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जब इंदौर में सब्जी ठेला लगाने वाली ने अंग्रेजी में जताया विरोध… तब पता चला नाम — रईसा अंसारी, शिक्षा — पीएचडी, काम — ठेला में सब्जी बेचना… पर क्यों पढ़ें…

इम्पेक्ट न्यूज डेस्क।

जब तक सोशल मीडिया में कोई बात वायरल ना हो तब तक इस दुनिया के सामने हकीकत ला पाना अब नामुमकिन होता जा रहा है। कोरोना संक्रमण के इस दौर में इंदौर में भी कुछ ऐसा ही हुआ। जब इंदौर नगर निगम वाले सब्जी ठेला वालों को हटाने के लिए पहुंचे तो एक युवती ने अंग्रेजी—हिंदी में जिरह की। इसका विडियो एक प्रत्यक्षदर्शी ने बना लिया। अब पता चला कि यह युवती असल में साइंस में पीएचडी है और ठेला लगाकर सब्जी बेच रही है।

अपनी शैक्षणिक योग्यता पर उठ रहे सवालों का अब डॉ. रईसा अंसारी ने जवाब दिया है। साथ ही यह दिन दिखाने के लिए अपने गाइड को जिम्मेदार ठहराया। रईसा इंदौर के मालवा मिल चौराहे पर सड़क किनारे सब्जी का ठेला लगाती हैं। पिछले दिनों इंदौर नगर निगम की टीम इनका ठेला हटाने पहुंची तो रईसा का दर्द फूट पड़ा। हिंदी एवं अंग्रेजी में निगम कर्मचारियों को खूब खरी-खोटी सुनाई, जिसका वीडियो वायरल हो गया था।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिता मोहम्मद अंसारी सालों से सब्जियां बेचकर घर चला रहे थे। छह भाई-बहनों वाली रईसा के अनुसार, पिता की कमाई से अच्छी नहीं थी। जब महिला की बड़ी बहन ने पांचवीं कक्षा में टॉप किया, तो तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह ने इनाम दिया था। तब उनकी मां ने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाने की ठानी।

परिवार ने बीड़ी बनाने का काम शुरू किया। बीड़ी बनाने से जो पैसे आते थे, उसी से भाई-बहनों की पढ़ाई हुई। रईसा ने 12वीं घर के पास पिंक फ्लॉवर स्कूल से की। कंप्यूटर साइंस से बीएससी की। बकौल रईसा, फिजिक्स में टॉप किया और अवॉर्ड भी मिला। 2004 में पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया, लेकिन यह 2011 में पूरी हो पाई। उनका आरोप है कि उन्होंने शोध समय पर पूरे किए थे, लेकिन उनके गाइड किसी बात से उनसे चिढ़ गए थे। दो साल तक उनका वायवा ही नहीं होने दिया। विरोध करने पर वायवा लिया गया और 11 मार्च 2011 को उनकी पीएचडी हो पाई।

गाइड ने नहीं लगने दी नौकरी
महिला का कहना है कि उन्होंने कई बड़े संस्थानों में नौकरी की कोशिश की, लेकिन उनके गाइड ने नकारात्मक बातें फैलाकर सब मौके छीन लिए। हारकर प्राइवेट कॉलेज में टीचिंग की। करीब आठ साल अलग-अलग कॉलेजों में पढ़ाया। फिर उनकी तबीयत बहुत खराब हो गई। खून की कमी और हड्डियां एकदम कमजोर हो गईं। प्राइवेट जॉब भी छोड़नी पड़ी। ठीक हुई तो नौकरी का मन नहीं हुआ। पिता की तरह ठेला लगाने लगी।

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