गोबर के नाम पर कैम्पा में बुक कर दिए 81 लाख… करीब तीन करोड़ का घोटाला! जांच में दोषी पाए गए अफसरों को बचाने की कोशिश…
इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।
छत्तीसगढ़ में 2018—23 के बीच पूर्ववर्ती कांग्रेस के कार्यकाल में कई तरह के घपले घोटालों की चर्चा होती है पर एक ऐसे भी घोटाले की जांच रिपोर्ट आने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है जिसमें कैम्पा के मद से मिली राशि का दो करोड़ निन्यानब्बे लाख इंक्यानब्बे हजार रुपया वन अमला निगल गया है। इस मामले की शिकायत शिकायतकर्ता गौरेला पेण्ड्रा मरवाही के जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष नारायण शर्मा और सुशांत गौतम, टीचर्स कालोनी पेण्ड्रा ने की थी। यह पुराना मामला है पर इसमें बड़ी बात यह है कि एक अफसर को बचाने के लिए अब दूसरे IFS अफसर को फंसाने की कोशिश शुरू कर दी गई है।
जांच के बाद शिकायत में वर्णित बिन्दुओं की बारिकी से जांच की गई। जिसमें शिकायतकर्ताओं द्वारा की गई शिकायत सत्य पाया गया है। मजेदार बात तो यह है कि इस मामले में करीब एक करोड़ का गोबर घोटाला भी शामिल है। जिसमें वन समितियों द्वारा फर्जी तरीके से 81.28 लाख रुपए की गोबर खरीदी दिखाई है। मजेदार बात तो यह है कि मामला बीते दो वर्ष से चर्चा में है इस बीच सरकार बदल गई पर अब तक कार्रवाई के नाम पर अब तक नतीजा सिफर ही है। दरअसल फिलहाल प्रदेश के वन विभाग के अमले में पुराने और नए भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर समझौता एक्सप्रेस भी चल रहा है। इससे विभाग की छवि पर सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है।
इस मामले की जांच रिपोर्ट इम्पेक्ट को हासिल हुई है। जिसके अनुसार कार्यालय वनमण्डलाधिकारी मरवाही वनमण्डल, पेण्ड्रारोड का पत्र क्रमांक /स्था./270/2023/पेण्ड्रारोड, दिनांक 24.02.2023 के माध्यम से संबंधित अधिकारियों/ कर्मचारियों एवं पत्र क्रमांक / स्टेनो/854, 856 दिनांक 28 फरवरी 2023 द्वारा अध्यक्ष एवं सचिव एवं समस्त सदस्य, रोपणी प्रबंधन समिति चिचगोहना, अध्यक्ष एवं सचिव एवं समस्त सदस्य नेचर प्रबंधन समिति जामवंत माड़ा गगनई, अध्यक्ष एवं सचिव एवं समस्त सदस्य वन प्रबंधन समिति चिचगोहना, अध्यक्ष एवं सचिव एवं समस्त सदस्य वन प्रबंधन समिति साल्हेकोटा को जांच समिति के समक्ष उपस्थित होकर जांच में सहयोग देने हेतु लेख किया गया था।
बताया जा रहा है कि इस प्रकार जांच के दौरान प्रतिवेदन बनाने से पहले संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों एवं अन्य संबंधितों को जांच के दौरान अपना पक्ष रखने हेतु पर्याप्त अवसर प्रदान किया गया।
समिति द्वारा जांच से संबंधित प्रमाणकों, वनमण्डल के कैशबुक, वनमण्डल के रिसिप्ट / डिस्पेच रजिस्टर की जांच की गई। जांच समिति द्वारा जांच से संबंधित पुष्टिकारक अभिलेखों का परीक्षण किया गया। रोपणी प्रबंधन समिति चिचगोहना एवं नेचर प्रबंधन समिति जामवंत माड़ा गगनई से संबंधित दस्तावेज जैसे- समिति की कार्यवाही पंजी आदि जांच समिति द्वारा मांग किये जाने पर भी उपलब्ध नहीं कराया जा सका।
जांच रिपोर्ट के अनुसार कैम्पा मद अंतर्गत वनमण्डल में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण कार्यों हेतु (i) गोबर खाद क्रय में राशि रू. 81,28,550.00 (इक्यासी लाख अठाईस हजार पांच सौ पचास) (ii) रेतीली उपजाऊ मिट्टी क्रय में राशि रू. 98,24,800.00 (अंठान्बे लाख चौबीस हजार आठ सौ) (iii) नीमखली, बोनमिल, एलोविरा पौधा तैयारी आदि के लिये राशि रू. 60,15,196.00 (साठ लाख पंद्रह हजार एक सौ छियान्बे) आदि की खरीदी में भण्डार क्रय नियमों की अवहेलना की गई है। नर्सरी में पौधा तैयार करने हेतु मजदूरी राशि रू. 60,22,959.00 (साठ लाख बाईस हजार नौ सौ उन्सठ) का अंतरण सीधे समिति के माध्यम से गलत तरीके से किया गया है।
इसके अलावा नेचर केम्प गगनई में प्रमाणकों के अवलोकन करने पर यह पाया गया कि मजदूरी कार्यों के भुगतान में मजदूरी सूची संलग्न नहीं है। प्रमाणकों पर जीएसटी, टीडीएस एवं आईटी टैक्स की कटौती नहीं है। प्रमाणकों पर रेत, गिट्टी, की खरीदी में वाईड की कटौती नहीं है। साथ ही रायल्टी का भुगतान भी नहीं किया गया है। निर्माण कार्यों का एमबी बुक संधारित नहीं है एवं प्रमाणकों में इसका उल्लेख नहीं है। भण्डार पंजी भी संधारित नहीं है एवं मौके पर प्रमाणक अनुसार सामग्री नहीं पाया गया।
नेचर केम्प गगनई में बगैर वन प्रबंधन समिति के अनुशंसा से कार्य कराया गया है एवं किसी भी प्रमाणक में वन प्रबंधन समिति का प्रस्ताव संलग्न नहीं है। प्रमाणकों के अवलोकन पर यह पाया गया कि उक्त समस्त कार्य में निम्नलिखित अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा वन वित्तीय नियम का उल्लंघन करते हुये निविदा दरों से अधिक मूल्य पर सामग्री क्रय किया गया एवं अतिरिक्त व्यय किया गया, जिससे शासन को हानि हुई।
इसके अतिरिक्त अपूर्ण निर्माण कार्य एवं बगैर मजदूरी सूची के प्रमाणकों को प्रस्तुत करने के लिये तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक मानसिंह श्याम, द्वारिका प्रसाद रजक, वनपाल एवं तत्कालीन समिति सचिव सुनील चौधरी के द्वारा भी वन वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया जाना पाया गया।
नेचर कैम्प गगनई में चक्रीय निधि से प्राप्त राशि से जो कार्य कराये गये हैं उनमें वन वित्तीय नियमों का पालन नहीं किया गया है साथ ही समिति में बिना राशि उपलब्धता के भी तत्कालीन प्रभारी वनमण्डलाधिकारी संजय त्रिपाठी द्वारा आहरण अनुमति जारी कर दिया गया।
उक्त आहरण अनुमति में अंकित जावक क्रमांक में भी कूटरचना की गई है। वनमण्डल कार्यालय के जावक क्रमांक में अंकित विषय एवं आहरण अनुमति के विषय में भिन्नता है जो कि गंभीर अनियमितता की श्रेणी में आता है। आहरण अनुमति में संबंधित वन प्रबंधन समिति का प्रस्ताव भी संलग्न नहीं है।
जांच समिति के अनुसार शिकायत में वर्णित बिन्दुओं से यह सिद्ध होता है कि शिकायतकर्ताओं द्वारा की गई शिकायत सत्य है। उप समिति रोपणी प्रबंधन समिति, चिचगोहना एवं नेचर कैम्प प्रबंधन समिति, जामवंत माड़ा, गगनई का गठन नियमानुसार नहीं किया गया है। उक्त दोनों समिति में केवल एक ही अध्यक्ष एवं सचिव है एवं कोई अन्य सदस्य नहीं है।
अवैधानिक समिति के खाते में शासकीय राशि जमा कर आहरण एवं व्यय करने के दौरान तत्कालीन प्रभारी वनमण्डलाधिकारी राकेश मिश्रा, प्रभारी वनमण्डलाधिकारी संजय त्रिपाठी, तत्कालीन उप वनमण्डलाधिकारी एके चटर्जी, दरोगा सिंह मरावी, वर्तमान परिक्षेत्राधिकारी, उप वनक्षेत्रपाल, मान सिंह श्याम, तत्कालीन उप वनक्षेत्रपाल, सौखी लाल सिंह, उपवनक्षेत्रपाल, इंद्रजीत सिंह कंवर, उप वनक्षेत्रपाल, अश्वनी कुमार दुबे, वनपाल, द्वारिका प्रसाद रजक, वनपाल सुनील चौधरी, वनरक्षक, परिसर रक्षक एवं समिति सचिव तथा अध्यक्ष मुलचंद कोटे के साथ शाखा प्रबंधक एचडीएफसी बैंक, मरवाही की संलिप्तता पाई गई है।
जांच समिति ने पाया कि शासकीय राशि का नियमानुसार व्यय नहीं किया गया और न ही वन वित्तीय नियमों का पालन किया गया। इस परिस्थिति में समस्त संबंधित अधिकारी/कर्मचारियों एवं अध्यक्ष के विरूद्ध सक्षमता के आधार पर अनुशासनात्मक कार्यवाही किये जाने हेतु अनुशंसा की है।
अनियमित व्यय की जानकारी निम्नानुसार है :-
अनियमित व्यय की राशि (रु.) राकेश मिश्रा, वमंअ रु.5065111.00, संजय त्रिपाठी, वमंअ रु.9930643.00, एकेचटर्जी, सवसं रु.2796690.00, दरोगा सिंग मरावी, उवक्षे रु.7569758.00, सौंखी लाल सिंग रु.506825.00, अश्वनी दुबे, द.पा., रु.201000.00, इन्द्रजीत सिंह कंवर, उवक्षे रु.172541.00, सुनील चौधरी, वन रक्षक रु.3748937.00, कुल- रु.29991505.00
जांच समिति के अनुसार संजय त्रिपाठी, सवसं तत्कालीन उपवनमण्डलाधिकारी पेण्ड्रा, मरवाही वनमण्डल, पेण्ड्रारोड (छ.ग.) (वर्तमान उपवनमण्डलाधिकारी, कटघोरा, वनमंडल कटघोरा) के विरूद्ध अधिरोपित आरोपों में बताया गया है कि 30 जून 2020 से 04 अगस्त 2022 तक उपवनमण्डलाधिकारी, उपवनमण्डल पेण्ड्रा, मरवाही वनमंडल पेण्ड्रारोड, जिला गौरेला पेण्ड्रा मरवाही (छ.ग.) के प्रभार में रहे है।
पदस्थिति अवधि के दौरान मरवाही वनमंडल पेण्ड्रा रोड के मरवाही वन परिक्षेत्र में रोपणी प्रबंधन समिति चिचगोहना एवं नेचर कैम्प प्रबंधन समिति जामवंत माड़ा गगनई (साल्हेकोटा परिसर) में विभिन्न योजनाओं की शासकीय राशि फर्जी समिति का गठन कर अनियमितता किए जाने संबंधी शिकायत की जांच में पाया गया कि आपके द्वारा अवैधानिक समिति के खाते में शासकीय राशि जमा कर आहरण एवं व्यय किया गया। वन वित्तीय नियम / छ.ग. भंडार कय नियम का उल्लंघन है।
भंडार कय नियम का उल्लंघन है जो शासकीय धन का अनियमित व्यय की श्रेणी में आने पर तथा वर्तमान में कोई वैध अभिलेख प्रस्तुत नहीं कर पाये जाने पर एवं कय की गई सामाग्री का कोई वैध दस्तावेज भंडार पंजी, लेखा पंजी आदि का संधारण नहीं करने पर एवं निर्मित समिति अवैधानिक समिति होने पर उक्त समिति के द्वारा किये गये समस्त व्यय को अवैधानिक एवं अनियमित व्यय की श्रेणी में माना जाता है। इस मामले में शासकीय राशि का वित्तीय दुरूपयोग कर एवं वन वित्तीय नियमों/भण्डार कय नियम का पालन नहीं किये जाने पर तथा शासन की राशि रू.9930643.00 को अनियमित एवं अनुचित व्यय किये जाने एवं वन वित्तीय नियम एवं छ.ग. भंडार कय नियम का उल्लंघन करने का आरोप है।
इस प्रकार पदस्थिति अवधि के दौरान अपने पदीय दायित्व एवं शासकीय कर्तव्यों की अवहेलना कर घोर लापरवाही का परिचय देते हुये स्वैच्छाचारितापूर्वक शासकीय राशि का वित्तीय दुरूपयोग कर स्वयं को छ.ग. सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 का उल्लघंन कर छ.ग. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 10 अनुशासनात्मक कार्यवाही का भागीदार बनाया गया पाया गया।
इस मामले में जांच की प्रक्रिया के बाद कार्रवाई की अनुशंसा तो कर दी गई है। बताया जा रहा है कि मामले को दबाने के लिए उच्च स्तरीय प्रयास निरंतर जारी है। दरअसल पूरे प्रदेश में बीते वर्षों में कैम्पा के निधि के तहत बड़े पैमाने पर अनियमितता की शिकायतें हैं। कुछ मामलों की जांच हो चुकी है और कई मामले फिलहाल शिकायत और जांच के घेरे में ही हैं।
कैम्पा मद के तहत माओवाद प्रभावित इलाकों में किए गए कामों को लेकर इम्पेक्ट की पड़ताल जारी है। इसकी रिपोर्ट आते ही पाठकों के लिए प्रस्तुत कर दी जाएगी।