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छग की बेटी ने फतह किया अंटार्कटिका… विश्व भर के 150 प्रतिभागी भाग लिया था…

इंपैक्ट डेस्क.

रायपुर। छत्तीसगढ़ की बेटी सौम्या राव ने अंटार्कटिका को फतह कर लिया है। अंटार्कटिका की यात्रा करने वाली सौम्या संभवत: पहली महिला है। उन्होंने बताया कि अंटार्कटिका वैश्विक जलवायु प्रणालियों के संतुलन को बनाए रखने और पृथ्वी भर के महासागरों में वन्यजीवों के पनपने के कारण के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, महाद्वीप में पृथ्वी पर 90 प्रतिशत बर्फ है। अंटार्कटिक की बर्फ का पिघलना जैसा कि हम देखते हैं समुद्र के स्तर में परिवर्तन, जलवायु पैटर्न में नाटकीय परिवर्तन, वन्यजीवों के आवासों की हानि, प्राकृतिक आपदाओं और ग्रह पर मानवता के एक बड़े हिस्से के लिए एक समग्र खतरे से भरा है।
वर्तमान में, अंटार्कटिका 1959 की अंटार्कटिक संधि प्रणाली द्वारा संरक्षित है जो 1961 में लागू हुई थी।

भारत भी उस संधि का एक पक्ष है जिसके द्वारा यह सहमति हुई है कि महाद्वीप का उपयोग केवल शांतिपूर्ण और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए किया जाएगा और कोई भी देश दांव नहीं लगा सकता है। संक्षेप में कहें तो अंटार्कटिका किसी का नहीं है और फिर भी यह सबका है। 2041 वह वर्ष होगा जब विश्व नेताओं द्वारा ऐतिहासिक समझौते पर फिर से बातचीत की जाएगी।
अंटार्कटिका के लिए इस अभियान का उद्देश्य अगली पीढ़ी के जलवायु चैंपियनों को महाद्वीप के संरक्षण और संरक्षण की जिम्मेदारी लेने, लचीला समुदायों का निर्माण करने और जीवन के सभी पहलुओं में टिकाऊ होने के लिए प्रेरित करना था। सौम्या कहती हैं- “बचपन से ही मैं प्रकृति के खजाने और सुंदरता पर मुग्ध थी। मैं हमेशा से विदेशी जगहों की यात्रा करना चाहती थी और उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता महसूस करती थी।

अपने स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, मैंने जीवन जीने के स्थायी तरीकों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है। जब मैं पुणे में काम कर रही थी तो अपने काम से समय निकालकर मैंने स्कूली बच्चों को डिजाइन थिंकिंग और टिकाऊ समाधान सिखाने में भी मैने समय बिताया। जब मुझे रॉबर्ट स्वान के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन राजदूत के रूप में अंटार्कटिका में एक प्रतिष्ठित अभियान के लिए चयन पत्र मिला, तो मैं बहुत खुश हुई थी। सौम्या आगे कहती हैं कि महाद्वीप की उल्लेखनीय सुंदरता को देखना और जलवायु परिवर्तन पर जुनून से काम करने वाले कई व्यक्तियों और संगठनों के साथ जुड़ना कई स्तरों पर प्रेरणादायक रहा है। यह हमें जो कुछ भी है उसे संजोने और उसकी रक्षा करने के लिए। प्रेरित करता है। अभियान ने अंटार्कटिका के संरक्षण के 2041 मिशन के प्रति जिम्मेदारी की भावना प्रदान की है। लोगों और संगठनों को प्रेरित करने वाली श्रीमती सौम्या राव अवधानुला छत्तीसगढ़ में पली बढ़ी हैं जो कि भिलाई के बी. एस.पी. स्कूल सेक्टर-9 से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कर श्री शंकरा विद्यालय सेक्टर 10 से हायर सेकेंडरी की पढ़ाई कर गर्वनमेंट गल्स कॉलेज दुर्ग से बी कॉम की पढ़ाई पूरी करी हैं. तत्पश्चात वे अपनी आगे की एम.बी.ए की पढ़ाई मुंबई से पूर्ण की हैं।

विश्व के प्रतिष्ठित जलवायु बल-जलवायु परिवर्तन अभियान में विश्व भर के 150 प्रतिभागी भाग लिये थे और श्रीमती सौम्या राव अवधानुला तथा उनके पति एन. वरुण कौंडिन्या जो कि भारत सरकार में आई. आर. एस अधिकारी हैं भी उन प्रतिभागियों में शामिल थे जो भारत का प्रतिनिधित्व किये थे। दोनों ही इस अभियान में एक भागीदार के रूप में प्रसिद्ध जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता रॉबर्ट स्वान के नेतृत्व में अंटार्कटिका की यात्रा की। युवाओं के लिये संयुक्त राष्ट्र के सदभावना राजदूत हैं। 14 मार्च 2022 से 29 मार्च 2022 तक 12 दिनों तक चले इस अभियान में अंटार्कटिका के संरक्षण जलवायु परिवर्तन और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।