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कोरोना : संकट के इस दौर में राजनीति… ये अच्छी बात नहीं…

सुरेश महापात्र / दबी जुबां से…

पूरी दुनिया में कोरोना का संकट गहराया हुआ है। बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा संपन्न देश धाराशाई हैं। महामारी का ऐसा प्रकोप कभी देखने का अनुभव नहीं था। कोरोना जैसे संक्रमण को लेकर शुरूआत में विश्वास का अभाव रहा। पर जैसे—जैसे हालात बदलते जा रहे हैं उससे लगने लगा है कि वास्तव में यह मानव जाति पर सबसे बड़ा संकट है।

इससे बचने के लिए हिंदुस्तान में सभी लोगों को राजनीति से उपर उठकर काम करने की दरकार है। छत्तीसगढ़ में कोरोना के संक्रमण को रोकने में अच्छी खासी सफलता मिली है। इस पूरे दौर में कुल 10 मामले पाजिटिव के सामने आए। जिनमें से 8 सही सलामत घर लौट चुके हैं। सरकार की दी जानकारी के अनुसार प्रदेश के 70 हजार से ज्यादा लोग क्वैंरटाइन हैं। यानी संक्रमण में भी फिलहाल नियंत्रण की स्थिति दिख रही है। भूपेश सरकार की यह कामयाबी बड़ी है।

जब देश के अन्य राज्यों की स्थिति देखते हैं तो यह संक्रमण और सुधार का यह आंकड़ा निश्चित तौर पर स्वागतेय होना चाहिए। वह भी राजनीति से उपर उठकर। पर धीरे—धीरे माहौल राजनीतिक करने की कोशिशें चल रही हैं। प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 5 अप्रेल के दूसरे इंवेट से यह मसला गहराया है। इसके लेकर पूरे प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा आमने—सामने रहे।

वजह इस अभियान से पहले दिल्ली में तबलिगी जमात के मामले से सीधे तौर पर जुड़ा है। भाजपा शासित राज्यों में कोरोना के संक्रमण के लिए तबलिगी जमात से जुड़े लोगों की खबरें मीडिया में बड़ी सुर्खियां बटोर रही हैं वहीं छत्तीसगढ़ जैसे कांग्रेस शासित प्रदेश में इससे जुड़ी खबरें सनसनी के स्थान पर संयम के साथ परोसी जा रही हैं। जिला प्रशासन भी ऐसे मामले में माहौल को बिगड़ने से रोकने के लिए पूरी धैर्यता के साथ काम कर रहा है। इसके उलट सोशल मीडिया में इसे लेकर प्रदेश का विपक्ष एक तरफा हंगामा मचाए हुए है। यही वजह है कि एम्स के बिहाफ में निकली एक खबर ने भाजपा—कांग्रेस को आमने—सामने खड़ा कर दिया है।

एम्स के बहाने सच—झूठ…

इस बीच बात बिगड़ी एम्स में तबलिगी जमात से जुड़े एक नाबालिग के बर्ताव को लेकर मीडिया की खबर पर। खबर बाहर आई और रायपुर सांसद सुनिल सोनी का बयान भी। छत्तीसगढ़ सरकार की फेक न्यूज कमेटी ने इस खबर को फेक न्यूज बता दिया। अब बहस चलने लगी कि क्या एम्स के डाक्टर दबाव में झूठ बोल रहे हैं या रायपुर सांसद ने झूठा दावा किया है…। सांसद एम्स की बॉडी में मेंबर हैं। यदि उन्होंने ऐसा कहा है तो निश्चित तौर पर एम्स के डाक्टरों ने उन्हें यह जानकारी शेयर की हो…। यदि ऐसा ही है तो एम्स ने ऐसी किसी घटना से पल्ला क्यों झाड़ लिया?

