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हर्षवर्धन सपकाल को नाना पटोले की जगह कांग्रेस ने महाराष्ट्र में अध्यक्ष बनाया

मुंबई

 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए नाना पटोले ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. महाराष्ट्र कांग्रेस को अब नाना पटोले की जगह नया अध्यक्ष भी मिल गया है. हर्षवर्धन सपकाल महाराष्ट्र कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं. हर्षवर्धन सपकाल के नाम के ऐलान के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चल रहे कयासों का दौर थम गया है. हर्षवर्धन को महाराष्ट्र कांग्रेस की कमान सौंपा जाना कांग्रेस पार्टी के प्रदेश की सियासत में 'स्ट्रैटेजी शिफ्ट' की तरह देखा जा रहा है. हर्षवर्धन सपकाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के दांव के पीछे क्या है? 4 पॉइंट में समझा जा सकता है.

1- मराठा दांव

हर्षवर्धन सपकाल मराठा समुदाय से आते हैं. मराठा समुदाय की आबादी सूबे में अनुमानों के मुताबिक करीब 28 फीसदी है. करीब 52 फीसदी ओबीसी आबादी के बाद सूबे का यह दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला वर्ग सियासी वर्चस्व के लिहाज से सबसे आगे है. मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र, केवल दो रीजन ही देखें तो मराठा प्रभाव वाले इन इलाकों में ही विधानसभा की कुल 288 में से 116 सीटें हैं.

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महाराष्ट्र की 48 में से 13 सीटों पर जीत के साथ सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो इसके पीछे मराठा समुदाय की भूमिका अहम मानी गई थी. विधानसभा चुनाव में विपक्ष की हार के बाद भी मराठा समुदाय के वोट बंटने को कारण बताया गया. अब कांग्रेस ने हर्षवर्धन सपकाल को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है तो इसे मराठा वोटबैंक पर पकड़ मजबूत करने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है.

2- गठबंधन पर निर्भरता कम करना

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष मराठा समाज से बनाए जाने के दांव को मराठा वोट के लिए गठबंधन कम करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. महाराष्ट्र में मराठा वोट के लिए कांग्रेस लंबे समय से शरद पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर ही निर्भर रही है. गठबंधन में उद्धव ठाकरे की शिवसेना के आ जाने के बाद कांग्रेस मराठा वोट को लेकर और अधिक निश्चिंत हो गई थी.

लोकसभा चुनाव में इसके अच्छे नतीजे भी देखने को मिले लेकिन विधानसभा चुनाव में परिणाम उलट रहे. इसके बाद उद्धव ठाकरे की पार्टी ने निकाय चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया तो शरद पवार भी कांग्रेस की आलोचना करते नजर आए, खासकर दिल्ली चुनाव लड़ने के फैसले की. विधानसभा चुनाव में खराब नतीजों के लिए भी ठीकरा कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर ही फोड़ा गया. अब कांग्रेस की कोशिश भविष्य की प्रेशर पॉलिटिक्स के लिहाज से खुद को तैयार करने की है.   

3- ओबीसी से आगे का प्लान

मराठा वोटबैंक को साधने की जिम्मेदारी एमवीए में एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) जैसे दल उठाते रहे और कांग्रेस ओबीसी को फोकस कर चलती रही है. पार्टी के पिछले प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले भी ओबीसी समुदाय से ही आते हैं जिसकी महाराष्ट्र की कुल आबादी में भागीदारी करीब 52 फीसदी होने के अनुमान हैं.

ओबीसी वोटबैंक पर बीजेपी की पकड़ मजबूत मानी जाती है, खासकर 2014 में नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में उभार के बाद से. अब कांग्रेस नेतृत्व को भी यह समझ आ गया है कि महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी जैसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी से मोर्चा लेना है तो बस ओबीसी वोटबैंक के सहारे रहने की बजाय वोट बेस का विस्तार करना ही होगा. नए प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल मराठा समुदाय से आते हैं और आदिवासी समाज में भी मजबूत पकड़ रखते हैं.

4- अनुशासित कैडर कार्ड

महाराष्ट्र में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे नाना पटोले ने सियासी सफर की शुरुआत कांग्रेस से ही की थी. 2009 के आम चुनाव में वह पार्टी से बगावत कर बतौर निर्दलीय ही गोंदिया भंडारा सीट से प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर गए. बाद में बीजेपी के टिकट पर नाना ने 2014 के चुनाव में प्रफुल्ल पटेल को पटखनी भी दी. 2018 में वह बीजेपी में छोड़ अपनी पुरानी पार्टी में लौट आए और कांग्रेस ने भी उन्हें उद्धव ठाकरे सरकार के समय विधानसभा अध्यक्ष से लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तक की जिम्मेदारी सौंप दी. अब कांग्रेस ने हर्ष सपकाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कार्यकर्ताओं को भी एक संदेश दिया है.

कौन हैं हर्षवर्धन सपकाल

हर्षवर्धन सपकाल महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले से आते हैं 25 साल से अधिक समय से सियासत में सक्रिय हैं. 1999 में सबसे युवा जिला परिषद अध्यक्ष रहे हर्षवर्धन 2014 में बुलढाणा सीट से विधानसभा भी पहुंचे थे. वह कांग्रेस के पंचायती राज प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के साथ ही गुजरात, पंजाब और मध्य प्रदेश के सह प्रभारी भी रह चुके हैं. जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन की ओर से 1996 में 21वीं सदी में वैश्विक मैत्री अभियान के तहत आयोजित अंतरराष्ट्रीय युवा सम्मेलन में भारतीय युवाओं के डेलिगेशन का नेतृत्व करने वाले हर्षवर्धन संत गाडगे बाबा ग्राम स्वच्छता अभियान से भी जुड़े रहे हैं.