपने लैंडस्केप के लिए जाना जाता है। पुरुलिया जिले का मुख्यालय पुरुलिया ही है। यहां की साक्षरता दर 65 फीसदी है।
क्या है राजनीतिक इतिहास?
इस सीट का मिजाज अलग रहा है। यहां से कांग्रेस को एकबार जीत मिली लेकिन उसके बाद यहां से ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार विजयी होते रहे हैं। 1957 में पुरुलिया से आईएनडी के विभूति भूषण दास गुप्ता सांसद चुने गए थे। उन्होंने कांग्रेस के महतो नागेंद्र नाथ सिंह देव को हराया था। 1962 में लोकसेवक संघ के भजाहारी महतो सांसद चुने गए थे। 1967 में आईएनडी के बी महतो सांसद चुने गए। 1971 में पहली बार यहां से कांग्रेस को यहां सफलता मिली और देवेंद्र नाथ महतो यहां से सांसद चुने गए थे।
1977 में एफबीएल के चितरंजन महता को सफलता मिली थी। चितरंजन 1980, 1984 और 1989 तक पुरूलिया से लगातार सांसद चुने जाते रहे। 1991 में यहां पर उप चुनाव हुआ जिसमें फॉरवर्ड ब्लॉक (एफबीएल) के बी महतो सांसद चुने गए। 1996, 1998, 1999 में फॉरवर्ड ब्लॉक के बीर सिंह महतो यहां से सांसद चुने जाते रहे। इसके बाद फॉरवर्ड ब्लॉक में विभाजन हो गया और 2004 में बीर सिंह महतो ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक से ताल ठोंकी और सांसद बने। 2006 के उपचुनाव में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नरहरि महतो विजयी हुए थे। 2009 में नरहिर महतो ही सांसद चुने गए। 2014 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने यह सीट कम्युनिस्टों से छीन ली और तृणमूल के डॉक्टर मृगांका महतो यहां से जीते थे।
क्या है 2019 का जनादेश?
बीजेपी के ज्योतिर्मय सिंह महतो छह लाख 68 हजार 107 वोट से जीते।
तृणमूल कांग्रेस के मृगांका महतो को चार लाख 63 हजार 375 वोट मिले।
कांग्रेस के नेपाल महतो को 84 हजार 477 वोट मिले थे।