CG breakingState News

सजग अभियान एक बरस पूरा हुआ अब कार्यक्रम के अंतर्गत अभिभावक बच्चों के लिए कैसे वातावरण बना सकते हैं इस संबध में सजग संदेश भेजे जाएंगे…

इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

“सजग अभियान” को एक साल पूरा हुआ। पिछले साल अप्रैल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छतीसगढ़ राज्य में डिजिटल प्लेटफार्म पर कार्यक्रम की शुरुआत की थी ताकि कोरोना महामारी की स्थिति में भी बच्चों के विकास की प्रकिया निरंतर जारी रहे।

महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ समाज सेवी संस्था सेंटर फॉर लर्निंग रिसोर्सेस (सी.एल.आर.) द्वारा यूनिसेफ़ के सहयोग से चलाए जा रहे इस कार्यक्रम के जरिए छोटे बच्चों के लालन-पालन से जुड़ी जरूरी बातों की जानकारी साल भर ऑडियो श्रंखला के रूप में पालकों तक पहुंचती रही।

सजग ऑडियो की ये कड़ियां माता-पिता और अन्य परिजनों के लिए कोविड के बेचैन कर देने वाले हालात में खुद को संभालने, बच्चे के विकास में सहायक घर का वातावरण बनाने और बच्चों में भावी जीवन को गढ़ने की क्षमता तैयार करने में मददगार साबित हुईं।

क्या है ये सजग ऑडियो कार्यक्रम

बच्चों के विकास में उनके जीवन के शुरुआती सात-आठ साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। पिछले साल 22 मार्च को देश भर में कोविड के चलते लॉक डाऊन की घोषणा कर दी गई। लॉक डाऊन के चलते आंगनबाड़ी और ऐसी सभी संस्थाएं बंद करनी पड़ीं जहां बच्चों को सीखने-जानने के अवसर मिलते थे। बड़े, बच्चे सभी घरों में बंद हो गए। ये स्थिति कब तक बनी रहने वाली है, अनुमान लगाना कठिन था। पर बच्चों के लिए ये समय बहुत महत्वपूर्ण था। अब बच्चों के लिए जानने-समझने का एक ही जरिया बाकी था, उनके पालक जो उनके साथ थे। लिहाजा सी.एल.आर. ने बच्चों के लालन पालन से जुड़ी जरूरी बातों पर आधारित छोटे-छोटे ऑडियो संदेश तैयार किए। जिन्हें लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएँ परिवारों तक पहुँचती हैं और उन्हे जरूरी जानकारी उपलब्ध कराती हैं।

ऐसे पहुँचते हैं ऑडियो संदेश पालकों तक

हर पंद्रह दिनों में किसी एक जरूरी जानकारी पर आधारित लगभग पाँच मिनट का संदेश सी.एल.आर. द्वारा तैयार किया जाता है। ये संदेश डायरेक्ट्रेट महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सभी जिलों के कार्यक्रम अधिकारियों को व्हाट्सएप के जरिए भेजा जाता है। जिसे वो अपने सीडीपीओ को और फिर सभी सीडीपीओ अपने पर्यवेक्षिकाओं को भेजते हैं। पर्यवेक्षिकाएं संदेश आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भेजती हैं। पोषण आहार वितरण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पालकों के घरों में जाकर इन संदेशों को उन्हें सुनाकर जरूरी बातें समझातीं हैं। कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर जिन पालकों के पास स्मार्टफोन और व्हाट्सएप जैसी सुविधाएं थीं उन पालकों के ग्रुप बनाए और उसके जरिए भी संदेश पालकों तक पहुंचाया। छत्तीसगढ़ राज्य में करीब सात लाख अभिभावकों तक यह संदेश पहुंच रहे हैं।

लोगों की जिंदगी पर पड़ा असर

कोविड ने तनाव को चरम तक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। जहां बहुतों के सामने रोजी रोटी की दिक्कत खड़ी हो गई वहीं दूसरी तरफ अनजाना डर हमेशा सताता रहा कि कहीं बीमारी की चपेट में ना आ जाएँ। बच्चों की जिंदगी में भी सब कुछ बदल चुका था। ऐसे में बच्चों की तरफ से ध्यान का हट जाना स्वाभाविक था। सजग ऑडियो संदेशों ने पालकों को खुद को संभालने के तरीके सुझाए। परिवार में तनावमुक्त वातावरण तैयार करने की समझ दी। बच्चों को कैसे संभालें, उनके जीवन की नीव को कैसे मजबूत करें, इसकी जानकारी पालकों को मिली।

सुना, समझा और समझाया

महिला एवं बाल विकास विभाग ने संदेशों को सिर्फ आगे भेजने का काम नहीं किया बल्कि उसे खुद सुना, समझा और फिर पालकों को समझाया। डायरेक्ट्रेट से संदेश जिले के कार्यक्रम अधिकारियों तक पहुँचने के बाद संभाग स्तर पर ऑन लाईन चौपाल का आयोजन किया जाता है। जिसमें संभाग के सभी जिलों से कार्यक्रम अधिकारी शामिल होते हैं। इन चौपालों में संदेश में कही गई बातों पर गहराई से समझ बनाने सी.एल.आर.के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इसी अनुसार कार्यक्रम अधिकारी अपने सीडीपीओ की, सीडीपीओ अपने पर्यवेक्षिकाओं और पर्यवेक्षिकाएं अपनी कार्यकर्ताओं की समझ बनाने चौपाल करती हैं। इस तरह सभी स्तरों पर अमले के लोग एक दूसरे के अनुभव से सीख पाते हैं और कार्यकर्ता की समझ तैयार कर पाते हैं ताकि वो पालकों को बातें भली-भांति समझा सके। कार्यकर्ताएँ पालकों से मिलकर उनकी अपनी बोली भाषा में संदेशों को समझाने बात-चीत करती हैं।

एक साल बाद अब सजग अभियान अपने दूसरे साल में प्रवेश कर गया है। कार्यक्रम के अंतर्गत अब अभिभावक कैसे बच्चों के लिए छोटे-छोटे खेल, ढेर सारी बातचीत और प्यार-दुलार का वातावरण बना सकते हैं इस संबध में सजग संदेश भेजे जाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *