खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी के कारण खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में 4.31 प्रतिशत आई, आंकड़े जारी
नई दिल्ली
बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी के कारण खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में धीमी होकर 4.31 प्रतिशत पर आ गई। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी के कारण खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में धीमी होकर 4.31 प्रतिशत पर आ गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में 5.22 प्रतिशत और जनवरी 2024 में 5.1 प्रतिशत थी। बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में इसकी पुष्टि की गई।
खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 6.02 प्रतिशत रही, जो दिसंबर में 8.39 प्रतिशत तथा एक वर्ष पूर्व माह में 8.3 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर बनी रहे। इससे पहले, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में उपभोक्ता मुद्रास्फीति जनवरी 2025 में पांच महीने के निचले स्तर 4.60% पर आने की उम्मीद जतायी थी। दिसंबर 2024 खुदरा महंगाई दर 5.22% दर्ज की गई थी।
दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार धीमी होकर 3.2 प्रतिशत पर आई
खनन और विनिर्माण क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण दिसंबर 2024 में देश के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर धीमी होकर 3.2 प्रतिशत रह गई। बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। दिसंबर, 2023 में औद्योगिक उत्पादन 4.4 प्रतिशत बढ़ा था। इसके साथ ही सरकार ने नवंबर, 2024 के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) आंकड़े को भी संशोधित कर पांच प्रतिशत कर दिया है। पिछले महीने जारी अस्थायी अनुमान में इसे 5.2 प्रतिशत बताया गया था।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर, 2024 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन तीन प्रतिशत बढ़ा जो एक साल पहले की समान अवधि में 4.6 प्रतिशत बढ़ा था। समीक्षाधीन अवधि में खनन उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 2.6 प्रतिशत रह गई जबकि साल भर पहले की समान अवधि में यह 5.2 प्रतिशत थी। हालांकि समीक्षाधीन माह में बिजली उत्पादन बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गया जो दिसंबर, 2023 में सिर्फ 1.2 प्रतिशत था।
अप्रैल-दिसंबर की अवधि में औद्योगिक उत्पादन में चार प्रतिशत की वृद्धि
इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों यानी अप्रैल-दिसंबर की अवधि में औद्योगिक उत्पादन में चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो एक साल पहले की समान अवधि में दर्ज 6.2 प्रतिशत वृद्धि से कम है। आज आने वाले महंगाई के आंकड़ों में यह गिरावट उन भारतीय परिवारों को बहुत जरूरी राहत देगी जो जीवनयापन की लगातार बढ़ती लागत से परेशान हैं और भोजन पर काफी अधिक राशि खर्च कर रहे हैं।
रिपोर्ट में अर्थशास्त्रियों के हवाले से कहा गया है कि मुद्रास्फीति में इस गिरावट का श्रेय स्थानीय बाजारों में सर्दियों की ताजा उपज है। रिपोर्ट के अनुसार सब्जियों की कीमतों में गिरावट ने मुद्रास्फीति में गिरावट में प्रमुख भूमिका निभाई। भारतीय रिजर्व बैंक ने हालिया मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और महंगाई को नियंत्रित करने की दिशा में कदम उठाते हुए रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करते हुए इसे 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया।