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क्यों नीली या लाल नहीं सफेद हैं वंदे भारत ट्रेन?… खिड़कियों में भी छिपा है राज… और अब दुनिया के सबसे ऊंचे पुल से गुजरेगी वंदे भारत ट्रेन…

इम्पैक्ट डेस्क

भारत में जब भी रेलगाड़ियों का जिक्र आता है, तो दिमाग में पटरियों पर दौड़ती नीली और लाल गाड़ियों की तस्वीर बन जाती है। हालांकि, 15 फरवरी 2019 के बाद तस्वीर बदलते नजर आई और देश ने ‘वंदे भारत ट्रेन’ का दीदार किया। इन रेलगाड़ियों का रंग पारंपरिक ट्रेन से हटकर था और रफ्तार में भी ये कई पुरानी सवारियों को पीछे छोड़ रही थीं। पढ़ते हैं इसके नए रूप की कहानी।

चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री यानी ICF में वंदे भारत रूप तैयार हुआ। दल में शामिल इंजीनियर मनीष प्रधान इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताते हैं, ‘भारतीय रेल कभी भी सफेद नहीं रहीं, क्योंकि भारत में हम सोचते हैं कि कुछ भी सफेद जल्दी गंदा नजर आता है।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमने तय किया कि हमारी ट्रेनें सफेद होंगी और गंदी भी नहीं लगेंगी।’

उस दौरान यूनिट के प्रिंसिपल चीफ मैकेनिकल इंजीनियर शुभ्रांशु ने बताया, ‘हमने सफेद और नीले से पहले लाल और काला, क्रीम और लाल की भी कोशिश की।’ उन्होंने कहा, ‘हमने इसे ट्रेन नहीं लग्जरी कार की तरह पेंट किया है। इसमें पेंट की 6 कोटिंग हैं और सबसे आखिरी ट्रांसपेरेंट कोट है, जो धूल को नहीं जमने देता।’

ऐसे बने खिड़कियां और दरवाजे
एक और इंजीनियर एस श्रीनिवास बताते हैं, ‘मैंने देखा है कि यूरोप में ट्रेनों में जहां दरवाजे खुलते थे, वहां पीछे हटने वाले फुटस्टेप्स थे। मैंने कहा कि हमारी ट्रेन में भी ऐसा होना चाहिए। फिर वहां एक ही खिड़की भी थी…। मैंने कहा कि एक ऐसा इफेक्ट तैयार करना चाहिए, जो देखने में लगे कि पूरी ट्रेन में एक ही कांच हैं। जबकि, वे खिड़कियां अलग हैं। अब देखिए, सभी को यह पसंद है।’

अब दुनिया के सबसे ऊंचे पुल से गुजरेगी वंदे भारत ट्रेन
भाषा के अनुसार, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कटरा श्रीनगर रेल लाइन पर बन रहे दुनिया के सबसे ऊंचे चेनाब पुल का रविवार को उद्घाटन किया और पुल के ऊपर से जा रही रेल पटरी का ट्रॉली मैं सफर कर जायजा लिया। वैष्णव ने पुल पर बनी रेल पटरी का जायजा लेने के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा की इस मार्ग पर वंदे भारत ट्रेन चलाई जाएगी औऱ पुल पर 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चल सकेगी।