जस्टिस चंद्रचूड़ होंगे अगले मुख्य न्यायाधीश… CJI यूयू ललित आज सौंपेंगे लेटर… जजों की नियुक्ति पर रहे मतभेद…
इम्पैक्ट डेस्क.
देश के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश करने वाले हैं। आज वह एक लेटर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को सौंपने वाले हैं, जिसमें उन्हें देश का अगला मुख्या न्यायाधीश बनाए जाने की जानकारी होगी। यह लेटर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों की मौजूदगी में सौंपा जाएगा। इसके अलावा इसी मामले में जस्टिस यूयू ललित कानून मंत्रालय को भी पत्र लिखेंगे और जस्टिस चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश करेंगे। विधि आयोग की ओर से सीजेआई से कहा गया था कि वह अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करें। बता दें कि जस्टिस यूयू ललित 8 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर होने वाले हैं।
यह अहम है कि सुप्रीम कोर्ट में 4 जजों की नियुक्ति को लेकर पैनल में शामिल जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस अब्दुल नजीर ने आपत्ति जताई थी। इसके चलते 4 जजों की नियुक्ति सीजेआई यूयू ललित की अध्यक्षता वाले कॉलेजिमय के द्वारा नहीं हो पाई। नियम के मुताबिक कोई भी सीजेआई अपने रिटायरमेंट से एक महीने पहले तक ही कॉलेजियम का नेतृत्व करते हुए जजों की नियुक्ति की सिफारिश कर सकता है। इन दो जजों की आपत्ति के चलते 4 जजों की नियुक्ति नहीं हो पाई थी। इसके अलावा अब यूयू ललित के रिटायरमेंट में एक महीने से भी कम का वक्त बचा है। ऐसे में अब वह इस पर फैसला नहीं ले पाएंगे।
सोमवार को साझा बयान में खुलासा किया गया कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एस अब्दुल नजीर ने देश के चीफ जस्टिस यूयू ललित द्वारा पत्र के जरिए सर्वोच्च न्यायालय के जजों के रूप में पदोन्नति देने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर आपत्ति व्यक्त की थी। गौरतलब है रि चार साल में यह पहला मौका है, जब कॉलेजियम ने अपने विचार-विमर्श को सार्वजनिक किया है।
चूंकि कॉलेजियम एक आम सहमति पर नहीं पहुंच सका और इस बीच 7 अक्तूबर, 2022 को केंद्रीय कानून मंत्री से पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें चीफ जस्टिस से उनके उत्तराधिकारी को नामित करने का आग्रह किया गया था। इसलिए 30 सितंबर को कॉलेजियम की बैठक में शुरू की जाने वाली योजना को खारिज कर दिया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि ऐसी परिस्थितियों में आगे कोई कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है। 30 सितंबर, 2022 को बुलाई गई बैठक में अधूरे काम को बिना किसी विचार-विमर्श के बंद किया जाता है और बैठक खारिज की जाती है।