सोशल मीडिया मैनेजमेंट में कांग्रेस…

लॉक डाउन के दौरान सोशल मीडिया में जमकर भाजपा—कांग्रेस हो रहा है। जो कि नहीं होना चाहिए। कम से कम इस संकट के दौर में। छत्तीसगढ़ में भले ही कांग्रेस का शासन है पर ऐसे मौकों पर भाजपाईयों की एकजुटता कांग्रेस को चिढ़ाती है। सोशल प्लेटफार्म पर कांग्रेस की ओर से अकेले सीएम का ही परफारमेंस सही है। लाइक और कमेंट्स के लिहाज से देखें तो भाजपा का पक्ष भारी है… विधानसभा चुनाव से पहले भी ऐसा ही प्रतीत होता था। फिर भी भाजपा हार गई बस कांग्रेस इसी मुगालते में है।

अंधेरा कर दिया जलाने को लेकर…

5 अप्रेल की रात 9 बजे अपने घरों में अंधेरा करके 9 मिनट तक दिया जलाने की प्रधानमंत्री की अपील पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साफ संकेत दिया कि राज्य में ऐसे किसी अभियान को सरकार का साथ नहीं मिलेगा। उन्होंने बकायदा आदेश निकाले कि फलां—फलां जगहों पर लाइट बंद नहीं होगी। यानि कोई संस्था प्रमुख पीएम की अपील के समर्थन में करना चाहे भी तो ना कर सके। बावजूद इसके पूरे प्रदेश में ज्यादातर लोगों ने अपने घरों पर अपील के अनुसार अंधेरा किया और दीप जलाए… अथवा अन्य तरीकों से रौशनी किया…। हमारे उत्सवधर्मी प्रधानमंत्री की मूल भावना को ध्यान में रखकर अतिउत्साहित लोगों ने इस अभियान के समर्थन में जमकर आतिशबाजी भी की।

अंदरखाने में कुछ तो गड़बड़ है…

कांग्रेस के भीतर कई मसलों को लेकर उहापोह जैसी स्थिति है। विशेषकर सीएम भूपेश बघेल और उनके मंत्रीमंडल के साथ तालमेल को लेकर। वहीं एक घटना हुई जब टीएस बाबा ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों के साथ विडियो कान्फ्रेंसिंग की योजना बनाई, जिस पर ऐन वक्त पर पानी फेर दिया गया। यह मसला इतना आसान नहीं है जितना दिख रहा है। बल्कि इस घटनाक्रम के पीछे राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर चल रही स्थिति को समझने के लिए सरगुजा इलाके से निकलने वाली आवाजों को महसूस करना होगा…। देश में कोरोना इफेक्ट के बाद जब हालात बदलेंगे तो छत्तीसगढ़ में राजनीति की सूरत भी थोड़ी बदलेगी… इंतजार कीजिए।

सीएम सचिवालय में…

कोरोना के जंग दौरान ही सीएमओ में सबसे बड़ा बदलाव किया गया। एसीएस सुब्रत साहू को सीएम का प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया और गौरव द्विवेदी की रवानगी हुई। इस मामले में पर्दे के पीछे की कहानी बड़ी लंबी है। शार्ट में यही है कि सीएम के करीबी दो लोगों की लड़ाई में लड्डू तीसरे के हाथ लग गई।

शराब की राजनीति…

छत्तीसगढ़ में शराब और राजनीति का चोली दामन का साथ है। रमन राज में भी जब कभी शराब बंदी की वकालत हुई तो लगा कि यह मामला अब—तब में है। कांग्रेस तो बकायदा घोषणापत्र में शराब बंदी का वादा करके आई। अब घोषणापत्र की कॉपी लेकर लोग उलाहना दे रहे हैं। भई सरकार ने खर्चे बढ़ा दिए हैं। सरकार का खर्चा और पार्टी का भी… ऐसे में दारू का ही सहारा है। लॉक डाउन में शराब की दुकानें बंद करने की घोषणा कितना मन मारकर किया गया होगा यह तो ईश्वर ही जानें। पर जब दुकान दुबारा खुलाने के लिए सरकार ने कमेटी बनाई तो उसके आदेश की प्रति पढ़कर केवल आह ना निकले तो कहना…

और अंत में…
कांग्रेस ने संगठन में पद तो बांट दिए… जिन चेहरों को संगठन में एडजस्ट किया है वे तो सत्ता की मलाई के इंतजार में हैं… पक्की खबर है कि वे ‘एक व्यक्ति—एक पद’ के दायरे से बाहर निकलने की जुगत में हैं…

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