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दिवंगत शिक्षाकर्मियों के परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति का मसला क्यों हैं बड़ा जो सरकार को बनानी पड़ी समिति… सीएम ने वादे पर किया अमल और अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति एक माह में सौंपेगी रिपोर्ट…

इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं। इसके पीछे उनकी राजनीति भले ही जो कुछ हो पर लोगों को भला होने का सिलसिला तेजी से चल रहा है। आज शाम एक बड़ा फैसला सीएम भूपेश ने लिया जिसके तहत अब एक कमेटी गठित कर दी गई है जो दिवंगत शिक्षाकर्मियों के परिजनों की अनुकंपा नियुक्ति का मसले की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी। यानी सरकार अब ऐसे शिक्षाकर्मियों के परिवार को राहत देने की दिशा में बड़ा कदम उठा चुकी है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल घोषणा के बाद राज्य सरकार द्वारा दिवंगत शिक्षाकर्मियों के परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति के लिए पात्रता का परीक्षण कर सुझाव और सेवा शर्तें निर्धारित करने के लिए अपर मुख्य सचिव श्रीमती रेणु पिल्ले की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया गया है।

समिति में स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह एवं आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास एवं सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डीडी सिंह को सदस्य बनाया गया है। गठित समिति सभी मामलों पर विचार कर रिपोर्ट और सुझाव एक माह के भीतर प्रस्तुत करेगी।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने दिवंगत शिक्षाकर्मियों के परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरणों की समीक्षा और उनके निराकरण के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश के परिपालन में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) नवा रायपुर से समिति गठन का आदेश जारी कर दिया है।

आखिर शिक्षाकर्मियों और शिक्षकों के दिवंगत होने पर अनुकंपा नियुक्ति में किस तरह की बाधाएं हैं। यह जानना भी जरूरी है। दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार ने अब शिक्षाकर्मियों की भर्ती पर रोक लगा दी है। इसकी जगह पर सीधे योग्यता अनुसार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। इससे शिक्षाकर्मियों के तीन संवर्ग शिक्षा कर्मी वर्ग तीन, वर्ग दो और वर्ग एक ​की नियुक्ति बंद हो चुकी है।

पूर्व में किसी शासकीय सेवक की मृत्यू पश्चात परिजनों को शिक्षा कर्मी वर्ग तीन संवर्ग में सीधी नियुक्ति दे दी जाती थी। सीधी भर्ती की प्रक्रिया चलने के कारण ऐसे सभी शिक्षकों के दिवंगत होने के बाद शिक्षाकर्मी नियुक्ति भी नहीं की जा सकती। प्रदेश के सभी जिलों में ऐसे सैकड़ों मामले लंबित हैं। ऐसे में कई परिवारों द्वारा अपने दिवंगत के शिक्षकीय पेशे के अनुरूप नियुक्ति नहीं हो पा रही है। वहीं शिक्षाकर्मियों के दिवंगत होने के बाद यह मसला और भी गंभीर हो गया है।

एक प्रभावित शिक्षक के परिजन ने इम्पेक्ट को इस बात की जानकारी देते बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा सहायक शिक्षक का पद किसी भी स्थिति में नहीं दे पाने की मजबूरी बताए जाने के बाद लिपिक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति लेकर संतुष्ट होना पड़ा। इसके लिए करीब दो बरस तक चक्कर लगाने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली। उनका कहना है कि सरकार द्वारा शिक्षकों के सारे पदों पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया लागू करने के कारण यह दिक्कत आ रही है। पर अब सरकार के इस पहल का दूरगामी प्रभाव ऐसे सभी प्रभावितों को मिल सकेगा।

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