Madhya Pradesh

सीधी में महिला ने ठेले पर बच्चे को दिया जन्म, नवजात की मौत; अधिकारियों को जारी हुआ कारण बताओ नोटिस

 सीधी
 मध्य प्रदेश के सीधी जिले से एक दर्दनाक मामला सामने आया है। मिली जानकारी के अनुसार, एक महिला ने समय पर एम्बुलेंस न मिलने पर ठेले पर ही बच्चे को जन्म दे दिया, जिसके बाद कुछ अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि उर्मिला रजक (26) को शुक्रवार रात को प्रसव पीड़ा शुरू हुई और परिवार के सदस्य उसे ठेले पर अस्पताल ले गए, हालांकि अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसका प्रसव हो गया।

सिविल सर्जन दीपरानी इसरानी ने पीटीआई-भाषा को बताया, अस्पताल पहुंचने पर स्टाफ ने उसकी जांच की। बच्चे की मौत 24 घंटे पहले ही गर्भ में हो चुकी थी। परिवार एक संकरी गली में रहता है और उन्हें एंबुलेंस के लिए मुख्य सड़क पर आना पड़ा, जो देर से पहुंची। जिला प्रशासन का एंबुलेंस बुकिंग प्रणाली पर कोई सीधा नियंत्रण नहीं है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, ये पूरा मामला मध्य प्रदेश के सीधी जिला का है, जहां जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर रहने वाली महिला उर्मिला रजक प्रसव पीड़ा से परेशान थी. घरवालों ने एंबुलेंस को फोन लगाया, लेकिन एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची. काफी देर इंतजार करने के बाद महिला का पति हाथ ठेले में ही पत्नी को अस्पताल लेकर निकल पड़ा लेकिन वे अस्पताल नहीं पहुंच पाए और प्रसव पीड़ा से परेशान महिला ने ठेले में ही बच्चे को जन्म दे दिया. जन्म देने के कुछ मिनट बाद ही बच्चे की मौत हो गई. अब इस घटना के वीडियो शेयर किए जा रहे हैं.

बच्चे की मौत के बाद गरमाई राजनीति

नवजात बच्चे की मौत होने के बाद मामले में राजनीति गरमा गई है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने ट्वीट कर इस मामले में चिंता जाहिर की है और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, '' सीधी में एक गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली. परिवार को उसे सब्जी के ठेले पर अस्पताल ले जाना पड़ा. जहां रास्ते में ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया और बच्चे को बचाया नहीं जा सका. जब स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की हालत इतनी खराब है तो पूरे प्रदेश की हालत को समझा जा सकता है.''

सरकार ने की कड़ी कार्रवाई

वहीं समय पर एंबुलेंस सेवा न मिलने पर हाथ ठेले पर महिला के प्रसव और नवजात की मौत के मामले में सरकार ने सख्त कार्रवाई की है. उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने मामले में संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा, ''सरकार की प्राथमिकता त्वरित और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है. किसी भी प्रकार की लापरवाही अस्वीकार्य है.'' इस मामले को लेकर सोमवार शाम प्रोजेक्ट हेड 108 एकीकृत कॉल सेंटर भोपाल ने 3 एंबुलेंस वाहनों के एक माह के परिचालन व्यय में कटौती कर दी है, जिसकी राशि 4,56,917 रुपए है.

एडिश्नल कलेक्टर अंशुमान राज ने कही ये बात

एडिश्नल कलेक्टर अंशुमान राज ने कहा, “हमने डॉक्टरों और एम्बुलेंस चालक से बात की है। महिला के परिवार द्वारा केंद्रीकृत कॉल सेंटर पर कॉल करने के लगभग 25 मिनट बाद एम्बुलेंस पहुंची। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया गया है। मामले की जांच चल रही है।”

बता दें कि बीते दिनों ओडिशा के केंद्रपारा से गर्भवती महिला के साथ लापरवाही का मामला सामने आया था। यहां ओडिशा सरकार की कर्मचारी ने दावा किया था कि बाल विकास अधिकारी द्वारा अस्पताल जाने के लिए छु्ट्टी नहीं दिए जाने के कारण उसने अपना बच्चा खो दिया। इस मामले में पीड़िता परिवार ने पुलिस में अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।