EXCLUSIVE : खेलगढ़िया में एक बार फिर खेला की तैयारी… शिकायतकर्ता ने कहा सरकार की सुशासन वाले छवि पर आंच का अंदेशा…
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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।
छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग में खेलगढ़िया जैसी व्यवस्था में करोड़ों का सप्लाई खेला करने की तैयारी चल रही है। खेलगढ़िया को लेकर समग्र शिक्षा में विवाद कोई पहली बार नहीं हो रहा है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान यह मामला जोर शोर से भ्रष्टाचार को लेकर उठा था। पर कार्रवाई के नाम पर ठेंगा दिखा दिया गया। अब बड़ी बात तो यही है कि कांग्रेस सरकार के दौरान खेलगढ़िया की आड़ में मलाई खाने वाले व्यापारियों के सिंडिकेट के लिए समग्र शिक्षा का पूरा ईको सिस्टम काम कर रहा है।
इस मामले का खुलासा भी तब हो पाया जब जेम के माध्यम से खरीदी के लिए विभाग ने टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ की जिसमें शर्तें इस तरह से लगाई गई जा रही है कि पुराने ठसन वाले सप्लायरों के रास्तें में लाल कारपेट बिछाया जा सके।
ऐसे ही एक शिकायत पत्र का मजमून सुशासन वाले सरकार की छवि पर सीधा असर डालता दिख रहा है। बड़ी बात तो यह है कि इस समय में प्रदेश में शिक्षा मंत्रालय मुख्यमंत्री के अधीन है ऐसे में किसी भी तरह की गड़बड़ी का दाग सीधे सीएम की छवि पर पड़ सकता है। इम्पेक्ट ने शिकायतकर्ता से मोबाइल पर बात करके यह सुनिश्चित किया है कि उन्होंने ही शिकायत की है।
खेलगढ़िया की खरीदी को लेकर की गई शिकायत की प्रतिलिपि विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग को दी गई है। इस पत्र का मजमून देखिए
जेम पोर्टल पर जारी निविदा क्र. GEM/2024/B/5730020, GEM/2024/8/5728256, GEM/2024/B/5730323 जारी की गई हैं। निविदाओं में अनियमितताओं का विवरण निम्नानुसार है –
निविदाओं में मांगे गये पूर्व प्रदर्शन (Past Performance 60%) में निविदाकार फर्म से ही मांगा गया है जबकि जेम के नियमानुसार निविदाकार अथवा उसके निर्माता इकाई दोनों में से किसी एक के अनुभव को मान्य किया जाता है।
किन्तु इस निविदा में जेम के नियम को दरकिनार करते हुए ATC के माध्यम से इस नियम को बदलते हुए पूर्व सरकार के संरक्षण में उनके चहेते 5-7 फर्मों (गणपति एंटरप्राईजेस, हंसराज साइंटिफिक, खण्डेलवाल एंटरप्राईजस, गोयल फर्नीचर, एन.आर. एसोसिएट्स, इंपोजियो ग्लोबल एल.एल.पी.) द्वारा किये गये कार्यों को आधार बनाते हुए फिर से उन्हें टेंडर दिलवाने के लिए इस प्रकार का नियम लगाया गया है जिससे की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पर अंकुश लगता है एवं सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचता है।
इन फर्मों द्वारा ही पूर्व सरकार के संरक्षण में जमकर भ्रष्टाचार करते हुए कार्य किया गया है एवं निविदा की नियम एवं शर्तों को इस प्रकार बनाया गया है कि इन्हीं फर्मों को ही कार्य प्रदान किया जा सके। इसके कारण निविदाओं में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा नहीं हो रही है। ग्लोबल निविदाओं में निहित नियम एवं शर्तों को दरकिनार करते हुए जानबूझकर उपरोक्त फर्मों को ही संरक्षण देने का कार्य किया जा रहा है।
