मानवाधिकारों को प्रभावी ढंग से मजबूत करना समाज का सामूहिक कार्य- राष्ट्रपति
- न्यूज डेस्क. नई दिल्ली।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि व्यावहारिक धरातल पर मानवाधिकारों को प्रभावी ढंग से मजबूत करना संपूर्ण समाज का सामूहिक कार्य है। आज नई दिल्ली में मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं के साथ अपराधों की घटनाएं हाल में देश के ज्यादातर भागों में सामने आई हैं।
उन्होंने कहा कि यह दिवस मनाने का आदर्श तरीका यही है कि पूरा विश्व 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्वीकार की गई मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा में निर्धारित अधिकारों का उपयोग के बारे में आत्मावलोकन करें। राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को अपने कर्तव्यों की भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी अधिकारों और कर्तव्यों को समान नजर से देखते थे। राष्ट्रपति ने कहा कि मानवाधिकारों पर भारत का राष्ट्रीय परिपेक्ष्य सही ढंग से केंद्रित है और इसमें कर्तव्यों को भी समान महत्व दिया जा सकता है।
कब से मनाया जा रहा है मानवाधिकार दिवस
गौरतलब है कि मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के व्यापक घोषणा पत्र के जारी होने के उपलक्ष्य में हर साल 10 दिसंबर को यह दिवस मनाया जाता है। विश्वभर में मानवाधिकारों की सुरक्षा के साझा मानदंडों के रूप में यह घोषणा पत्र संयुक्त राष्ट्र महासभा में 1948 में अंगीकार और जारी किया गया था। इस घोषणा पत्र ने मानव मात्र में अंतर्निहित मर्यादा और उनके एक समान और अपरिहार्य अधिकारों को विश्वभर में न्याय, स्वतंत्रता और शांति के मूल सिद्धांतों के रूप में मान्यता दी है। इस घोषणा पत्र ने आधारभूत मानवाधिकारों में लोगों के विश्वास की पुष्टि की है।
इस वर्ष मानवाधिकार दिवस का विषय है- मानवाधिकारों के पक्ष में खड़े युवा । इसका उद्देश्य विश्वभर के युवाओं को मानवाधिकारों के प्रति कार्रवाई के लिए जागरूक करना है। इसके तहत युवाओं को बदलाव के माध्यमों के रूप में सम्मानित किया जाएगा और उन्हें रंगभेद, घृणापूर्ण वक्तव्यों, भेदभाव, डराने-धमकाने और जलवायु के प्रति न्यायोचित व्यवहार के लिए आवाज उठाने को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा उन्हें बड़े स्तर पर विश्वभर के लोगों से संबंधित और भी ऐसे मुद्दों को उठाने के लिए जागरूक किया जाएगा जो मानवाधिकारों के संरक्षण और उन्हें बढ़ावा देने से जुड़े हों।