इस प्रकार के भ्रष्टाचार को संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए एवं आप जैसे कुशल एवं ईमानदार अधिकारी से अपेक्षा है कि आपके द्वारा उपरोक्त वर्णित बिंदुओं पर तत्काल विचार किया जावेगा। आपके अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा आपको अंधेरे में रखकर उक्त धांधली की जा रही है जिससे आपकी छवि को नुकसान पहुंचने के साथ ही शासन की छवि को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
महोदय जी से निवेदन है कि कार्यालय द्वारा जारी निविदाओं को निरस्त करने अथवा निविदा के नियमों में सुधार करने की कृपा करेंगे। निविदा के नियम एवं शर्तों में उचित सुधार नहीं करने की स्थिति में हमें न्यायालय की शरण में जाने को विवश होना पड़ेगा।
इम्पेक्ट ने पूर्व में 2022 में भी खेलगढ़िया में खेला को लेकर प्रमुखता के साथ समाचार प्रकाशित किया था। दरअसल उस समय मामला इसलिए गंभीर था कि घटिया खेल सामग्री महंगी दाम में जिलों में डंप किए जाने के बाद स्कूलों पर पैसे के लिए दबाव बनाया जा रहा था। सरगुजा से बस्तर तक सभी जिलों में इस तरह की शिकायतें आईं थी। मसला इस तरह गंभीर हो गया कि तत्कालीन समय में जिला शिक्षा अधिकारियों को इस तरह की किसी भी शिकायती समाचान पर खंडन अधिकारी के तौर पर खंडन जारी करने के लिए निर्देशित कर दिया गया था।
मजेदार बात तो यह है कि 2022 में भी रायपुर के एक फर्म ने मुख्यमंत्री कार्यालय में एक शिकायत की थी कि खेलगढ़िया में जेम पोर्टल से खरीदी के नाम पर धांधली की गई है। इसमें एक ही आईपी एड्रेस से क्रेता और विक्रेता ने खरीदी—बिक्री की प्रक्रिया पूरी कर ली। यानि एक ही कम्प्यूटर में बैठकर जेम पोर्टल में सामग्री की खरीदी ऐसे की गई कि क्रेता ने उसी कम्प्यूटर से आर्डर दिया और उसी कम्प्यूटर से विक्रेता ने बेच दिया। यह मामला करीब 28 करोड़ रुपए की खरीदी का है। यह राशि केंद्र की समग्र शिक्षा में खेल सामग्री के लिए मिले अनुदान की है। जिसके तहत राज्य के स्कूलों में खेल विकास के लिए खेल सामग्री की खरीदी की जानी थी।
कुल राशि का करीब 70 प्रतिशत जेम के मार्फत क्रय प्रक्रिया पूरी करने के बाद सप्लाई करने की व्यवस्था कर दी गई। इसी अनुदान की 30 प्रतिशत राशि प्रदेश के सभी स्कूलों के लिए जारी की गई।
पुरानी शिकायत से संबंधित समाचार
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इसी तरीक से केंद्रीय अनुदान मद में छतीसगढ़ में ‘खेला’ हो गया है। स्कूलों के खाते में पूरे रुपए डालने के बजाए 70 फीसदी की कटौती कर प्लास्टिक की अनुपयोगी खेल सामग्री भेज दी गई।
कांग्रेस सरकार के दौरान मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में जेम से खरीदी पर बंदिश लागू किया था। इसके बावजूद छतीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के बजाए अनधिकृत फर्मों के जरिए गौरमेंट ई मार्केट (जीईएम) से खरीदी कर लिया गया।
इस मामले को ततकालीन नेता प्रतिपक्ष धमरलाल कौशिक ने विधानसभा में उठाया भी था। जिसके जवाब में शिक्षा विभाग ने अपने ही बयान को कांट्रोडक्ट किया था। क्यों कि पहले जवाब में सीएसआईडीसी की जगह जेम से खरीदी के लिए केंद्र के नियम का हवाला दिया गया। पर दूसरी बार पूरी खरीदी सीएसआईडीसी के माध्यम से करवाई गई थी।
खेलगढ़िया क्या है?
पहले खेलगढ़िया सामग्री खरीदी की पूरी राशि स्कूलों के खाते में आती थी, फिर प्रधान पाठक व शिक्षा समिति स्थानीय स्तर पर प्रचलित खेलों से संबंधित जरूरत के हिसाब से खरीदी करते थे। 2022 में इस नियम को अफसरों ने जेब में रखकर अपनी पसंद के फर्मों से सामान खरीद लिया और इन फर्मों ने एक किट में गैरजरूरी व स्तरहीन सामग्री स्कूलों में लाकर पटक दिया था। खेलगढ़िया का यह खेला पूरे प्रदेश में हाई लेवल पर किया गया है। शायद यही वजह है कि मामले में सवालों के जवाब देने के बजाय डीईओ चुप्पी साधते रहे।
केंद्र सरकार द्वारा संचालित समग्र शिक्षा अभियान की खेल मद के तहत प्रदेश के सभी 30 हजार स्कूलों के लिए पृथक तौर प्राथमिक स्कूलों के लिए 5 हजार रुपए व साढ़े 13 हजार मिडिल स्कूलों के लिए 10 हजार रुपए व साढ़े चार हजार हाई-हायर सेकेंडरी स्कूलों करीब 25 हजार के मान से कुल 28 करोड़ की मंजूरी दी गई थी। रुपए 28 फरवरी के पहले खर्च कर उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को भेजना था। नियम के मुताबिक सामग्री का क्रय स्थानीय शिक्षा समिति को करना था पर प्रदेश के समग्र शिक्षा अभियान विभाग ने स्वीकृत राशि में 70 फीसदी राशि करीब 22 करोड़ रुपए की कटौती कर केवल 30 फीसदी राशि करीब 6 करोड़ रुपए स्कूलों के खाते में जमा करवा दिया था।
कटौती की गई राशि से प्राथमिक स्कूलों के लिए खंडेलवाल सेल्स कार्पोरेशन बिलासपुर, मिडिल स्कूलों में हंसराज साइंटिफिक एंड मैटल वर्क्स बिलासपुर व हाई/हायर सेकेंडरी स्कूलों में गोयल फर्नीचर रायपुर से खेल सामग्री की सप्लाई किया गया। शिकायत थी कि सप्लाई की गई खेल सामग्री हल्की एवं प्लास्टिक की थी। खेल सामग्री की तय मात्रा व प्रकार में भी कमी की गई थी। जानकारों के मुताबिक प्राथमिक स्कूलों को दी गई किट में सामग्री खुले बाजार में प्राथमिक में 1500 में, मिडिल स्कूल की सामग्री 2500 व हाई-हायर की सामग्री 5000 के भीतर बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाती। यानी करोड़ों का खेला अकेले इस खेलगढ़िया के माध्यम से कर दिया गया था। समग्र शिक्षा कार्यालय से 2018—19 में सीधे राशि स्कूलों में दी गई थी। जिसमें भी विवाद खड़ा हुआ था।
ये है केंद्र का नियम
उल्लेखनीय है कि गुणवत्तायुक्त शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य, सफाई व अन्य गतिविधियों के संचालन के लिए केंद्र सरकार 4 अगस्त 2021 को शुरू किए गए समग्र शिक्षा अभियान के तहत हर साल देश भर के राज्यों में अनुदान भेजती है। इस राशि से स्थानीय स्तर पर प्रचलित खेलों को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों को खेल सामग्री खरीदी के लिए अधिकृत किया गया है।
दरअसल तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय से जांच के लिए भेजे गए शिकायत पत्र को जेम से खरीदी की शिकायत बताकर रफा दफा करने की कोशिश की गई। मामला यह नहीं है बल्कि एक ही आईपी एड्रेस से आर्डर और परचेस का मामला है। करोड़ों की खरीदी में कमिशन भी करोड़ों में ही होगा यह साफ माना जा सकता है।